सेक्स स्टोरी ( एक्स एक्स एक्स ) /। Sex Stories ( XXX )। 1. एक नौजवान युक्ति की पहली बार सेक्स करने की कथा ( Ek naujawan Yukti ki pahli bar sex karne ki katha ) / 2. 18 साल की नौजवान कन्या की प्रेम में धोखा खाने औरअपनी चूद मरवाने की कथा। ( 18 sal ki naujawan Kanya ki Prem mein Dhokha khane aur apni chut marwane ki katha )
सेक्स स्टोरी ( एक्स एक्स एक्स ) /। Sex Stories ( XXX )। 1. एक नौजवान युक्ति की पहली बार सेक्स करने की कथा ( Ek naujawan Yukti ki pahli bar sex karne ki katha ) / 2. 18 साल की नौजवान कन्या की प्रेम में धोखा खाने औरअपनी चूद मरवाने की कथा। ( 18 sal ki naujawan Kanya ki Prem mein Dhokha khane aur apni chut marwane ki katha )
1. एक नौजवान युक्ति की पहली बार सेक्स करने की कथा।
( Ek naujawan Yukti ki pahli bar sex karne ki katha.)
टाइपिंग कोचिंग सेंटर में उदय का पहला दिन था। वह अपनी सीट पर बैठा टाइप सीखने के लिए नियमावली पुस्तिका पढ़ रहा था। तभी उसकी निगाह अपने केबिन के गेट की तरफ गई। कजरारे नयनों वाली एक साँवली लड़की उसकी केबिन में आ रही थी। लड़की उसकी बगल वाली सीट पर आकर बैठ गई। टाइपराइटर को ठीक किया और टाइप करने में मशगूल हो गई। उदय का मन टाइप करने में नहीं लगा। वह किसी भी हालत में लड़की से बातें करना चाह रहा था। वह टाइपराइटर पर कागज लगाकर बैठ गया और लड़की को देखने लगा। लड़की की अँगुलियाँ टाइपराइटर के कीबोर्ड पर ऐसे पड़ रही थीं जैसे हारमोनियम बजा रही हो। क्या देख रहे हो? 'थोड़ी देर बाद लड़की गुस्से से बोली।आपको टाइप करते हुए देख रहा हूँ। यहाँ क्या करने आए हो?टाइप सीखने।
ऐसे सीखोगे? लड़की के स्वर में तल्खी बरकरार थी। मेरा आज पहला दिन है, इसलिए मेरी समझ में कुछ नहीं आ रहा है। आप टाइप कर रही थीं तो मैं देखने लगा कि आपकी अँगुलियाँ कैसे पड़ती हैं कीबोर्ड पर। आपको टाइप करते देखकर लगा मैं भी सीख जाऊँगा। यदि इसी तरह मुझे ही देखते रहे तो आपकी यह मनोकामना कभी पूरी नहीं होगी।'लड़की फिर टाइप करने में जुट गई। उदय भी कीबोर्ड देखकर टाइप करने लगा। टाइप करने में उसका मन नहीं लग रहा था। वे बेचैनी-सी महसूस कर रहा था। दस मिनट बाद ही उसने टाइपराइटर का रिबन फँसा दिया।'रिबन तो फँसेगा ही जब ध्यान कहीं और होगा...।'लड़की उसके टाइपराइटर को थोड़ा अपनी ओर खींचकर रिबन ठीक करने लगी। इसी बीच रिबन नीचे गिर गया। वह उसे उठाने के लिए झुकी तो उसके गले से चुन्नी गिर गई।
रिबन उठाने के लिए उदय भी झुका था। उसकी निगाह अकस्मात ही लड़की के उरोजों पर चली गई। वह सकपका गया। 'लो, ठीक हो गया।' लड़की ने कहा त उसकी चेतना लौटी। लड़की फिर टाइप करने में लग गई, लेकिन उदय का मन टाइप में नहीं लगा। वह लड़की से बात करने की ताक में ही लगा रहा।'मन नहीं लग रहा है?' अचानक लड़की ने उससे पूछा तो बाँछें खिल गईं।'लगता है कि सीख भी नहीं पाऊँगा।'आसार तो कुछ ऐसे ही दिखते हैं।आपका नाम? उदय ने बात को बढ़ाने के लिए सवाल कर दिया। सरिता। अच्छा नाम है। लेकिन मुझे इस नाम से नफरत है। क्यों? कोई एक कारण हो तो बताएँ। यह कहते हुए सरिता अपनी सीट से उठी और पर्स कंधे पर टाँगते हुए केबिन से बाहर निकल गई। उदय उसे जाते हुए देखता रहा। उसके जाने के बाद उसने टाइपराइटर पर डाली। टाइपराइटर उसे उदास लगा। और दुनिया बदल गई इसी दिन से उदय हवा में उड़ने लगा। रातों को छत पर घूमने लगा। तारे गिनता और उनसे बातें करता। चाँदनी रात में बैठकर कविताएँ लिखता। गर्मी की धूप उसे गुनगुनी लगने लगी। दुनिया गुलाबी हो गई तो जिंदगी गुलाब का फूल। आँखों से नींद गायब हो गई। वह ख्यालों ही ख्यालों में पैदल ही कई-कई किलोमीटर घूम आता।
अपनी इस स्थिति के बारे में उसने अपने एक दोस्त को बताया तो उसने कहाँ 'गुरु तुम्हें प्यार हो गया है।' दोस्त की बात सुनकर उसे अच्छा लगा। अगले दिन उदय ने सरिता से कहा कि आप पर एक कविता लिखी है। चाहता हूँ कि आप इसे पढ़ें।'यह भी खूब रही। जान न पहचान। तू मेरा मेहमान। कितना जानते हैं आप मुझे?' जो भी जानता हूँ उसी आधार पर लिखा हूँ।सरिता उसकी लिखी कविता पढ़ने लगी। सरिता,कल-कल करके बहने वाली जलधारा लोगों की प्यास बुझाती किसानों के खेतों को सींचती राह में आती हैं बहुत बाधा फिर भी मिलती है सागर से उसके प्रेम में सागर साहिल पर पटकता है सिर उनके प्रेम की प्रगाढ़ता का प्रमाण पूर्णमासी की रात में उठने वाला ज्वार-भाटा सरिता है तो सागर है सुनिता के बिना रेगिस्तान हो जाएगा सागर सागर के प्रेम में सुनिता लाँघती है पहाड़, पठार और मानव निर्मित बाधाओं को कविता के नीचे उसने उदय की जगह सागर लिखा था। सुनिता ने उसे देखा और कागज उदय की तरफ बढ़ा दिया। उदय ने कहा कि मैं चाहता हूँ कि आप इसे टाइप कर दें। इसे छपने के लिए भेजना है। सुनिता कुछ नहीं बोली। कागज को सामने रखकर टाइप करने लगी। उदय उसे देखता रहा। इस बात का आभास सुनिता को भी था कि उदय उसे ही देख रहा है, लेकिन उसने कोई विरोध करने के बजाय पूछा कि आप कवि हैं?बनने की कोशिश कर रहा हूँ।कवि भगोड़े होते हैं।
सुनिता ने उसकी ओर देखते हुए कहा। उसकी इस टिप्पणी से उदय सकपका गया। कवि अपने सुख के लिए कविता रचता है। रचते समय वह कविता के बारे में सोचता है। उसके बाद वह कविता को उसके हाल पर छोड़ देता है। कविता जब संकट में होती है तो कवि कविता के पक्ष में खड़ा नहीं होता।''यह आप कैसे कह सकती हैं।'मैं समझती हूँ कि आदमी की जिंदगी भी एक कविता है। मेरी जिंदगी एक कविता है। मेरी जिंदगी मुझे अच्छी नहीं लगती। इसलिए कविता भी मुझे अच्छी नहीं लगती।अरे वाह, आप तो कवि हैं। अभी आपने जो कहा वह तो कविता है।कविता नहीं, कविता का प्रलाप है, उसकी वेदना।जो उस कवि के कारण उपजी है, जिसने मेरी जिंदगी की रचना की।' इतना कहकर सुनिता केबिन से बाहर चली गई।कैसी है यह? उदय ने सरिता के टाइपराइटर को देखा।
लगा जैसे टाइपराइटर किसी शोक गीत की रचना में मशगूल है।प्यार की खुशबू आज उन्होंने बातें अधिक कीं। उनके वार्तालाप को देखकर टाइपिंग इंस्टिट्यूट चलाने वाली मैडम ने उनके पास आकर कहा कि आजकल तो तुम काफी खुश हो सरिता। बदले में सरिता केवल मुस्कराई। उदय भी मुस्कराया। तो क्या मेरे प्यार की गंध इसे भी लग गई। अगले दिन सरिता जब इंस्टिट्यूट आई तो काफी सजी-धजी थी। नया गुलाबी सूट पहने थी। बालों का स्टाइल बदला हुआ था। उदय को सरिता का यह बदला रूप अच्छा लगा। वह अपनी भावनाओं को दबा नहीं पाया। बोला, 'काफी सुंदर लग रही हो।' जवाब में जब सुनिता ने मुस्कराते हुए थैंक्यू का फूल जब उसकी तरफ फेंका तो उसकी इच्छा हुई कि वह खड़ा होकर नाचने लगे और जोर-जोर से चिल्लाये कि उसे प्यार हो गया है।ग्रह-नक्षत्रों की चाल।आदमी जब निराश होता है या फिर लक्ष्य के प्रति उसकी स्थितियाँ साफ नहीं होती हैं तो वह धर्म और ज्योतिषी की शरण में चला जाता है। उदय की भी हालत कुछ ऐसी ही थी। वह सुनिता को चाहने लगा था, लेकिन सरिता भी उसे चाहती है यह स्पष्ट नहीं था। वह अपनी बेरोजगारी से भी परेशान था। घर वाले शादी के लिए अलग से दबाव डाल रहे थे। लिहाजा एक दिन वह ज्योतिषी के पास चला गया। नौकरी पाने के लिए वह ज्योतिषी से नुस्खे पूछता रहता है।
उसने सोचा कि प्रेम पाने के लिए भी गृह-नक्षत्रों की चाल जान ली जाए। नौकरी के लिए तो ज्योतिषी कभी कहता है कि आपकी कुंडली में कालसर्प दोष है, जो आपके शुभ कार्यों में बाधक है। इसकी शांति के लिए घर में मोर पंख रखें और प्रतिदिन उसे दो-तीन बार अपने शरीर पर घुमाएँ। सोमवार के दिन चाँदी से बना सर्प का जोड़ा शिवलिंग पर चढ़ाएँ। नित्य श्रीगणेश जी की उपासना करें। धैर्यपूर्वक ऐसा करने पर ही रोजगार प्राप्ति की संभावना बनेगी। विजय ने अभी तक उसके बताए हर नुस्खे को आजमाया, लेकिन आज तक कोई संभावना नहीं बनी। शिकायत करने पर वह कह देता है कि आप पर भाग्येश शुक्र की महादशा चल रही है। शुक्र के बलवर्धन के लिए शुक्रवार के दिन साढ़े पाँच रत्ती का ओपल चाँदी में जड़वाकर दाहिनी मध्यमा में धारण करें।
पंडित जी मेरी कुंडली में प्रेम है कि नहीं ?
है न, बहुत है। कुंडली पर सरसरी नजर डालते हुए ज्योतिषी ने कहा। 'प्रेम विवाह का योग है?'है, लेकिन कुछ बाधाएँ हैं।'प्रेम विवाह में क्या लफड़ा है?आप पर शुक्र की महादशा चल रही है, जो अशुभ फलप्रद है। गोचर में भी आपकी राशि पर शनि की साढ़े साती चल रही है। शनि शांति के लिए प्रत्येक शनिवार कुत्तों को सरसों के तेल से बना मीठा पराठा खिलाएँ। ग्रह शांति के उपरांत ही प्रेम में सफलता की संभावना बन सकती है।सब ढकोसला है। इतने दिनों से आप एक नौकरी के लिए मुझसे क्या-क्या नहीं करवाते रहे। मिलीं नौकरी? साला चपरासी भी कोई रखने को तैयार नहीं।भन्नाया हुआ विजय ज्योतिषी के कमरे से निकल गया। घर पहुँचते ही मम्मी कहने लगी, 'तुम्हारे पिता ने लड़की पसंद कर ली है। उनके दोस्त की बेटी है। बीए करके नौकरी कर रही है।'तो मैं क्या करूँ?शादी कर लो। बिना नौकरी मिले यह नहीं हो पाएगा।फिर तो पूरी जिंदगी कुँआरे ही रह जाओगे। बीवी की कमाई खाने से तो कुँआरा रहना ही अच्छा है।
कहते हुए विजय अपने कमरे में चला गया।जिंदगी आसान नहींएक सप्ताह तक सरिता टाइपिंग स्कूल नहीं आई। उदय रोज आता रहा और निराश होकर वापस घर जाता रहा। आठवें दिन सुनिता के आते ही वह पूछा बैठा कि एक सप्ताह आई नहीं?जिंदगी में बहुत दिक्कतें हैं। कहते हुए सरिता अपनी सीट पर बैठ गई।क्या हो गया? मेरी बहन जो बीए कर रही है किसी लड़के के साथ चली गई। दोनों बिना शादी के ही एक साथ रह रहे हैं।ऐसा क्यों किया?उसका कहना है कि यदि वह ऐसा न करती तो उसकी शादी ही नहीं हो पाती।मतलब?हमारे घर के आर्थिक हालात। इतना कहकर सुनिता चुप हो गई।मुझे नहीं लगता कि आपकी बहन ने गलत किया है। आज की युवा पीढ़ी विद्रोही हो गई है। वह परंपराओं को तोड़कर नई नैतिकता गढ़ रही है।
समय के साथ सब ठीक हो जाएगा।पर माँ तो नहीं समझतीं। हाँ, उनके लिए समझना थोड़ा मुश्किल है, लेकिन आजकल सब चलता है। हमारा समाज बदल रहा है। बिना शादी के एक साथ रहना पश्चिमी परंपरा है, लेकिन अब ऐसा हमारे यहाँ भी होने लगा है।'हाँ,बैठकर सपनों के राजकुमार का इंतजार करने से तो बेहतर ही है न कि जो हाथ थाम ले।उसके साथ चल दिया जाए। चाहे चार दिन ही सही, जिंदगी में बहार तो आ जाएगी।विजय को लगा कि कह दे कि फिर तुम मेरे साथ क्यों नहीं चली चलतीं। हम शादी कर लेते हैं पर वह कह नहीं पाया। 'जानते हो मेरी एक बहन बारहवीं में पढ़ रही है। उसका भी एक लड़के से प्रेम चल रहा है। वे दोनों एक-दूसरे से शादी करने को तैयार हैं। अगले साल बालिग होते ही शादी कर लेंगे।'उदय के मन में आया कि कह दे कि अच्छा ही है। वह अपने आप वर खोज लें तो तुम्हें परेशानी नहीं होगी।
वैसे भी पाँच हजार रुपए की नौकरी में तुम कौन सा राजकुमार उन्हें दे दोगी। अच्छा है कि वह अपने-अपने प्रेमियों के साथ भाग जाएँ।बातों-बातों में एक दिन सरिता ने उसे बताया था कि उसके पिता की मौत हो चुकी है और वह तीन बहन हैं। उसका कोई भाई नहीं है। बहनों में वही सबसे बड़ी है। वह एक ऑफिस में काम करती है और उसे पाँच हजार रुपए मासिक वेतन मिलता है। दूसरी जगह काम पाने के लिए टाइपिंग सीख रही है।उदय को अपने एक दोस्त के साथ घटी ऐसी ही घटना की याद आ गई। उसके दोस्त की एक बहन अपनी बड़ी बहन के अधेड़ से ब्याह देने के बाद प्रेमी के साथ भाग गई। इसके बाद उसका दोस्त गुस्से में उबल रहा था।
तब उदय ने कहा था कि शांत रहो यार। वे दोनों जहाँ हो कुशल से रहें। उसने जो किया अच्छा ही किया। तुम कौन सा उसे राजकुमार से ब्याह देते। आखिरकार जिंदगी उसकी है। जीना उसे है इसलिए निर्णय भी उसे ही लेना चाहिए। दोस्त के बड़े भाई ने भी उदय की बात का समर्थन किया था। लेकिन थोड़ा दार्शनिक अंदाज में कहा था कि होनी को यही मंजूर था। मैं भी सोचती हूँ कि एक बहन ने जो किया ठीक ही है। दूसरी जो करेगी वह भी अच्छा ही है। जीवन यदि संघर्ष है तो करो। प्रेमी से पति बना व्यक्ति भी धोखा दे सकता है। जीवन नरक बन सकता है और माता-पिता का खोजा राजकुमार भी यही करता है। लेकिन माँ नहीं मानतीं। सोचती बहुत हैं और तबियत खराब कर लेती हैं।
पुराने जमाने की हैं न।'हद तो यह हो गई कि वह मुझसे कहने लगी हैं कि तू भी किसी के साथ भाग जा।मैं उन्हें इस हाल में छोड़कर किसके साथ...'रो पड़ी सरिता। विजय की समझ में नहीं आया कि वह क्या कहे और क्या करे। स्थिति को सरिता समझ गई तो खुद पर काबू किया विजय की समझ में नहीं आया कि वह क्या कहे और क्या करे।
स्थिति को सुनिता समझ गई तो खुद पर काबू किया और फिर से टाइप करने लगी।
दस मिनट बाद सुनिता उठी और बिना बोले ही चली गई। उदय की इच्छा हुई कि वह उसके पीछे-पीछे चला जाए, लेकिन वह बैठा रहा और उसे जाते देखता रहा।
मूसलाधारिश में बिजली का गिरना
आसमान में काले बादल घिर आए थे। इस कारण परिवेश में अँधेरा पसर गया था।
आसमान में बिजली चमकती और बादल गरजते। ऐसे मौसम में भी उदय टाइपिंग स्कूल जाने के लिए तैयार था। वह सुनिता से मिलना चाहता था। जब वह घर से निकला तो बूँदाबाँदी शुरू हो चुकी थी। फिर भी वह तेज कदमों से टाइपिंग स्कूल की तरफ बढ़ने लगा। कुछ ही दूर गया होगा कि बारिश तेज हो गई। सड़क पर चल रहे लोग भागकर किसी छाँव में खड़े हो गए पर वह अपनी मस्ती में भीगता हुआ चलता रहा।
इंस्टिट्यूट पहुँचकर उसे पता चला कि सरिता नहीं आई है।
इतनी बारिश में आने की क्या जरूरत थी? मैडम ने उदय से कहा।
आप नहीं समझेंगी। सब समझती हूँ, लेकिन अब सुनिता यहाँ कभी नहीं आएगी।
क्यों? आपको कैसे पता?
'उसका फोन आया था। उसने कहा कि यदि आप आओ तो बता दूँ।'
वह कभी नहीं आएगी? उदय की आवाज किसी कुएँ में से आती लगी।
उदय टाइपिंग स्कूल से बाहर आया। बाहर मूसलाधार बारिश हो रही थी। जैसे ही उसने नीचे की ओर कदम रखा जोर से बिजली चमकी और बादल गरजने लगा।
विजय संज्ञाशून्य सा भीगता हुआ घर की तरफ चल पड़ा।
उसने सोचा कि वह सुनिता के घर जाएगा। लेकिन उसके घर का पता तो मैडम दे सकती हैं। यह सोचकर वापस पलटा लेकिन तब तक टाइपिंग स्कूल बंद हो चुका था।
भीगते हुए घर पहुँचा। तब तक उसका शरीर बुखार से तपने लगा। लगभग पंद्रह दिन वह चारपाई पर पड़ा रहा। जब कुछ ठीक हुआ तो बीसवें दिन टाइपिंग स्कूल पहुँचा। मैडम नहीं मिली। यह सिलसिला पंद्रह दिनों तक चला। सोलहवें दिन उसे मैडम मिली। उसे देखते ही बोल पड़ी कि काफी कमजोर हो गए हो?
उस दिन बारिश में भीगा तो बीमार हो गया।
विजय ने मैडम से सुनिता के घर का पता माँगा तो उसने एक कागज पर लिखा और उदय को थमा दिया। मैडम को धन्यवाद बोलकर उदय चल पड़ा। वह आज ही सुनिता से मिलना चाहता था।
जब वह मैडम के दिए पते पर पहुँचा तो वहाँ ताला लगा था। पड़ोसियों से पूछने पर पता चला कि सुनिता यहीं रहती थी, लेकिन अब मकान बेचकर चली गई है। कई लोगों से पूछने के बाद भी उदय को उसका नया पता नहीं मिला। निराश होकर वह घर लौट आया।
सुनिता के इस व्यवहार से उसे काफी धक्का लगा। उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि सुनिता ने ऐसा क्यों किया?
वह सुनिता की याद में कविताएँ लिखने लगा।
एक दिन उसने एक सपना देखा और उसके भावों को कविता के रूप में कागज पर लिखा...
सुनिता, जो निकली
अपने उद्गम स्थल से
सागर की चाह में चली द्रुतगति से
सामने आ गया पहाड़
टकराने के बाद बदल लिया अपना मार्ग
मार्ग था लंबा
पहाड़ों की श्रृंखला थी
पठार और पथरीली जमीन भी
आदमी भी खड़ा था फावड़ा लिए
बाँध बनाने को तत्पर
खेत सींचने के लिए
चाहिए उसे पानी पीने के लिए भी
बिजली भी तो चाहिए
घर रोशन करने के लिए
कारखाने चलाने के लिए
कारखानों के कचरे को
बहाने के लिए भी चाहिए उसे नदी।
प्रकृति से लड़ते नहीं थकी वह
बहती रही अविरल
दिल में सागर से मिलने की चाह लिए।
भारी पड़ा प्यार अवरोधों पर
पहुँच गई वह साहिल पर
लेकिन मानव ने बना बाँध
रोक दी उसकी धारा
कारखानों की गंदगी उड़ेल
सड़ा दिया उसकी आत्मा को
अपने आँसुओं से धोती रह वह अपना बदन
निर्मलता से मिलना चाहती थी सागर से
विकास उन्मादी मानव ने
रौंद दिया उसकी आत्मा को
जिंदा लाश हो गई वह
उसके लिए तड़पता है सागर।
साहिल पर पटकता है अपने सिर को
उसने तो दम तोड़ दिया मानव के विकास में
सागर भेजता है बादलों को
उसे पुनर्जीवित करने के लिए
वह जानता है बेवफा नहीं है वह
सच्चा है उसका प्यार
कैद है वह मानव के विकास में
बरसते हैं बादल उफनती है नदी
मानव को दिखाती है अपना विकराल रूप
मिलते ही प्यार की ताकत
तबाह कर देना चाहती है वह मानव सृष्टि को
बदला लेना उसकी प्रकृति नहीं
भागती है तेज गति से सागर की ओर
बाँहें फैलाए स्वागत करता है सागर
बताना चाहती है अपने कष्टों को वह
लेकिन कुछ भी नहीं जानना चाहता सागर
जानता है वह मानव स्वभाव को
उसका भी तो पाला पड़ा है इस स्वार्थी प्राणी से
उदय की इस कविता को पत्रिका में छपे एक माह से अधिक हो गया है, लेकिन उसके पास इस बार भी अब तक सुनिता का कोई पत्र या फोन नहीं आया है। उसे उम्मीद है कि एक न एक दिन सुनिता उससे संपर्क जरूर करेगी। जब से वह कविता प्रकाशित हुई है तब से वह फोन की प्रत्येक घंटी पर चौंक जाता है। यही नहीं हर रोज पोस्टमैन का बेसब्री से इंतजार करता है। और जब उसके आने का समय खत्म हो जाता है तो वह उदासी के समुद्र में डूब जाता है।
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Second Story
18 साल की नौजवान कन्या की प्रेम में धोखा खाने औरअपनी चूद मरवाने की कथा।
( 18 sal ki naujawan Kanya ki Prem mein Dhokha khane aur apni chut marwane ki katha.)
कुछ समय पहले की बात है। दिल्ली में रिया नाम की एक लड़की रहती थी। वह पढ़ाई में काफी होनहार और मेधावी थी। उसकी कद काठी और शारीरिक बनावट काफी आकर्षक थी। उसे देखते ही लोगों को उससे प्यार हो जाता था। उसका हुस्न इतना आकर्षित था। कि नौजवान उसे देखकर मोहित हो जाते थे।
रिया ने अपनी 11वीं की कक्षा में टॉप किया था। और कुछ दिनों बाद उसका जन्मदिन भी आने वाला था। तो रिया के पिता जी जो कि काफी प्रसिद्ध बिजनेसमैन थे। उन्होंने अपनी बेटी को एक महंगा सा लैपटॉप लाकर दिया। तोहफे के रुप में रिया ने जब लैपटॉप को देखा तो बहुत ज्यादा प्रसन्न हुई। और उसने अपने पापा से कहा कि पिता जी मैं आपसे लैपटॉप की मांग करने ही वाली थी। और आपने मुझे इसे देखकर बहुत खुश कर दिया और उसकी खुशी का ठिकाना ना रहा है। वह खुशी के मारे अपने कमरे में इधर-उधर कूदने लगी।
फिर रिया के पिताजी ने उसे अपने सीने से लगाया और उसे आशीर्वाद देते हुए कहा बेटा तुम पढ़ाई करो और मैं चलता हूं। मुझे कुछ काम है। रिया बहुत खुश हुई वह इधर उधर कूद रही थी। और अपनी सारी दोस्तों को लैपटॉप मिलने की खुशी बता रही थी। पर रिया तो थी बच्ची ही उसका मन भी चंचल था। लैपटॉप मिलते ही उसने सबसे पहला काम अपना सोशल मीडिया पर अकाउंट बनाकर किया। और सोशल मीडिया पर वह आकर्षित लड़कों के तस्वीरें देखने लगी। और उनकी प्रोफाइल चेक करने लगी। यूं ही प्रोफाइल चेक करते करते उसे एक बहुत ही ज्यादा आकर्षित लड़का दिखा। क्योंकि रिया का बचपन से कोई बॉयफ्रेंड नहीं था।
उसके पिताजी उसके ऊपर काफी ज्यादा सख्त थे। वह स्कूल के अलावा और कहीं बाहर नहीं जा सकती थी। उसके पिताजी घर सारी सुविधाएं उसको उसके घर पर ही देते थे। और बचपन में ही महिला स्कूल में पढ़ने की वजह से रिया का किसी लड़के के साथ वार्तालाप और मिलना जुलना भी नहीं हुआ करता था। तो रिया उस सुडौल और आकर्षित लड़के को देखकर मोहित हो गई। जो कि किसी कंपनी में जॉब करता था। रिया ने तुरंत उसे फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजा। और वह जिज्ञासा के साथ उम्मीद करने लगी कि वह लड़का कैसे भी उसका फ्रेंड रिक्वेस्ट एक्सेप्ट कर ले।
लड़का जिसका नाम राहुल था। वह एक प्राइवेट कंपनी में जॉब करता था। वह जितना जॉब करता था उसका बॉस उतना ही उसका तनख्वाह देता था। मतलब वह जितना कार्य करेगा उतना ही तनख्वाह पाएगा। पर राहुल काफी ज्यादा आलसी लड़का था। जो बिना काम किए पैसे वाला बनना चाहता था। और उसके शौक भी नवाबी थे महंगे कपड़े पहनना, अच्छी-अच्छी गाड़ियों में घूमना और अलग-अलग लड़कियों के साथ बाहर में जाना उसका पेशा था। वह अपने यह सब शौक पूरे करने के लिए। भोली भाली मासूम लड़कियों को पटाता था। और और उन्हें ब्लैकमेल किया करता था। उन्हें ब्लैकमेल कर करके उसे पैसे वसूल ता था। और अपनी आजीविका चलाता था। एक दिन राहुल सिस्टम पर बैठकर ऑफिस का कुछ काम कर रहा था। पर वह उस कार्य को सही तरीके से नहीं कर पा रहा था सुबह-सुबह ही उसके बॉस ने उसे फटकार लगाई थी।
और कहा था कि अगर अब सही समय पर काम पूरा नहीं हुआ तो उसे उसकी तनख्वाह नहीं देगा। राहुल का जेब भी खाली हो चुका था। वह परेशान था और कोई रास्ता ढूंढ रहा था जहां से वह पैसों का प्रबंध करता है। तभी उसे रिया का फ्रेंड रिक्वेस्ट आता है। और वह खुशी खुशी उसे एक्सेप्ट कर लेता है। वह रिया की प्रोफाइल पर जाकर चेक करता है। कि दिया काफी ज्यादा पैसे वाली है और उसके पिताजी एक बड़ी फैक्ट्री के मालिक है। तो उसके मन में तुरंत खुशी की लहर खुद पड़ती है। और वह रिया का फ्रेंड रिक्वेस्ट एक्सेप्ट कर उसे मैसेज कर देता है।
उसी दिन से दोनों दिन में 8:00 से 9:00 घंटे लगातार बातें किया करते थे। सुबह शाम एक दूसरे की ख्यालों में खोए रहते थे। रिया ने सचमुच अपना दिल राहुल को दे दिया था। क्योंकि यह पहली बार किसी के प्यार में पड़ी थी वह मदहोश हो चुकी थी। उसने अपना सब कुछ उसके ऊपर निछावर कर दिया था। और एक दिन यूं ही वह वीडियो कॉल पर बात कर रहे थे तो राहुल ने रिया को कहा, "कि मैं तुमसे कुछ मांगना चाहता हूं" फिर जिया ने कहा हां, "बोलो" फिर राहुल ने जानबूझकर उसे मना कर दिया। और रिया उसे बार-बार कहती रही बोलो बोलो मैं आपको कभी मना नहीं करूंगी। फिर राहुल ने कहा कि, "मैं बिजी हूं" चलो कुछ देर बाद बात करता हूं। और वह वीडियो कॉल बंद कर देता है।
और कुछ दिन राहुल यूं ही रिया को अपने प्यार के जाल में फसआता रहा। और जब राहुल समझ गया कि दिया अब उसके लिए कुछ भी कर सकती है। तब उसने अपना पास ऐसे कि उसने एक दिन यूं ही रिया से कहा की "बेबी मैं तुमको उस हालत में देखना चाहता हूं"। रिया पहली बार में समझ नहीं पाई रिया ने कहा "हम रोज एक दूसरे को तो देखते ही हैं"। पर राहुल ने कहा अरे पगली मैं तुझे नग्न अवस्था में देखना चाहता हूं। तो मुझे प्लीज अपने न्यूड्स भेजो ना रिया पहले तो मना करती है। फिर राहुल रिया को इमोशनल ब्लैकमेल करता है। बोलता चलो ठीक है अब मैं फोन रख रहा हूं। अब मैं तुमसे बात नहीं करूंगा। और धीमी से आवाज में फोन रखने लगता है। तभी दिया उसके प्यार में जो मदहोश हो चुकी थी वह नहीं चाहती थी। कि राहुल से दुखी हो जाए और मैं उसे ना चाहते हुए भी अपनी नग्न तस्वीरें भेज देती है। और राहुल बस यही तो चाहता था। वह तस्वीरों को अपने फोन में सेव कर लेता है।
फिर धीरे-धीरे राहुल या के सारे शरीर की तस्वीरें ले लेता है। वह रिया के स्तन, रिया के कुल्हे, रिया की योनि, सारे शारीरिक हिस्सों की तस्वीरें ले लेता है। वीडियो कॉल में उसके सारे बदन की तस्वीरें वीडियो में उतार लेता है। और उसकी वीडियो को मास्टरबेशन करते हुए। और ओरल सेक्स करते हुए सारी वीडियो को रिकॉर्ड कर अपने फोन में इकट्ठा कर लेता है। धीरे-धीरे वह प्रिया की अकेले मास्टरबेशन करते हुए पोर्न वीडियोस बनवा लेता है। और सिर्फ अपना गंदा खेल प्रारंभ करता है।
वह धीरे-धीरे रिया से पैसों की डिमांड करता है। रोज 10000-15000 किसी दिन उसके गहने हर दिन बदल बदल के रिया से पैसों की डिमांड करता है। और रिया खुशी-खुशी अपने सारे पैसे गहने उसको दे देती है। एक दिन राहुल एक साथ रिया से ₹100000 की डिमांड करता है। तब जिया उसे कहती है कि "नहीं मेरे पास पैसे नहीं है" मैंने अपने सारे पैसे सारी शेविंग्स तुम्हें दे दी है। तो वह राहुल उसके ऊपर क्रोधित हो जाता है। और कहता है "नहीं मुझे तुमसे पैसे चाहिए मतलब चाहिए मुझे बहुत ज्यादा सख्त पैसों की जरूरत है" और उससे गुस्सा हो जाता है। तो बोलती है नहीं मेरे पास पैसे नहीं है। उनको जो करना है कर लो तो राहुल उसको धमकी देता है। कि उसकी सारी नंगी तस्वीरें और पोर्न वीडियोस वह सोशल मीडिया पर वायरल कर देगा। और उसके पिता को दिखा देगा और बड़े ही छाती ठोक के कहता है। कि तुम्हारी इज्जत को बचाने के लिए तुम्हारे पापा मुझे खुशी खुशी लाखों रुपए दे देंगे।
तब जाकर रिया को अपनी गलती का एहसास होता है। वह सोचती है कि मैंने ऐसा किया ही क्यों उसकी आंखों से आंसू बहने लगते हैं। ना चाहते हुए भी उसे राहुल की हर बात माननी पड़ती है। अररिया इसी तरह राहुल के जाल में फंस जाती है और विवश होकर टूट जाती है। अभी तक तो राहुल के पास बस यह की मास्टरबेशन की ही वीडियोस थे। धीरे-धीरे वह रिया को ब्लैकमेल करते करते उससे शारीरिक संबंध भी बना लेता है। वह हर रोज रिया को बुलाकर उसका शोषण करता है। और उसके साथ हर रोज वीडियो बनाता है। वह हर रोज रिया के साथ अलग-अलग तरीके का सेक्स करता है। उसका उत्पीड़न करता है। उसे मारता था और उसकी योनि में गरम गरम पदार्थ भी डाल देता था। एक दिन जब या परेशान हो गई तो उसने सारी दास्तान अपने पिता को बताया। और उसके पिता ने दिमाग का इस्तेमाल कर राहुल को क्राइम ब्रांच के द्वारा पुलिस के हवाले कर दिया। और अपनी बेटी को राहुल के चुंगल से आजाद कराया।
Moral - इस कहानी से हमें क्या शिक्षा मिलती है कि बिना किसी से जान पहचान किसी को अपना दिल नहीं देना चाहिए और सोशल मीडिया वाले प्यार से दूर रहना चाहिए।
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मुझे विश्वास है दोस्तों की आपको यह पोस्ट सेक्स स्टोरी ( एक्स एक्स एक्स ) /। Sex Stories ( XXX )। 1. एक नौजवान युक्ति की पहली बार सेक्स करने की कथा ( Ek naujawan Yukti ki pahli bar sex karne ki katha ) / 2. 18 साल की नौजवान कन्या की प्रेम में धोखा खाने औरअपनी चूद मरवाने की कथा। ( 18 sal ki naujawan Kanya ki Prem mein Dhokha khane aur apni chut marwane ki katha ) बहुत ज्यादा पसंद आया होगा। क्योंकि इस पोस्ट में दो पानी निकाल देने वाली सेक्स स्टोरी है। इसको अगर आप पूरा पड़ेंगे तो आपके तन बदन में आग लग जाएगी और अलग से ऊर्जा संचालित होगी। तो दोस्तों मैं आप सब से बस यही गुजारिश करूंगा कि इस पोस्ट को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक शेयर करें। ताकि लोगों को इन कहानियों को पढ़ने का आनंद मिले।
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