नई नवेली दुल्हन की अलग-अलग मर्दों से सेक्स करवाने की कथा। ( Nai naveli dulhan ki अलग-अलग mudraon mein sex karne ki katha.). / 2. पैसे की लालच में श्याम बनाता है अपनी ही बीवी का दलाल और उसे बना दिया एक वैश्या। ( Paise ki lalach bhi Shyam banta hai apni hi Biwi ka Dalal aur use banaa deta hai ek veshya. )
1. नई नवेली दुल्हन की अलग-अलग मर्दों से सेक्स करवाने की कथा। ( Nai naveli dulhan ki अलग-अलग mudraon mein sex karne ki katha.). /
2. पैसे की लालच में श्याम बनाता है अपनी ही बीवी का दलाल और उसे बना दिया एक वैश्या। ( Paise ki lalach bhi Shyam banta hai apni hi Biwi ka Dalal aur use banaa deta hai ek veshya. )
1. नई नवेली दुल्हन की अलग-अलग मर्दों से सेक्स करवाने की कथा।
Nai naveli dulhan ki अलग-अलग mudraon mein sex karne ki katha.
आज संजीवनी त्याग है शायद इतनी गर्मी में भी बारिश की छोटी-छोटी बूंदे बेचैन मन को आश्वासन सी दे रही थी । लेकिन प्रिया जानती है कि इसके बाद चिपचिपे पसीने का एक बार शुरू होने वाला है पर उससे क्या ?जब बादलों से भरे और सोंधी सी हवा से भरे यह पल मन को सुकून दे रहा है तो क्यों नहीं इसका आनंद उठा लिया जाए । तो क्या यही प्रिया को सिर्फ आज में जीने की आदत ने प्रिया को कुछ यूं ही चला है कि समय रेत की तरह उंगलियों के बीच से निकल गय।
दुलार दुलार भरा बचपन स्कूल कॉलेज के वे मस्त दिन और कुछ बनने के ढेर सारे सपने ,इंजीनियरिंग करके नासा में नौकरी भी करना था और भारतनाट्यम का पूर्ण प्रशिक्षण भी लेना था ।छुट्टी में ड्रेस डिजाइन भी सीखनी थी औरजाने कितनी रोमांचक स्पोर्ट्स भी सीखने थी अचानक ऐसा हुआ कि उसके नूतन सर ने उसकी दुनिया ही बदल दी ।
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प्रिया ने उनको देखा तो देखता ही रह गई बिल्कुल फिल्मी हीरो जैसे चौड़ा सीना और स्टाइलिश रहन सहन। पता ही नहीं चला उनका मन कब उसके घुंघरालू बालों में बह गया। उसके प्रति उनकी आंखों में आकर्षण को बढ़ते हुए नूतन सर ने कोई गलती नहीं की थी ।बीच-बीच में वह उसकी तरफ देख कर मुस्कुरा देते तो वह धन्य हो जाती इस लगाओ ने उसके समूचय व्यक्तित्व को भी बदल कर रख दिया था कि प्रिया चुप सी हो गई ।इंजीनियरिंग और भरतनाट्यम की जगह अपनी खूबसूरती को संभालने नए नए फैशन व कपड़े की जानकारी और जीवन शैली ने ले ली थी ।
नूतन सर का कॉलेज आना जल्दी बंद हो गया ।पर उन लोगों का मिलना जुलना चलता रहा हां भाई भैया को नूतन बिल्कुल पसंद नहीं आए थे प्रिया की ज़िद पर पापा उनके यहां रिश्ता लेकर गए पर ,वह तो कुछ बात आगे बढ़ाने की वजह ना खुशी होकर आ गएउनको ना उनके यहां का रहन-सहन पसंद आया था और उन्होंने अपने बेटे को इस तरह से बेरोजगार बेटे के लिए लंबे चौड़े दहेज मांग कर ताबूत में डाल दिए थे ।
पापा को अपनी लाडली बेटी के लिए कुछ भी देने में परेशानी नहीं थी ।पर अगर कोई सिर्फ दहेज की ही बात कर रहा हो ,तो वह तो सही आदमी नहीं हो सकता ना पापा ने उसे पास बैठा कर बड़े ही प्यार से समझाया था ।बेमन से ही सही प्रिया ने उनकी बात मान ली थी और नूतन की रट लगाने भी छोड़ दी पर उसके एक बात समझ में नहीं आई कि इस घटना के बाद उसके घर वाले उसकी शादी करने की जल्दी की गई कि उसके लिए नमन जैसे लड़के को ले आए चेहरा में ऐसा कुछ भी नहीं कि दोबारा उस पर नजर डालनी पढ़े ना बातचीत का कोई स्टाइल, उधर मम्मी ,पापा ,भैया सब उस पर लट्टू ही हुए जा रहे थे ।
अगर बड़े सर का भी अफसर होते तो बड़े ही रूप दार दिखते ये भी कोई बात हुई कि पुरानी सी गाड़ी, अपने ही चला कर चले आए ।उनकी मां, पिताजी ,छोटी बहन किसी की कोई पर्सनल है कि नहीं प्रिया को पता था कि नमन जैसे लड़के को सात जन्म लेने पर भी प्रिया जैसी लड़की नहीं मिलेगी ।तो लोगों को तो उसे पसंद करना ही था पर उसका क्या ?अगर नूतन की सादगी और उसके चर्चे चलते रहते तोऔर उसके आगे बढ़ने का किसी ने नहीं सुना।
फिर जब रोज रात में चुपके चुपके नमन के फोन आने लगे जिसमें उसकी खूबसूरती की तारीफ होती ,तो कभी हनीमून के लिए, उसकी सुंदरता का जिक्र होता और वह ठीक-ठाक सा ही लगने लगा और उसने स्वयं को वक्त की लहरों की आगे छोड़ दिया विवाह कर ससुराल आई तो घर के सारे लोग सचमुच ही सीधे और अच्छे लगे। सास ने 19 वर्षीय बहू पर ज्यादा जिम्मेदारी छोड़ना उचित नहीं समझा और नमन दिन भर घर के बाहर रहते थे अतः प्रिया को अपने लिए समय ही समय था ।शादी को लगभग साल भर बीत चुका होगा ।जब बाजार में नूतन सर से भेंट हो गई थी।
हालचाल पूछते हुए उन्होंने उसका मोबाइल नंबर ले लिया और रोज फोन करने लगे थे ।अब जाकर प्रिया को लगने लगा था कि गलती तो उसके पापा की ही थी ,जिन्होंने भैया की बातों में आकर दो प्रेम करने वालों को अलग कर दिया ।अब क्या करें प्रिया वह तो अब चक्रव्यूह में फंस चुकी है ।नूतन जैसे सुदर्शन पुरुष उसके लिए बाहें फैलाए बैठा रहा और वह नमन के साथ बांध दी गई ।
नमन और उससे संबंधित अब हर चीज में कमी कमी लग लगने लग गई ।उधर नूतन की व्यक्तित्व और बातों का सुदर्शन दर्शन उसके सिर चढ गया थाबॉर्डर कर बोलने लगी भला कब तक वह दो नावों में पैर चढ़कर रहने लगेगी ,कोई कठोर निर्णय तो उसे लेना ही पड़ेगा ।फिर वह उस दौर के लिए गए फैसलों के तहत व उपेक्षित नमनको बिना कुछ कहे वह एक दिन नूतन के घर चली गई ।आज सोचती है तो लगता है कि उसकी जिंदगी कर लिया गया यह कदम गलत लगता है ।पर कुछ उल्टा नहीं क्योंकि नूतन सर के बार बार इशारा करने पर भी उसने ना कोई रुपए और गहने लिए थे ना कोई कीमती सामान बस दो हजार रूपयों के साथ वह तो ऐसे चली आई थी जैसे मानो सिनेमा हॉल जाने को निकली हो ।
नूतन बहुत नाराज थे ......तुम्हें पता है ना अभी मेरे पास कोई काम नहीं है। कैसे संभाल लूंगा तुम्हें तुम्हारे अपने खर्चे पर पैसे तो तुम्हें लाने में चाहिए थे । पर प्रिया की कोई खर्च नहीं कहां बिल्कुल साधारण तरीके से रह सकती है अभी कोई नौकरी कर लेगी और अपनी पहली तनख्वाह से नूतन को मोटरसाइकिल गिफ्ट करेगी ।वह उनका सारा ख्याल रखेगी और दुनिया के सामने उनकी प्यार का मिसाल होगा ।पर शुरुआत से ही कड़वाहट से हो गई थी नूतन उसकी तरह से नहीं सोच रहे थे ।
उन्होंने तो उसे मानो हकीकत के धरातल पर ऐसे ला पटका .....कि फोन पर ऐसे लाचार दिखाते कि मानो उसके बिना जिंदा नहीं रह पाने वाले नूतन तो अब उससे सीधे बात करने के मूड में नहीं थे ।राजकुमारी की तरह पली-बढ़ी प्रिया को अब समझ आने लग गया था कि वह क्या गलती कर रही है। डांट डपट कर अब कुछ क्षणों में मारपीट में बदल गई थी ।अब वह समझ गई थी कि नमन के प्यार भले दुलार और नूतन के बलात्कार में क्या फर्क है ।
अपने पराए का फर्क देख कर बहुत दुख बहुत सकती थी अब वह नूतन चाहते थे कि वह अपने पिताजी को फोन लगा कर आते की स्थिति से मदद लें पर अब कोई भी कदम लेने से पहले वह अपनी स्थिति को सोच समझ कर फैसला लेना चाहती थी ।आप और भैया से उसे कितना डर भी तो लगता था ।ऐसा थोड़े ही ना था कि को फोन करेगी आप आप पैसे ले कर आ जाएंगे ।पता नहीं अब उससे बात करेंगे भी या नहीं क्या वहां से वापस जा सकेगी !उस दिन पापा को आए देखकर वह कितनी खुश हो गई थी जैसे मानोगे बुरा सपना देख कर नींद खुल गई हो ।
अब बस वह यहां से जाना चाहती है उनकी हर बात मानना चाहती है ।पर लोटन ने उसे अपने कमरे में बंद कर अपने बिजनेस के लिए दस लाख रुपए मांगने की धमकी देकर रखा था ।पापा की नजरों का वह पराया बन और कठोर भरी हाथों के थप्पड़ से निशान 3 दिन तक कालू पर बनी रहे थे और वह टूटे विश्वास की उसके पापा उससे सारे संबंध तोड़ कर लौट गए और साथ ले गए उसका सारा बचपना समझ गई थी वह कि सब कुछ समाप्त हो चुका है वह पूरी दुनिया में अकेली हो चुकी है ।
उसने वास्तविक स्थिति को स्वीकार कर लिया ।नौटंकी वासना पूर्ति और उनकी सास की नौकरानी ,जो जैसे ना चाहता नाचती रही आप का आश्वासन ऐसे टूटा कि उसके दिमाग में ही नहीं आया कि जैसे नमन को वह छोडी ,नूतन को क्यों नहीं छोड़ पा रही है ।यह बहुत भयंकर शराब की आशंका थी, कि वे लोग उसे कुछ लाख आरोपियों के लिए बेच भी आते तो वह उसे अपने कर्मों का फलसमझ लेती । छ: महीने बीत चुके थे ,वह सूखकर कांटा हो चुकी थी ,रंग सांवला और आंखें कटोरों में घुस चुकी थी एक दिन पता चला कि इस दुनिया में चमत्कार भी होते हैं ।
उसे तो पता ही नहीं चला कि नमन को कैसे पता चला कि वह नूतन के साथ खुश नहीं है ।उन्हें सा अचानक सामने पाकर उसे लगने लगा था कि वह तलाक के कागजों पर साइन लेने आए होंगे पर उन्होंने देखा कि सामने तो पुलिस को साथ लेकर अपनी पत्नी को छुड़ाने और यंत्रण और बलात्कारों के जुर्म पर उन्हें गिरफ्तार कराने आए थे किसी देवदूत की तरह का उसे बुरे सपनों से बाहर ले आए थे और एक बार फिर प्रिया ने अपने आप को समय के लहरों पर से शिथिल छोड़ दिया था ।
नमन के घर पहुंच कर अवश्य वह 1 दिन भूखी प्यासी कोनों में पड़ी रही ।फिर धीरे-धीरे अपनी स्थिति समझ में आने लगी कि नमन के माता पिताऔर बहन कोई भी उसे घर पर रखने के लिए तैयार नहीं थे वे उसे तलाक लेने के लिए कह रहे थे। पर ना जाने क्यों ,नमन बिल्कुल ही चुप रहने लगे थे ।उनका गंभीर चेहरा देखकर किसी को कुछ अंदाज ही नहीं होता था कि वह क्या सोच रहे हैं ।
पर भी कुछ बोल ही नहीं रहे थे तो घर वालों ने प्रिया के पूर्ण उपेक्षा का निर्णय ले लिया । वह समझ गई थी कि उसके घर वाले ही उसका हाल खबर पूछने के लिए नहीं आया तो यहां किसी को क्या पड़ी थी ।अगले दिन नमन ऑफिस से लौटकर आए और कमरे में अपना बैग एक तरफ कुर्सी में रखकर निढाल से बैठ गए ।उसकी ननंद एक प्यारा सा चेहरा लेकर चली गई थी ।उसका टूटा और निर्जीव सा चेहरा कितना बुरा दिखने लगे है नमन ,प्रिया के मन में उनके लिए ढेर सारा प्यार और मरने लगा
।वही तो जिम्मेदार है इसकी कितनी बड़ी गलती हो गई है इससे कुछ देर उनको ऐसे ही निहारने के बाद वह धीरे से उठी और उनके पैरों के पास आकर बैठ गई । मेरी गलती माफ करने लायक नहीं है ना नमन उन्होंने धीरे से आंखें खुली हुई थी कितना दर्द था उन आंखों में। मैं कभी भी तुमको पसंद नहीं था ना प्रिया !बहुत बड़ी भूल हो गई मुझसे मैंने आपका मोल कभी नहीं समझा नमन जी ।जिसके सर पर असली हीरो का ताज सजा हुआ था वह नकली नकली पत्थर तलाशने चल पड़ी मुझे माफ कर दीजिए पर रतन या सब कुछ नहीं सुनना चाहते थे।वे उठकर कमरे से बाहर निकल गए ।उनका स्वभाव ऐसा हो गया था कि घर के लोग या प्रिया कुछ भी कहने की कोशिश करते तो वह चले जाते।
सुबह सवेरे ही वह ऑफिस निकल जाते और लौटकर घंटों लॉन में टहलते रहते हैं ।कोई उन्हें समझाने की कोशिश करता था तो गले से आधी रोटी जो वह उसे भी छोड़कर हट जाते उनकी हालत देखकर प्रयाग जर्जर होती पर उन्होंने तो एक नजर उठाकर उसे देखा भी नहीं । जिंदगी यूं ही तो नहीं कटेगी प्रिया ने सबका दिल जीतने के लिए घर के कामकाज अपने ऊपर लेने की कोशिश की है सभी लोगों से अलग-अलग माफी भी मांगी। पर वह क्या करें उसे कोई बात ही नहीं करना चाहता था तो कुछ ऐसा कुछ नहीं था ना निकल जाइए संभालता बनाने के लिए कुछ ना बोलना ही सबको आसान लगता था शायद !दर्शन अनुप्रिया का मन भी बैठा हुआ था कि कब नमन का मन पिघले और वह घर वालों की बात मान ली और किसी अच्छी सी लड़की से शादी कर लेंगे फिर वह क्या करेगी सुनंदा के मन में अजीब सा ख्याल बैठा था ।
क्या करें वह कहां चली जाए वह तो नमन से बस इतना कहना चाहती थी कि भले ही वह मारे पीटे प्रताड़ित करें पर कुछ भी नहीं करेगी वह तो उन्हें की खुशी ।अगर उसे सामने पाने से वह असहज हो जाते हैं तो उनके सामने पड़ने से बचेगी ।यही उसकी सजा भी होगी प्रायश्चित भी ।सुनंदा अपना सामान समेटकर बाहर वाले छोटे घर के कमरे में आ गई थी अगर हर समय गिराने से माफी नहीं मिलेगी तो उसे समय पर छोड़ना होगा। सोचना ही पड़ेगा कि वह भविष्य में स्वयं को कहां पर देखना चाहती है ।
अगर दीनता की प्रतिमूर्ति नहीं बनना है तो अपने अंदर वह शक्ति संचित करनी होगी कि लोग उसकी इज्जत करने को मजबूर हो जाए ।जीवन की दिशा देना है तो अपने पैरों पर खड़े होने की जरूरत पहले थी घर के पास एक छोटे से स्कूलों में अपनी नौकरी का इंतजाम कर प्रिया ने कॉलेज में एडमिशन भी ले लिया ।
पढ़ाई तो बीच में ही छूट गई थी शायद उसे ही पहले करना होगा तभी आगे कुछ सोचना संभव होगा ।अमन अमन के सामने पड़ने से बचने के लिए कभी-कभी दुख कीउस मूर्ति का दर्शन करते रहते जिसके लिए वह स्वयं जिम्मेदार थी ।उनकी उदास होती उसे और मेहनत करने के लिए उक्साती थी ।उसी कड़ी मेहनत के बाद एक दिन ईश्वर उसे पसंद हो गए ।प्रोबेशनरी ऑफिसर की परीक्षा पास कर ली थी उसने और अब जल्दी किसी बैंक में उसे नौकरी में मिल जाने वाली थी ।कमरे के कोने में रखे उसी कुर्सी पर बैठी थी नमन जब वह उनके हाथों में रिजल्ट रखकर वहीं जमीन पर बैठ गई थी जैसे मानो उनके बगल में बैठने की हंसी अच्छी नहीं थी ।खामोशी से कागजों को इधर-उधर पलटते हुए गंभीर स्वर में मोर बोले ,मैं तुम्हारे भविष्य के लिए परेशान हां लेकिन तुम अपने पैरों पर खड़ी हो सकती हूं अब मैं बिना किसी परेशानी के तुम्हें अपनी पसंद का जीवन साथी तूने की सलाह दे सकता हूं ।
चौक उठी थी वह तो क्या इससे पहले विदा करके अपने लिए सोचने वाले हैं वह !पर जो भी हो किसी चीज के लिए शिकायत करने की स्थिति में तो नहीं है मेरी पसंद की बात छोड़िए नमन जी उसे तो अपनी नादानी से खो दिया है मैंने ।पर मेरी वजह से कब तक आप शापित जीवन जाएंगे ।सबकी बात मान क्यों नहीं लेते आप प्रिया ने उठा तो धीमी धीमी आवाज मैं खोए खोए हुए से वह बोले 1 दिन में स्वार्थी हो गया था कि तुम्हें तुमसे बिना तुम्हारी पसंद बिना पूछे ले आया तुम्हें ।पर अब तुम जिसको भी चाहो मैं तुम्हारी मदद करूंगा तुम्हारा यह उतरा हुआ चेहरा मुझसे नहीं देखा जाता ।तुम्हें खुश रखने के लिए कुछ भी कर सकता हूं मैं न मन की आंखें मैं नमी थी प्रिया समझ गई थी कि अस्वीकार की वजह से वह डर रही थी ।अगर नमन किसी दिन से मुक्ति पाने का निर्णय ले लेंगे तो दोनों को ही इस बात का पहल था ।
दोनों में इस बात से डर रहे थे ।इसी के साथ भागी हुई पत्नी को बिना इच्छा के ला कर रखा तो सही और साथ ही ऐसा माहौल बने नहीं दिया की कोई उसे कुछ भी कह सके ।एक ही घर में कुछ समय से रहते हुए उस निर्णय का इंतजार कर रहे हैं आज भी चयन का अधिकार उसे ही दे रहे हैं। पल भर में वह उदासी के उसके घर से बाहर आ चुकी थी अब तो महसूस हो रहा था कि दुनिया की सबसे सौभाग्यशाली स्त्री है वह और ईश्वर ने जो उसे दिया है वह तो किसी और के पास नहीं होगा बरसों से धूल साफ हो गई तो तो चमकदार धूप अंतर तम के कोने में कोने में जाकर पसर गयी ।
प्रिया के आवाज में चपलता थी जीवन साथी तो मेरे पास है बस उसकी दायित्व से उसके प्यार तक का सफर बन्ना बाकी है ।इसी बात समझने में नमन से कुछ समय लगा था फिर वह उठे और प्रमोद सर वही उसके पास जमीन पर बैठ गए ।प्रिया के हाथों को पकड़ने करने लगे मुझे तो सिर्फ तुम चाहिए थी ।ना किसी की परवाह है और न समाज के सारे बस तुम कह दो कि मैं तुम्हें पसंद हूं ।इस बार मुझे मत निकालना मैं बर्दाश्त नहीं कर पाऊंगा तुम्हारी कसम पर खरा उतरने के लिए मैं कुछ भी कर सकता हूं । जानती है वह पता है उसको ,ऐसा था कि प्यार का आंचल में समेट कर दी व असहाय थी पर अब अपने इस फोटो को संभाल कर रखना उसे आता है आपने विश्वास किया और हाथ पकड़कर नमन और फिर सास ससुर के कमरे मैं जाकर उनके पैरों पर झुक गई ।हमें नए जीवन का आशीर्वाद दीजिए पापा ।
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2. पैसे की लालच में श्याम बनाता है अपनी ही बीवी का दलाल और उसे बना दिया एक वैश्या।
Paise ki lalach bhi Shyam banta hai apni hi Biwi ka Dalal aur use banaa deta hai ek veshya.
बहुत समय पहले की बात है एक छोटे से गांव में एक साहूकार का राज चलता था। वह छोटी कद बड़े पेट वाला और शक्ल से ही काफी लालची सा मालूम होता था। वह गांव वालों को ब्याज में पैसे देता था। और अगर वह उसके पैसे समय पर नहीं लौटा पाते तो उनकी खेत और घर हड़प लिया करता था। वहां की पुलिस और वहां के बाकी जमीदार भी उससे मिले हुए थे। और ब्याज की रकम भी लगभग 50 टका लिया करता था।
साहूकार अपने साथ हमेशा एक पहलवान को लेकर चलता था। जिसका नाम सूरज था। उस पर बहुत ज्यादा विश्वास करता था। वह उसका सारा खाते बही का हिसाब रखता था पैसों का हिसाब रखता था। और उसके बोले हुए सारे काम करता था। और साहूकार हमेशा सूरज के काम से खुश रहता था। और साहूकार की हर जायज और नाजायज काम बिना पूछे कर दिया करता था। एक हिसाब से वह साहूकार की लाठी था।
एक दिन रामू नाम का किसान साहूकार के पास पैसे मांगने के लिए आता है। पर साहूकार उसको पैसे देने से साफ-साफ इंकार कर देता है। फिर किसान कहता है कि मालिक मैंने आपको अपनी जमीन के कागज और घर के कागज दे दिए हैं। मैं उसकी आवज में कुछ और पैसे लेना चाहता हूं। तो साहूकार बड़े क्रोधित होकर बोलता है कि तुमने इतने पैसे लिए हैं। उससे कम कीमत की तुम्हारे जमीन और मकान है। और साहूकार उसको बेइज्जती के साथ भगा देता है। और किसान रोते हुए साहूकार के यहां से चला जाता है। और थोड़े ही देर बाद श्याम साहूकार के पास आता है। और साहूकार को नमस्कार करते हुए साहूकार हाथ जोड़ता है। तो साहूकार श्याम का स्वागत बड़ी खुशी खुशी करता है। और कहता है "कि आओ श्याम बैठो" और सूरज को उसके लिए कुछ चाय नाश्ते का प्रबंध करने को भेजता है।
श्याम साहूकार को चाय नाश्ते के लिए मना कर देता है। और साहूकार से कुछ रुपयों की मांग करता है। और साहूकार खुशी खुशी शाम को पैसे सूरज के द्वारा दिलवा देता है। सूरज बिल्कुल भी नहीं समझ पाता कि साहूकार शाम को पैसे किस लिए दे रहा है। क्योंकि श्याम ने साहूकार से काफी ज्यादा ब्याज और पैसे पहले ही ले लिया था। और उसके पास जमीन भी नहीं थी और मकान के कागज वह पहले ही साहू आर के पास रख चुका था। फिर भी सूरज ने बिना सवाल किए हुए श्याम को पैसे लाकर दे दिए। और शाम बड़ी खुशी खुशी वहां से चला गया।
कुछ दिन बीत जाने के बाद शाम फिर साहूकार के पास आया। और साहूकार से पैसे की मांग की और फिर साहूकार ने बिना सोचे समझे शाम को जितने पैसे मांगे खुशी-खुशी दे दिए। और सूरज फिर नहीं समझ पाया इस साहूकार आखिर श्याम पे इतना मेहरबान क्यों है। बिना जमीन और बिना मकान के कागज की और उसके उसके पैसे क्यों दे रहा है। और बस जब वह पैसे देता तो वह शाम से बस एक ही बात कहता कि वह राजी हुई कि नहीं कि वह राजी हुई कि नहीं।
एक दिन जब शाम पैसे घर लेकर पहुंचता है। तो श्याम की पत्नी उसे पूछती है की साहूकार आपके ऊपर इतना मेहरबान क्यों है? आपको बिना सामान रखे वह इतने पैसे क्यों देता है। श्याम बोलता है "कि तुम आम खाओ गुठली आप क्यों गिनती हो" जाओ यह पैसे लो इसे अच्छे अच्छे खाने की चीजें लाओ। और मिलिए पकाकर खिलाओ मुझे बहुत तेज भूख लगी है। श्याम की बीवी को बिल्कुल अच्छा नहीं लगता। वह चिंतित रहती है। कि आखिर साहूकार उसके ऊपर इतना मेहरबान क्यों है। श्याम कैसे दोस्त चाहे उतने पैसे आना चाहता था। एक दिन जब श्याम साहूकार ने कहा कि ज्यादा पैसे ले लिए हैं। और अपनी बीवी को मेरे पास नहीं भेजा। यह बात सुनते ही उसके दिमाग में सब कुछ साफ-साफ सामने आ जाता है। श्याम की बीवी से शारीरिक संबंध बनाने के लिए उसे पैसे दे रहा था। और उसके ऊपर इतना मेहरबान इसीलिए है।
श्याम इस बात से फिर काफी ज्यादा डर गया। क्योंकि उसने अभी तक अपनी बीवी से इस बारे में बात नहीं की थी। वह पैसे देने के बाद अपनी बीवी के पास गया। उसे कुछ रुपए दिए और कहा कि यह लोग इसे कुछ नहीं साड़ियां खरीद लेना। और अपनी बीवी से कहा "कि मैंने साहूकार से काफी ज्यादा कर ले लिया है"। और हमारे पास जमीन भी नहीं है। मकान के कागज पहले हमें उसके पास रख दी है। और मुझे बार-बार पैसे के लिए परेशान कर रहा है। मुझे किसी भी तरह उस का कर्ज चुकाना है। तो आप मेहनत कीजिए और सकते हैं। रास्ता है दिल तुम पर आ गया है। साहूकार को खुश कर दो तो वह सारा कर्जा माफ कर देगा।
श्याम की बीवी इस बात को साफ-साफ इंकार कर देती है। वह कहती है कि "मैं आपके घर बेह के आई हूं" और आपके सिवा किसी और के साथ शारीरिक संबंध बनाना मेरे लिए असंभव है। और क्रोधित होकर उसके सामने से चली जाती है। श्याम साहूकार से पैसे लेना बंद कर देता है। और कुछ दिन साहूकार की हवेली पर नहीं जाता है। कुछ दिन बाद जब साहूकार को श्याम की कोई खबर नहीं मिलती है। तो वह सूरज को लेकर शाम के घर पहुंचता है। मेरे पैसे वापस कर दे या अपनी धर्मपत्नी को मेरे साथ कुछ दिनों के लिए भेज दे। श्याम बोलता है" कि मैंने उसे कहा था पर उसने साफ-साफ इंकार कर दिया"। और डर के मारे वहां का अपने रखता है। साहूकार उसे पुलिस की धमकी देता कहता है। कि अगर तुमने मेरे पैसे वापस नहीं किए तो मैं पुलिस कंप्लेंट कर दूंगा। तो सारी जिंदगी जेल की चक्की पीस एगा और तेरी जमीन जायदाद भी हथिया लूंगा।
जब श्याम साहूकार की दोनों बातों को ना मानने यह कहता है। तो साहूकार को्धित हो जाता है। और सूरज को कहता है। "कि सूरज जाओ इसे जूते चप्पल मारो और इसे पुलिस स्टेशन ले कर चलो" साहूकार के क्रोधित होने पर श्याम की बीवी डर जाती है। और ना चाहते हुए भी साहूकार की बातों मैं आकर उसके साथ शारीरिक संबंध बनाने को राजी हो जाती है। साहूकार काफी खुश हो जाता है और साहूकार की बीवी को कहता है। कि ठीक है आज शाम को तुम नई नई साड़ी पहन कर तैयार होकर आ जाना और साहूकार अपनी हवेली चला जाता है।
ठीक है ऐसा ही होता है साहूकार बैठकर शराब का सेवन करता रहता है। तभी श्याम की बीवी साहूकार के हवेली में आ जाती है। सावकार उसे देख कर बहुत खुश होता है और कहता है कि ओ मेरी रानी मुझे और खुश कर दो साहूकार की बीवी कांपते हुए पूछती है। कि मुझे आपके पास कितने दिन दुकान होगा और वह साहूकार की बीवी को स्तन को अपनी ओर खींचते व कहता है। पहले आओ तो मेरी रानी एक बार हम दोनों साथ में रह कर तो देखिए फिर मैं क्या करता हूं। कि तुम मेरे साथ कितने दिन रहोगी और उसको अपने कमरे में लेकर जाता है। फिर उसे भी शराब पिलाता है खुद भी शराब पीता है।
श्याम की बीवी ने कभी शराब नहीं पी थी और वह उसे जबरदस्ती शराब पिलाकर उसे मदहोश कर देता है। फिर धीरे-धीरे उसके पैरों को चुनता है सर उसके घुटनों पर जाता है ,फिर धीरे-धीरे उसकी जांघों को, मसल ना शुरू करता है। फिर उसके बालों उसके कान उसके नाक शरीर के लगभग सारे हिस्सों को साहूकार बेदर्दी के साथ चुनता है। और अपने मोटे और पतले शरीर के साथ साहूकार की बीवी के ऊपर लेट जाता है। वह अपना लिंग साहूकार की बीवी की योनि में डालता है। और धीरे-धीरे संभोग प्रारंभ कर देता है। जो साहूकार की बीवी के स्तन को काफी बेदर्दी से दबाता है। तो साहूकार की बीवी के छाती से रखता ने लगता है। और जब अपनी बीवी की योनि में डालता है। इतना दर्द नहीं होता पर उसकी इज्जत तार-तार होती रहती है।
संभोग करने के बाद साहूकार इतना ही थक जाता है। कि वीर्य के बाहर आते ही उसकी आंख लग जाती है। और वह नग्न अवस्था में ही श्याम की बीवी के ऊपर सो जाता है। एक ही बार में साहूकार की शक्तियां खत्म हो जाती है। और वह थका हारा रात भर सोया रहता है। अगले दिन जब उसकी नींद खुलती है। तो दोनों एक दूसरे के आगोश में पड़े सोए रहते हैं। और जब साहूकार उठता है तो बहुत ज्यादा खुश होता है। और साहूकार श्याम की बीवी की योनि में उंगलियां फेरते हुए कहता है। कि तुमने मुझे खुश कर दिया और सिर में जब तुम्हें बुला लूंगा तब तुम आ जाना साहूकार की बीवी कहती है। मुझे और कितने दिन आपके साथ रहना होगा तो बोलता है। अरे रानी अभी तो मैंने शुरुआत की है अभी से मत पूछो कि कितने दिन रहना होगा पूछता है। कि तुम्हें अच्छा नहीं लगा क्या श्याम की बीवी सिर झुका लेती है। और चुपचाप से शाम को आने के लिए चली जाती है।
फिर साहूकार हर रोज श्याम की बीवी को बुलाता है। और उसका बलात्कार करता है। उसका इज्जत लूटता है। और रोज अलग-अलग मुद्रा में उसके साथ संभोग करता है। उसकी योनि को अलग-अलग प्रकार से पीड़ा पहुंचाता है। और जिस दिन वह संभोग करने में सक्षम रहता है। वह अपने पहलवान को यानी सूरज को भी श्याम की बीवी के साथ संभोग करने की आज्ञा दे देता है। सूरज जो कि काफी नया नवेला लड़का था। और कमसिन मर्द था वह श्याम की बीवी को पूरी तरह तोड़ के रख देता है। पूरे गति के साथ संभोग करता है। और श्याम की बीवी ना चाहते हुए भी अत्यधिक पूजा को सहती है। और अपनी इज्जत को तार तार होते हुए देखती है।
फिर जब तक साहूकार और सूरज का मन नहीं भरता श्याम की बीवी के साथ शारीरिक संबंध बनाते हैं। और जब उनका मन भर जाता है। तो वह गांव की किसी और किसान के साथ ऐसा करते हैं।
तो दोस्तों इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है। कि पैसे की लालच में हमें इतना अंधा नहीं हो जाना चाहिए। कि हमारे घर की बहू बेटियां और बीवियां उस कर्ज को चुकाने के लिए अपने जिस्म को तार-तार करें और अपनी इज्जत शरेबाजार नीलाम करें।
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मुझे विश्वास है दोस्तों की आपको यह पोस्ट. नई नवेली दुल्हन की अलग-अलग मर्दों से सेक्स करवाने की कथा। ( Nai naveli dulhan ki अलग-अलग mudraon mein sex karne ki katha.). /
2. पैसे की लालच में श्याम बनाता है अपनी ही बीवी का दलाल और उसे बना दिया एक वैश्या। ( Paise ki lalach bhi Shyam banta hai apni hi Biwi ka Dalal aur use banaa deta hai ek veshya. ) बहुत ज्यादा पसंद आया होगा कि किस पोस्ट में तो ऐसी रोमांचक कहानियां है जिसे पढ़ने के बाद आपके हृदय को अत्यधिक प्रसन्नता मिलेगी ।तो दोस्तों मैं आप सब से बस यही गुजारिश करता हूं ।कि इस पोस्ट को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक शेयर करें ताकि सबको इन रोचक कहानियों का आनंद मिले। 🙏🙏🙏🙏
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