XXX story ( Porn Story ) 1. एक चुड़ैल की सम्भोग के बाद चरमसुख प्राप्ति की कथा। ( Ek chudail ki sambhog ke bad charamsukh ki prapti ki katha.). / 2. अपने सच्चे प्यार को अपने बिस्तर तक लाने का सच्चा संघर्ष ( Apne pyar Ko Apne bistar Tak laane ka saccha Sangharsh.)

 XXX story ( Porn Story )   1. एक चुड़ैल की सम्भोग के बाद चरमसुख प्राप्ति की कथा।  ( Ek chudail ki sambhog ke bad charamsukh ki prapti ki katha.).   /     2. अपने सच्चे प्यार को अपने बिस्तर तक लाने का सच्चा संघर्ष  ( Apne pyar Ko Apne bistar Tak laane ka saccha Sangharsh.)



1. एक चुड़ैल की सम्भोग के बाद चरमसुख प्राप्ति की कथा।

Ek chudail ki sambhog ke bad charamsukh ki prapti ki katha.



पीतमपुरा नाम का एक छोटा सा गांव था। जंगल के काफी करीब था। और उस जंगल में एक बहुत बड़ा बरगद का पेड़ था। और उसके करीब 1 साथी उस गुफा में एक चुड़ैल रहती थी। जो कि काफी विशाल आकार की थी। और बड़े-बड़े गुमराह थे। बाल गंदे नाखून गंदे और मैले कपड़े और बड़े-बड़े दांतो के साथ उसे अगर लोग गलती से भी देख लेते थे। तो भयभीत हो जाते थे वह आकार में एक विशाल राक्षसी के समान थी। वह जंगल के पशु पक्षियों को खाकर उसी गुफा में रहा करती थी।


एक दिन जब उसने जंगल के सारे पशुओं को मारकर खा लिया। और उसकी हद से ज्यादा बढ़ रही थी तो वह गांव की तरफ पहुंची। जब गांव पहुंची तो इंसानों को पकड़कर खाने वह जिंदा इंसानों को कच्चा ही खा जाती थी। और लोग तड़प तड़प कर मर जाते थे। वह आई और उसने एक इंसान को पकड़ा और ऐसे ही खा गई। और जब उसने इंसान का स्वाद चखा तो उसे बहुत ज्यादा अच्छा लगा। उसने कहा कि अरे वाह इंसान तो काफी ज्यादा स्वादिष्ट होते हैं। पर उसके विशाल शरीर में और छोटा सा इंसान उसके अंखियों में फसने लगा। पर वह उसे निकल गई और फिर वहां से जोर जोर से चिल्लाने लगी। और गांव वालों से कहने लगी कि बाहर आओ मुझे बहुत जोरों से भूख लगी है। और गांव वालों को धमकी देने लगी।


वह कहती है कि "अगर गांव वाले तुम घर से बाहर नहीं आओगे तो मैं तुम्हारे पशुओं को खाना शुरू कर दूंगी"। और जब उसकी धमकी से गांव वाले सुनकर बाहर नहीं आते। तो क्रोध वर्ष वहां मंदी गायों को खाने लगती है। वह सारी गाय रामकुमार की थी। वह धीरे धीरे कर राम कुमार की सारी गायों को खा लेती है। और जब उसका पेट भर जाता है तो वहां से चली जाती है और जाते जाते मुझे धमकी दी जाती है। कि वह कल फिर आएगी इंसानों को खाने के लिए उसके जाने के बाद धीरे-धीरे लोग अपने मकान से बाहर आने लगते हैं। और रामकुमार जैसे ही देखता है कि उसकी सारी गायों को उस चुड़ैल ने खा लिया है । तो वह छाती पीट-पीटकर रोने लगता है। और गांव के मुखिया से गुहार करता है।


राम कुमार मुखिया जी से कहता है की "हे मालिक देखिए उस राक्षसी ने मेरी सारी गायों को खा लिया" अब मैं अपना गुजर-बसर कैसे करूंगा। और उसके आंखों में तकलीफ के आंसू टपकने लगते हैं। और बाकी गांव वाले इस ख्याल में चिंतित रहते हैं। कि जब वह कल आएगी तो किसका कितना नुकसान करेगी। और कितने गांव वालों को मारकर खा जाएगी। उसकी धमकी सुनने के बाद रात भर कोई गांव वाला नहीं सो पाता। और डर के मारे घर में ही सोता है। अगली सुबह फिर वह चुड़ैल गांव में आती है। और चुड़ैल के गांव में आते ही एक बुजुर्ग उसके सामने आता है। और चुड़ैल से कहता है। "हे चुड़ैल तुम गांव वालों को क्यों परेशान करती हो मैं बूढ़ा हो गया हूं"। तुम मुझे खा लो और चुड़ैल हंसते हुए कहती है। कि मुझे बच्चे और बूढ़ों में कोई फर्क नहीं है मुझे बस इंसानी मांस से मतलब है। मुझे तो अपनी बस भूख मिटा नहीं है। उस बुजुर्ग की हिम्मत देखकर गांव का मुखिया चुड़ैल के सामने और चुड़ैल से कहता है।



वह कहता है "कि अगर तुम इसी तरह हर रोज गांव के इंसानों को मारकर खा जाओगी तो धीरे-धीरे गांव के सभी इंसान खत्म हो जाएंगे"। फिर तुम किसे खाओगी और उसे कहता है कि अगर हम हर रोज तुम्हें खाने में कुछ ना कुछ पकवान बना कर दे दे। तो तुम वादा करो कि इन गांव वालों को नहीं खाओगी। और चुड़ैल गांव के मुखिया की इस बात पर राजी हो जाती है। और कहती है "कि अगर हां मुझे हर रोज अच्छे-अच्छे पकवान खाने को मिलेंगे" तो मैं गांव वालों को नहीं खाऊंगी। और मुखिया की बात पर हामी भरते हुए चुड़ैल जंगल की ओर चली जाती है। और अगले दिन आने का वादा करती है।

गांव के सभी लोग चुड़ैल के जाने के बाद मुखिया जी से सवाल करते हैं। कि आपने चुड़ैल से यह कैसा वादा कर दिया है। वह इतनी विशाल है कि वह हमारी गांव का सारा अनाज खा जाएगी और हम भूखे मर जाएंगे तो मुखिया जी कहते हैं। कि पहले आप मेरी बात तो सुनो वह गांव वालों को समझाते हैं। कि हर घर से प्रतिदिन उसके लिए खाना जाएगा। और धीरे-धीरे हम उसको यहां से भगाने का उपाय भी ढूंढ लेंगे इस तरह हम सब गांव वाले भी बच जाएंगे। और चुड़ैल का संकट भी चल जाएगा और भोजन देने का पहल मुखिया जी अपने घर से करते हैं। अगले दिन चुड़ैल के आने से पहले मुखिया जी अच्छे-अच्छे पकवान बनाकर रखते हैं। चुड़ैल आती है और खुशी-खुशी सारा भोजन कर वहां से चली।


अगले दिन हरिया के घर से चुड़ैल के लिए खाना जाता है। धीरे-धीरे गांव के हर मकान से उस चुड़ैल के लिए भोजन जाता है। वह हर रोज आती और भोजन करके फिर अपने गुफा में चली जाती पर धीरे-धीरे गांव का राशन खत्म होने लगा था। और हरिया की मां कहती है। मुखिया जी हमारे घर का सारा अनाज खत्म होने लगा है। और बच्चों की भूख मुझसे देखी नहीं जाती भूख से मरने से अच्छा हम चुड़ैल के पेट में जाकर मरना पसंद करेंगे। और अगले दिन जब चुड़ैल आती है। तो उसे जब खाना नहीं दिखता तो वह गुस्सा हो जाती है। और जोर जोर से चिल्लाने लगती है।


वह गांव वालों को धमकी देती है। कि अगर उसे खाना नहीं मिला तो पूरे गांव को तबाह कर देगी। और अपने विशालकाय रूप में आ जाती है। और गांव का मुखिया उसके पास बात करने जाता है। और कहता है "कि यह चुड़ैल गांव का सारा राशन खत्म हो गया है"। हम चाह कर भी तुम्हें भोजन अब नहीं करा सकते तो बोलती है। वह की ठीक है अब मैं गांव के इंसान को खाना शुरु कर देती हूं तभी मुखिया का पोता चुड़ैल से कहता है। यह चुड़ैल तू इस जंगल से चली जा वरना अच्छा नहीं होगा मुखिया डर जाता है। और कहता है "बेटा तुम मेरी अकेली संतान हो अगर तुम्हें कुछ हो गया तो मैं रह नहीं पाऊंगा"। तुम अंदर जाओ पर चुड़ैल मुखिया के पोते की बात सुन लेती है। और कुछ हो जाती है। और कहती है "कि  तू बड़ा बहादुर है तुझे खाने के बाद मेरी शक्तियां दुगनी हो जाएगी " मैं तुझे ही खाऊंगी और उसे अपनी गोद में उठा लेती है।

मुखिया का बेटा नरेश चुड़ैल से हंसते हुए कहता है। कि मुझे खाने से पहले मेरी एक अंतिम इच्छा पूरी नहीं करोगी तो चुड़ैल भी बड़े मंदा वाज में कहती है। कि क्यों नहीं करूंगी बिल्कुल करूंगी बताओ अपनी अंतिम इच्छा तो नरेश कहता है। कि मैं वह गुफा देखना चाहता हूं। जहां तुम रहती हो तो चुड़ैल नरेश की अंतिम इच्छा मान लेती है। और उसे जंगल के रास्ते अपनी गुफा की ओर ले जाती है। गांव वाले डर के मारे उसके पीछे नहीं जाते और। मुखिया जी को भी जाने नहीं देते वह लोग समझ जाते हैं कि नरेश अब जिंदा नहीं बचेगा।



जब चुड़ैल और नरेश उसकी गुफा में पहुंचते हैं। तो नरेश्वर जोर जोर से हंसने लगता है। और उसे कहता है "कि तुम इतनी विशालकाय राक्षसी इस छोटी सी गुफा में कैसे रहती हो" और जोर-जोर से किलकारी मार कर हंसने लगता है। और चुड़ैल का मजाक उड़ाने रख चुड़ैल हो जाती है। और अपना आकार छोटा कर नरेश के आकार में आ जाती है। और उसे कहती है" कि मेरे अंदर हर आकार में आने की शक्ति है" नरेश बहुत ही ज्यादा बुद्धिमान रहता है। वह कहता है कि मैं मान ही नहीं सकता तुम अपना आकार और कम करके दिखाओ तो मैं जानू उसकी बातों में आ जाती है। और अपना आकार एक छोटे से कीड़े के समान कर लेती है। और नरेश इस मौके का तुरंत फायदा उठाता है। और उसे उठाकर एक बोतल में डाल कर उसे कैद कर देता है। और खुशी-खुशी उस बोतल को ले जाकर अपने गांव वालों को दिखाता है।


जब नरेश उस चुड़ैल को बोतल में कैद कर गांव वालों के सामने लाता है। तो गांव वाले बहुत पसंद होते हैं और नरेश को शाबाशी देते हैं। मुखिया जी अपनी मूंछ को टाल देते हुए कहते हैं कि यह मेरा पोता है। इसमें सभी गांव वालों की जान बचाई पर गांव वाली इस बात से चिंतित रहते हैं। कि अगर चुड़ैल इस बोतल से बाहर आ गई तो पूरे गांव को बर्बाद कर देगी। तो नरेश गांव के सिरे पर एक बहुत बड़ा सा गड्ढा खोदो आता है। और उस गड्ढे के अंदर उस बोतल को डालकर चुड़ैल को हमेशा के लिए क्या करता है।


तो दोस्तों इस कहानी से हमें क्या शिक्षा मिलती है। कि अगर सही बुद्धि और साहस मनुष्य के पास हो तो बड़ी से बड़ी कठिनाइयों का सामना कर सफलता हासिल कर सकता है।





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2. अपने सच्चे प्यार को अपने बिस्तर तक लाने का सच्चा संघर्ष।

Apne pyar Ko Apne bistar Tak laane ka saccha Sangharsh.




जिंदगी भी बडी अजीब है जिस पल का आप बेसबरी से इंतजार करते हो वो आपकी जिंदगी में कभी आता ही नहीं है और आता भी है तो बहुत टाईम लगता है और जिस पल का आप इंतजार ही नहीं करते ,जो थोड़ा डरावना होता है वह आपकी जिंदगी में बहुत जल्दी आता है और जाने का नाम ही नहीं लेता । इस कहानी में कुछ एेसे मोमेन्ट हैं जिसको अपनी लाईफ से रिलेट करके एक बेहतरीन पहल  को आसान बना सका है। आप शहर  से हो या गांव से हो ।


 इस बात से इसमें थोड़ा सा फर्क पड़ता है लेकिन  बात तो यह है कि यह कहीं ना कहीं एक घटना के रूप में घटित हो सकता है इसलिए अगर आप इस बात को समझ जाए तो क्या आपके लिए बहुत अच्छी बात है। और इस कहानी के पीछे एक कितना सुनहरा मैसेज है जो शायद आपके जिंदगी के लिए बेहतरीन है। यह कहानी एक छोटी सी लड़की आनंदी की है जो छोटे से गांव में रहती थी और उसके पापा खेतों में मजदूरी करते थे। दिनभर खेतों में काम करने के बाद घर पर आते थे पूर्णविराम वे लोग आनंदी से बहुत प्यार करते थे और बहुत दुलार से उसे पाल रहे थे। 


क्योंकि वह चाहते थे कि उसका एक सुनहरा भविष्य उसके साथ जोड़ कर दे क्योंकि उसके पापा एक किसान थी और खेतों में काम क्या करते थे और दिन भर मजदूरी करते और साथ में जो भी उनकी कमाई होती उससे उनके घर का गुजारा चलता था। आनंदी उनकी इकलौती संतान थी पूर्णविराम उनकी कोई दूसरी संतान नहीं थी इसलिए उसके मम्मी पापा वह उनकी आंखों का तारा थी पूर्णविराम उसे कभी अपनी आंखों से दूर नहीं रखना चाहते थे । 



कभी भी खेतों से लौटने के बाद आनंदी दिखाई नहीं देती तो उनके पापा घबरा जाते थे कि आनंदी कहां चली गई। वह भोली भाली लड़की जब स्कूल से घर आती थी तो रास्ते में आते वक्त बारिश में कभी भीगते हुए ,तो कभी कुत्तों के साथ खेलती रहती थी पूर्णविराम उसे अपने भविष्य को लेकर उसे क्या फर्क पड़ता था। खुशहाल में बड़ी हो रही थी पूर्णविराम उसे अपनी जिंदगी के बारे में अच्छा एक्सपीरियंस नहीं था और अच्छा नॉलेज भी नहीं था पूर्णविराम उसे तो इतना भी नहीं पता था कि इस दुनिया में कैसे-कैसे लोग रहते हैं ,दुनिया में कैसे-कैसे माहौल के साथ उसे गुजरना पड़ सकता है।



 लेकिन धीरे-धीरे वह बड़ी हो गई और उसके साथ-साथ उसके अब सपने भी बड़े हो गए। जब वह बड़ी होती गई जब स्कूल से आती थी तो रास्ते में कोई भी उसे घायल या फिर कह सकते हैं कोई कुत्ता हो गया, कोई आदमी ,जो उसे लगे कि बीमार हो उसके पास बैठकर उसमें बातें किया करती थी और उसके दर्द को देख कर उसे छूने की कोशिश करती थी। साथ ही साथ भरेला इस कर दी थी कि वह उसे ठीक कर सकती है। लेकिन वक्त के साथ-साथ किसी ने उसके मन में यह ख्याल डाल दिया कि राज ऐसा उपचार सिर्फ डॉक्टर ही कर सकता है।


 उसके भी मन में ख्याल आया कि बड़ी होकर डॉक्टर बनूंगा और लोगों का दुख दूर करूंगी क्योंकि उसके पास एक मकसद था एक उद्देश्य था। धीरे-धीरे वह पढ़ने में इतनी होशियार थी क्योंकि  उसके पास कोई काम नहीं था वह अपना सारा समय अपने सपनों पर और अकेले में बिताने में ज्यादा टाइम देती थी। दोस्तों के साथ थोड़ा-बहुत खेल जाति और खेलने के बाद घर पर आकर चुपचाप अपने किताबों में लग जाती थी क्योंकि वह अपने एक सुनहरा भविष्य देख रही थी लेकिन कहते हैं ना वक्त के साथ बदलते देर नहीं लगती। कभी कभी वक्त ऐसा पलट जाता है कि ,कभी उम्मीद भी नहीं की होगी वैसा पर आ जाता है। आनंदी ने दसवीं बहुत अच्छा मार्क्स लेकर आए और शायद अपने स्कूल भी बहुत अच्छे मार्क्स लेकर टॉप कर गई थी। 


उसके पापा बहुत खुश हुए और खुश होने के साथ-साथ वह जानते थे कि उसकी बेटी उसके सपनों को जरूर सरकार करेगी। लेकिन सच तो यह है कि वह चिंता करते थे कि उसके गांव में दसवीं के बाद से कोई बड़ा स्कूल नहीं था जहां पर बच्चे अपने आप को बेहतर बनाने के लिए पढ़ाई कर सकें। पढ़ाई करने के लिए स्कूल थे लेकिन शहर में जाना पड़ता था। लेकिन वहां से काफी दूर था क्योंकि शायद आप लोग जानते होंगे गांव में उतने अच्छे कॉलेज नहीं होते जहां पर आप अच्छे तरीके से पढ़ाई कर सकें। यह बात सेम आनंदी के साथ भी था लेकिन वह जानती थी कि आजकल के माहौल में क्या चलता है ।


आनंदी उस टाइम अच्छे नंबर आने के साथ-साथ अपने भविष्य के बारे में सोच रही थी। उसके मास्टर जी उसकी बड़ी हेल्प किया करते थे उसके मास्टर जी ने बताया कि शहर में एक बहुत बड़ा कॉलेज है। आप वहां जाकर अच्छे से पढ़ाई कर सकते हो और वह आपकी जिंदगी के लिए बेहतर हो सकता है ।  बात फिशवीश की कोई दिक्कत नहीं थी लेकिन प्रॉब्लम यह थी कि वह जाएगी कैसे वह विचार कर रही थी। कि मैं अपने पापा से कैसे बात कर पाऊंगी पापा मुझे शहर में जाने है। मुझे पढ़ाई करनी है। क्योंकि वह भी जानती थी कि आजकल के माहौल में क्या चलता है। और आजकल के माहौल में शहर अकेले जाके पढ़ाई करना जोखिम भरा हो सकता है  और उसने भी बड़ा जोखिम भरा यह है। कि वह उसके पापा उसे खुद से दूर नहीं करना चाहेंगे। क्योंकि वह जानते थे कि आजकल के माहौल में बहुत खतरा है ।


लेकिन आनंदी के लिए एक तरफ सपना था। और दूसरी तरफ पापा की प्यार भरी बातें और एक पापा की आंखों का डर लेकिन दोनों के बीच में उसे एक को ही चुन चुन करना था। क्योंकि उसकी भविष्य का सवाल था ,कि उसे भविष्य में क्या करना चाहिए आनंदी देर रात तक सोती लेकिन उसके पास कोई भी जवाब ही मिलने को तैयार नहीं था। कि वह लाइफ में क्या करें पापा की बात माने या पापा से जाकर कह पापा मैं बाहर जाकर पढ़ना चाहती हूं ।,क्योंकि वह जानती है कि अगर पापा से वह यह बात बोलेगी भी तो वह भी यही बात बोलेंगे कि बेटा कैसे जाने दे सकते हैं। ,की जाओ और बाहर जाकर पढ़ाई करो लेकिन हुआ ऐसा ही कुछ वह सुबह उठी और पापा के पास जा कर बैठी ,जाकर बोली कि ,पापा मैं आपसे कुछ बात करना चाहती हूं। 


उसने बोला क्या बात है बोलो, तो उसने बताया कि पापा मैं चाहती हूं। कि मैं आगे की पढ़ाई करने के लिए शहर चली जाऊं उसके पापा कहते हैं। कि बेटा तुम रह लोगी अकेले जाकर हालांकि उस समय हालात कुछ और होगी लेकिन पापा ने बात ही कुछ ऐसी कही कि वह भी रो पड़ी ,यद्यपि पापा मैं जानती हूं । मैं रह तो नहीं सकती लेकिन आनंदी ने थोड़ा सा हिम्मत बढ़ाया और बोली कि पापा मैं चाहती हूं । कि इस गांव के लिए ,समाज के लिए कुछ बेहतर कर सकूं मैं जानती हूं यार थोड़ा मुश्किल भरा है लेकिन मैं इसे कर सकती हूं मैं जानती हूं। कि इस समाज में इतनी सारी अच्छाइयां नहीं है । लेकिन इतनी ज्यादा बुराइयां भी नहीं है । उसके पापा ने बोला बेटा तुम बच्ची हो तुम्हें कुछ नहीं पता समाज के बारे में मैं तुम्हें कैसे अकेले जाने के लिए इजाजत दे दूं तो वहां जाओगी ना कोई तुम्हारे साथ जाने वाला है । ना तुम किसी को जानती हो। सिवाय कुछ लोगों के जो शायद वहां पर जो टीचर हैं, उनसे बात करके जान पहचान पढ़ा सकती हो। 


लेकिन सच तो यह है कि यह बहुत जोखिम भरा है ।बेटा मैं तुम्हें कैसे जाने दे सकता हूं आनंदी वहां पर फिलहाल उदास थी और वह वहां से चुपचाप चली गई। थोड़ी देर बाद उसके पापा आए और उसके पापा आने के बाद बोले बेटा मैं जानता हूं कि तुम भविष्य को अपना बेहतर बनाना चाहती हो हालांकि मैं भी नहीं चाहता कि तुम्हारे फ्यूचर इस गांव के जनजीवन ओके साथ-साथ घर बारी में बीत जाए मैं चाहता हूं कि समाज के लिए कुछ बेहतर करो और अपने सपनों को साकार करो। लेकिन बेटा ध्यान देना और जिंदगी को बेहतर बनाने के लिए काम करना। क्योंकि वक्त के साथ कब विचार बदल जाता है वह मैं नहीं जानता लेकिन मैं एक मजदूर आदमी हूं मैं सिर्फ एक ईमानदारी और सच्चाई से इस जिंदगी को देखा है। मैं चाहता हूं तुम हमेशा इसको जिंदगी के साथ जिओ फोन मे राम और लोगों की जिंदगी को बेहतर बनाने की कोशिश करो और उनका इलाज करो और अपनी जिंदगी में खुशहाली के साथ-साथ तुम जियो फोन में राम आनंदी ने उनसे वादा किया कि पापा ऐसा ही होगा लेकिन सच तो यही है। कि दोनों रो रहे थे क्योंकि दोनों के पास एक डर था क्योंकि वह किसी का सपना था लेकिन सच तो यह है । कि दोनों ही एक ही बात को चाहते हैं। सुबह आनंदी तैयार हो गई शहर जाने के लिए लेकिन ,कहना तो आसान होता है ।


मगर करना उतना ही मुश्किल जो लड़की कभी गांव से बाहर कभी गई ही नहीं ,कभी माहौल को देखा नहीं ,कभी इतना भी नहीं पता है । कि किस तरह के लोग होते हैं ,कितने तरह के भाषाएं होती हैं। क्या भाषाओं का तो कोई भाव नहीं लोगों का कैसा कैसा स्वभाव होता है। ,उनकी कैसी मजबूरी होती है इस बात से बिल्कुल अनजान थी ।लेकिन फिर भी स्टेशन पर बैठ कर रो रही थी रोने के साथ-साथ बार-बार यह कहती कि मैं यह कर सकती हूं । और मैं यह जरूर करूंगी क्योंकि यह मेरे पापा का सपना है। वह स्टेशन में बैठकर उदास होने के साथ-साथ घर से बाहर अपने को दिखा रही थी कि मैं ऐसा जरूर कर लूंगी लेकिन वह जानती थी । कि वह ऐसा जरूर करेगी ट्रेन आकर जैसे ही उसके सामने खड़ी हुई ,आनंदी को अंदर जाना था । आनंदी के पापा उसको छोड़ने गए थे उससे अलविदा कहा और वहां से ट्रेन रवाना हो गई । जैसे ही ट्रेन की पहिया आगे बड़ी आनंदी का दिल रोने के लिए जोर जोर से चिल्ला उठा क्योंकि वह डर रही थी । थोड़ा बहुत कि मेरे साथ आगे क्या होने वाला है, मैं कुछ नहीं जानती लेकिन इस घटना को आप अपनी लाइफ से डिलीट करके देख सकते हैं। क्योंकि हम कभी-कभी ऐसे माहौल में फस जाते हैं जो हमें कभी उम्मीद नहीं किया होता है। यह कहानी सिर्फ उस की तरह है । जिस तरह से आप जानते हो कि ,आगे स्वर्ग है । लेकिन स्वर्ग में जाने के लिए दो  बजे भूतों वाली कमरे से गुजरना होगा। 

अब देखो उस थोड़े से समय कमरे के लिए आपको कितना ज्यादा डर की और हिम्मत की आवश्यकता होगी। इतना ही नहीं मगर बात तो यह है कि ,कोई उम्मीदें हैं कोई सच्चाई है तो आपको डर से फर्क नहीं पड़ना चाहिए ।क्योंकि आप अपनी जिंदगी को बेहतर बनाने के लिए कुछ कर रहे हो। हुआ भी ऐसा ही अगले सुबह उसे जहां जाना था ,को वहां पहुंच गई और जाते ही जाते अपने कॉलेज में शायद उनके पापा ने बात करके रखी थी वहां पर हेड मास्टर कोई जान पहचान वाले थे।


 वह आते ही उस रात उनके कमरे में रुके और अगले ही सुबह स्कूल के लिए सारा जो प्रोसीजर था।। वह उसके लिए शुरू कर दी लेकिन ,जिंदगी के इस बेहतरीन सफर में आनंदी ने काफी कुछ सीखा अपने मनोबल को कितना ज्यादा बढ़ा या आप इस बात को सीख सकते हैं । इसलिए आपको हर माहौल में डालने के लिए तैयार रहो पुणिराम ऐसा ही आनंदी ने भी किया उसने बहुत मेहनत की ,उसने बहुत अच्छे नंबर से पास होने के साथ-साथ टॉप भी किया और साथ ही साथ उसे आगे की पढ़ाई के लिए स्कॉलरशिप भी मिला । और उसने एंट्रेंस एग्जाम दिला कर मेडिकल में दाखिला ले ली। और उसने अपने डॉक्टर बनने का सपना पूरा कर सके और उस उसने लाइफ को दूसरे जरूरतमंदों की मदद करने में लगा । दी इस कहानी से हम यह सीखते हैं। कि हमारे लाइफ में जितने भी मुश्किलों का सामना करना पड़े या संघर्ष करना पड़े तो हमें । अपने सपनों को पूरा करने के लिए संघर्ष करते रहना चाहिए हमें एक न एक दिन सफलता जरुर मिलेगी ।




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मुझे विश्वास है दोस्तों की आपको यह पोस्ट XXX story ( Porn Story )   1. एक चुड़ैल की सम्भोग के बाद चरमसुख प्राप्ति की कथा।  ( Ek chudail ki sambhog ke bad charamsukh ki prapti ki katha.).   /     2. अपने सच्चे प्यार को अपने बिस्तर तक लाने का सच्चा संघर्ष  ( Apne pyar Ko Apne bistar Tak laane ka saccha Sangharsh.) भाई ज्यादा पसंद आया होगा। क्योंकि इस पोस्ट में दो ऐसी रोचक कहानियां है। जिसे पढ़कर आप काफी ज्यादा मनोरंजक महसूस करेंगे । तो मैं उम्मीद करता हूं कि आप इस पोस्ट को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक शेयर करें। ताकि इस मनोरंजन कहानी को सभी लोग पढ़ सके।🙏🙏🙏🙏

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