Horror story [ 1. एक प्यासी डायन की हवस जगाने वाली लोरी । ( Ek pyasi Dayan ki Hawas jagane wali lori.) / 2. एक रहस्यमयी भूतिया घर ।( Ek rahsyamayi bhutiya Ghar.)]

 XXX Horror story [ 1. एक प्यासी डायन की हवस जगाने वाली लोरी । ( Ek pyasi Dayan ki Hawas jagane wali lori.)    /    2. एक रहस्यमयी भूतिया घर ।( Ek rahsyamayi bhutiya Ghar.)]


1. एक प्यासी डायन की हवस जगाने वाली लोरी ।

Ek pyasi Dayan ki Hawas jagane wali lori.




एक गांव में रोज रात होते ही जब सोने का समय आता तो किसी के लोरी गाने की आवाज आती ।तुमने मुझे पाला तुमने मुझे पोसा मायी रे मायी मैं तेरा राज दुलारा माई रे माई इस तरह से रोज किसी बच्चे की लोरी गाने की आवाज आती ।गांव के लोग लोरी की आवाज सुनकर डरे हुए हैं और जबरदस्ती अपने बच्चों को सुलाने की कोशिश कर रहे हैं । बच्चे के पैरों के निशान जिस भी घर के सामने से गुजरते हैं ।


उस घर का दरवाजा अपने आप खुल जाता है ।तभी एक बच्चा राम  कहने लग जाता है मां मुझे जाने दो ना मां मुझे जाने दो ना वह मुझे बुला रहा है ।बहुत सारे खिलौने भी हैं मां ,मां मुझे जाने दो ना तो उसके पिता ने पिताजी कहने लग जाते हैं नहीं  राम तुम कहीं नहीं जाओगे। जिद मत करो बाहर बहुत खतरा है। उसकी मां कहती है देखो तुम्हारी बहन भी तो हमारे साथ बैठी हुई है ना इतना कहकर जैसे ही वह उसकी बेटी प्रिया की तरफ नजर घुमाती है। तो वह बच्ची गायब हो जाती है यह देखकर उसके माता-पिता चौक गए ।उनकी आंखें फटी की फटी रह गई ।


प्रिया कहां गई अभी तो यही थी प्रिया की मां कहती है मुझे क्या पता ,मेरी बेटी मुझे वापस चाहिए ,प्रिया प्रिया प्रिया कहां हो तुम प्रिया ?प्रिया को आवाज लगाते हुए उसके मम्मी पापा और राम तीनों दरवाजे के पास आकर खड़े हो गए । उन्होंने जब आसपास नजर घुमाई तो देखा कि ,गांव के चार बच्चे एक लाइन में एक बच्चे के पीछे चल रहे हैं और सब के सब वही लोरी गा रहे हैं ।माई रे माई मैं तेरा राज दुलारा ,मां भी अपनी बेटी प्रिया   से यह कहते हुए सुनती है तो ,वह फूट-फूट कर रोने लगती है और बिखर जाती है और और पापा भी अपनी बेटी रिया को हमेशा के लिए जाते देखकर टूट जाते हैं ।


पर राम को  अभी कुछ समझ नहीं आया था ।राम अपने पापा से पूछता है, पापा प्रिया कहां चली गई तो उसके पापा कहते हैं कि, बेटा हरिया हम सबको हमेशा हमेशा के लिए छोड़ कर चली गई अब वह कभी वापस नहीं आएगी पर पापा वह अपने दोस्तों के साथ जंगल ही तो गई है ना चलो न पापा


उसे लेकर आते हैं ।
ओ मेरी छोटी बहन है हम उसे ऐसे खूंखार जंगल में अकेला नहीं छोड़ सकते। तभी गांव का मुखिया राम के पास आता है और कहता है अरे राम बेटा तुम तो बहुत समझदार और अच्छे बच्चे हो ना फिर जिद क्यों करते हो।


 अपने माता-पिता की बात मान लो ।राम कहता है ,तो क्या हम अपने गांव छोड़कर चले जाएंगे ?बेटा मुखिया जी बिल्कुल सही कह रहे हैं हम यह गांव छोड़कर चले जाएंगे और अब मैं तुम्हारी एक नहीं सुनूंगी ।सब के मना करने पर राम गुस्सा हो जाता है और अपनी बहन की फोटो से माला को उतार कर फेंक देता है फोटो को लेकर घर के अंदर चला गया ।राम का गुस्सा देखकर मुखिया जी उसे समझाने के लिए  घर के अंदर चले गए ।अरे राम बेटा तुम जिद क्यों करते हो ?


अरे तुम्हें इस बात का कोई अंदाजा नहीं है लेकिन ,अगर तुम इस गांव को छोड़कर चले जाओगे तभी तुम सुरक्षित रहोगे ,वरना वह बच्चा तुम्हें भी तुम्हारे माता-पिता से अलग कर देगा ।आखिर वो बच्चा है कौन ? और आखिर ऐसा क्या है उसके लोरी में कि गांव के सारे बच्चे उसकी तरफ खिंचे चले जाते हैं ,ऐसा क्या है इस बच्चे की आवाज में ?और कौन कोई नहीं बल्कि मेरा बेटा  अभय है ।जो कई साल पहले मर गया है ।इतना कहते हुए हो फिर से वह कई साल पहले की काली रात को जीने लगा था । ओम हरीम क्लीम चामुंडायै विच्चे नमः ,मुझे अमर बना दे ,मेरी आहुति   स्वीकार कर ले ।


ऐसा कहते हुए उसकी मां उसके गले में नींबू की माला टांग देती है । और बच्चे के गाल और माथे पर लाल टीका लगा देती है। तुम मुखिया जी कहते हैं कि ,अरे कैसी औरत है तू अपने ही बेटे की आहुति देने चली है ।तू माँ नहीं बल्कि एक डायन है डायन ,जिसे सिर्फ  बलि देना आता है तुम्हारे मन में ममता की एक कण भी नहीं है ।तू माँ कहलाने के लायक ही नहीं है ।हाँ तुमने बिल्कुल सही कहा है मैं मां नहीं हूंँ। मैं डायन हूँ डायन !मैं बच्चों की आहुति देकर अमर हो जाऊँगी इसे रोकने वाला कोई नहीं है ।बस कर माया वह सिर्फ तेरा बेटा नहीं है ,मेरा भी है ।मैं तेरे आगे हाथ जोड़ता हूं मेरे बेटे अभय को छोड़ दे ।


फिर आसमान में जोर से बिजली चमकी ,और अपने बल से बारिश को और तेज कर दी बारिश की बूंदों से हवन की अग्नि और तेज हो


गई ।वह  डायन गाने लगी .,,मेरा अभय राज दुलारा ,मेरी आंखों का तारा ,तुझे मैंने पोसा,मैंने तुझे मारा, इतना कहकर ,उसने अभय के गलने को सिर् से धड़ से अलग कर दिया और अभय का सिर सीधा जाकर अग्नि में गिर गयाऔर वहां से अभय की आत्मा निकलने लगी । इसके बाद उसकी आत्मा अपनी माँ के अंदर समा गई ।


उसके पिताजी ने उसकी माँ की हत्या उसे खंजर  से कर दी और उसका सिर आग में गिर गया राम मुखिया जी से पूछता है ,तो क्या आपने अपनी पत्नी को मार दिया ?मुखिया जी कहते हैं ,हाँ मैंने मार दिया और वैसे भी वह मेरी पत्नी नहीं थी एक डायन बन चुकी थी ।जिसके लिए उसकी शक्तियों का मिलना ही काफी था ।राम मुखिया विश्व पूछता है ,तो आपके बेटे अभय का क्या हुआ ?मुखिया जी ने बताया कि वह अब मरने के बाद भी अपनी माँ से प्यार करता रहा ।इसीलिए आज भी अपनी मां की शक्तियों को वापस दिलाने के लिए बच्चों को अपने वश में करता है ।


उसी के लिए सबको अपनी मां के पास ले जाता है ।रामकथा लेकिन उसके पास इतनी शक्तियां कहाँ से आई ?मुखिया जी ने बताया कि ,अभय के मरने के बाद उसकी शक्तियां और भी शक्तिशाली हो गई थी ।और विजय की आत्मा अगर उसकी मां को समा जाती तो उसकी सारी शक्तियां उसकी मां को मिल जाती और वह और शक्तिशाली बन जाती इसलिए मैंने पहले ही उसकी मां को मार दिया था ।तो क्या आपका बेटा अब  ऐसे ही अपनी माँ को आहुति देने के लिए गांव के सारे बच्चों को इकट्ठा करता रहेगा ?मुख्य जी बोले नहीं, एक और रास्ता है मगर वह रास्ता बहुत कठिन है । राम कहता है बताइए कैसा रास्ता है मैं नहीं चाहता कि आपकी पत्नी ने अपने बेटे अभय के साथ जो किया वह गांव के सारे बच्चों के साथ हो ।बेटा राम अगर तुम यही चाहते हो तो मेरी बात ध्यान से सुनो । 


रात के ग्यारह बज चुके थे ।वह बच्चा फिर से लोरी गाना शुरू कर दिया माई रे माई, मैं तेरा राज दुलारा, तूने मुझे पाला, तूने मुझे पोसा।वह डायन बिलोरी गाने लग गई सब है मेरा राज दुलारा मेरी आंखों का तारा ,तुझे मैंने पोसा तुझे मैंने पाला ।अभय ने सारे बच्चों को आहुति के लिए खड़ा कर फिर से अग्नि में विनीत हो गया और वस में किए गए बच्चे एक लाइन में खड़े हो गए ।माया की गोद में जाने के लिए बेताब थे।


 डायन बोलने लगी आओ बच्चों आ जाओ अपनी माँ से कैसा डर । माया के बुलाने पर एक बच्चा जाकर बैठ गया और माया ने इस बच्चे के साथ भी वही किया जो अभय के साथ किया था ।सिर को धड़ से अलग कर दिया और अग्नि में आहुति दे दी ।इसी बीच मौके का फायदा उठाकर अभय लाइन में जाकर खड़ा हो गया ।डायन के बुलाने पर राम उसकी गोद में जाकर बैठ गया ।ओम ह्रिम क्लिम चामुंडायै विच्चे नमः ,मुझे अमर बना दे माँ और मेरी आहुति स्वीकार कर ।


मेरा बेटा तेरी गोद में आने के लिए अपनी जान की कुर्बानी  दे रहा है। मेरआहुति स्वीकार कर माँ माया के बोलते ही अग्नि और तेज हो गई और तेज हो गई ,तेजी से जलने लगी इसे इशारा समझ कर ,माया ने खंजर उठाया ही था। कि,फिर उसे अचंभा हुआ क्योंकि खंजर अपनी जगह पर नहीं थामाया का सीधा असर गोद में रखे बच्चे पर गया , इससे पहले कि माया कुछ कर पाती उस बच्चे ने उसी के अंदर से उसके गले को काट दिया । माया का शिर भी सीधा हवन कुंड की अग्नि में जा गिरा ।माया ने जितने भी बच्चों की आहुति दी थी उनकी आत्माएं घूमने लगी जिसे देखकर राम भी डर गया राम अपनी मां से कहता है मां अब तो सब ठीक हो गया है।


 ना फिर भी पापा हम सबको शहर जाने के लिए क्यों कह रहे हैं ?उसकी मां कहती है बेटा अब तुम्हारा एडमिशन शहर के स्कूल में हो गया है इसलिए अब हम सब वही जा रहे हैं ।चल अब जल्दी से जा कर तू भी तैयार हो जाओ इतना कहकर माँ वहां आईने के सामने  से चली गई ।फिर राम आईने में देखकर  वही लोरी गाने लगा माई रे माई मैं तेरा राज दुलारा तूने मुझे पोसा तूने मुझे पाला, तूने मुझे मारा ।



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2. एक रहस्यमयी भूतिया घर ।

Ek rahsyamayi bhutiya Ghar.




जलालुद्दीन चाचा के पास मालों दौलत की कमी नहीं थी ।अपना घर तामीर करवा रहे थे घर की बुनियाद की खुदाई के वक्त उन्हें कुछ हड्डियां मिली ।तो उनके गांव के एक आदमी ने कहा हड्डियां मिलना यह अच्छी बात नहीं है तो जलालुद्दीन चाचा  कहते हैं कि हम अरे कुछ नहीं होता हम दीनदार लोग ऐसी बात  बात नहीं मानते हैं ।उनकी पत्नी कहती हैं कि सुनो जी अगर आप मेरी बात मानो तो हम यह जमीन देते हैं और दूसरी जमीन ले लें। अरे आपका दिमाग तो ठीक है?इतने मौके की जमीन बेच दूं  ऐसा जलालुद्दीन चाचा कहते हैं ।


कुछ बस्ती वालों को जैसे ही इसकी खबर मिली सब भागे हुए जलालुद्दीन काका के पास आए।वे बस्ती के सरदार है ,गांव वाले कहते हैं अरे यह ठीक कह रही है । जलालुद्दीन कहता है ,अरे यह औरतें तो कुछ भी कहते रहती हैं इनका बस चले तो ,कोई काम ही ना हो । घर की तामीर चालू हो गई ।तभी एक रोज एक मजदूर के सिर पर चोट लगने की वजह से वह बेहोश हो गया था और जैसे ही होश आया वह कहने लगा ,अरे हमें क्या पता था कि, वह हड्डी में हमारी मौत का कारण बन जाएगी ।


जलालुद्दीन का बेटा कहता  है अब  जब सब लोग कह रहे हैं तो आप सब की बात मान क्यों नहीं लेते ?जलालुद्दीन कहता है अरे अब तू भी इन सब की बातों में आ गया क्या, जल्दी से गाड़ी निकाल और उसे अस्पताल ले जा ।उसने किसी की नहीं सुनी अपने जिद्दी और कंजूस बर्ताव के लिए पहले ही बदनाम था । गांव का एक मजदूर दूसरे मजदूर से कहता है कि ,भैया मैं तो अपनी जान जोखिम में नहीं डाल सकता और मैं यहां काम नहीं करूंगा, तू भी अपनी जान जोखिम में डालना चाहता है क्या ?


जलालुद्दीन दूसरे गांव से मजदूर इकट्ठे करता और देर रात तक काम करवाता ।एक दिन जैसे ही घर के लिए निकले अभी उसने पीछे से कुछ आवाज सुनी घर की तामीर होने गई तो रह नहीं पाओगे ।उसने बोला कौन है सामने आओ उसकी धोती किसी पत्थर में अटक जाती है और गिर पड़े उह आह की  आवाज लगाने के बाद ,उठते हैं और देखते हैं घुटना  छिल गया । जलालुद्दीन अपने घर की ओर भागते हैं और किसी को कुछ नहीं बताते हैं । खैर किसी तरह पाँच महीने में मकान की तमीर तैयार हो जाती है।


 ,तो अपने परिवार के साथ एक छोटी सी पूजा करवाई और उसमें रहने लगे,ना कोई मिलाद ना कुछ साथ में वह दलान में चारपाई डाल कर सो गए ।आधी रात बीत गई थी और वह चिल्लाने लगे, कौन है कौन है ,मेरा गला छोड़ दो क्या चाहिए तुम्हें ,चारपाई कहाँ  घसीट रहे हो ,मैं गिरा मैं गिरा कोई है क्या ?अरे बचाओ ।तभी उसे आवाज सुनाई दी तुमने यहाँ पर घर बनाया ही क्यों यह जमीन मेरी है ।तुम कौन हो मैंने इस जमीन के लिए दिलावर को दो लाख रूपए दिए थे ।उसने तो कहा था कि यह जमीन उसी की है । तो उसे आवाज सुनाई दी ,मैं उस जमीन को किसी को नहीं लेने दूंगा ,तुम इस घर को छोड़ दो ।अरे कोई है ,मेरी जान बचाओ ,किसी ताबीज को बुलाओ और मेरी  चारपाई को अंदर कर दो, लगता है यहां किसी रोग का साया है ।




उसकी पत्नी कहती है भूत कहां है भूत मुझे तो कुछ दिखाई नहीं दे रहा है जब बोला तब तो सुना नहीं अब भुगतो ।विजय विजय , जल्दी आओ ,विजय बोला क्या हुआ ,जलालुद्दीन कहता है मुझे लगता है कि इस घर में किसी  भूत का साया है वह मेरा गला दबा रहा था और चारपाई में घसीट रहा था । विजय कहता है अब्बू  मैं आपके साथ ही सो जाता हूँ,आप आराम से सो जाओ जलालुद्दीन उसकी पत्नी को कहता है ,नीता तुम भी यही सो जाओ। सब सो गए और थोड़ी देर बाद ही सुबह हो गया । जलालुद्दीन फिर से चिल्लाने लगा अरे मेरा गला छोड़ दो,मैंने तुम्हारा क्या बिगाड़ा है, सुबह तो होने दो कुछ तो सोच लेने दो भाई ।


साया कहते हैं यह हुई ना बात मैं तुम्हें दो दिन का समय देता हूँ उसके बाद कोई तुम्हें बचा नहीं पाएगा ।तुम मेरी गर्दन तो छोड़ो मेरी सांस अटक रही है तभी उनका बेटा आता है और कहता है क्या हुआ अबबू? जलालुद्दीन कहता है ,जाओ जल्दी किसी हकीम को बुला कर लाओ और  रुखसार तो मेरे साथ ही रहो ।अब्बू हकीम जी आ गए ।हकीम जी कहते हैं क्या हुआ भाई कल ही तो तुम ठीक थे अचानक से तुम्हें क्या हो गया ?जलालुद्दीन ,मुझे बड़ी कमजोरी महसूस हो रही है कुछ भी करने की इच्छा नहीं हो रही है कुछ मुझे दवा दे दीजिए । इस पर्ची  पर मैंने सब कुछ लिख दिया है ।


हकीम जी कहते हैं विजय तुम मेरे साथ चलो फिर हकीम जी और नीचे बाहर आ जाते हैंविजय तुम्हारे अब्बू को इस घर में रहने वाले भूत ने जकड़ रखा है ।  इसका इलाज सिर्फ आजादी के मूसा के पास है दूर-दूर से लोग उनके पास आते हैं ।जाओ और किसी तरह उन्हें बुला कर लेकर आओ ।और हां घर है किसी से भी इस बात का जिक्र मत करना नहीं तो वह भूत उन्हें और भी परेशान करेगा और अपने अब्बू को अकेला मत छोड़ना क्योंकि अकेले में ही वह उन पर हावी हो रहा है ।विजय दवाई लेकर आता है और अपनी मम्मी को दे देता है और कहता है कि यह लो अम्मी अब्बू को दवाई दे देना मुझे  ख्वाजा गंज  जाना है तो आने में कुछ देरी हो जाएगी तो उसकी मम्मी कहती है कि विजय क्या बात है सब ठीक है।


 ना मुझे कहता है हां हां मैं सब ठीक है बस अब्बू को अकेला मत छोड़ना ।विजय कौशल जी के घर पहुंचने में पहुंचकर दोपहर हो गई ।वह दरवाजा खटखटाया तो  मूसा जी ने कहां कौन हो भाई ?दरवाजा खुला ही है आ जाओ ।कौन हो तुम ,विजय कहता है कि मैं मैं बिजी हूं मेरे अब्बू का नाम जलालुद्दीन है मैं हजरतगंज से आया हूं और आपका नाम बहुत सुना है इसलिए आया हूं मेरे अब्बू  रात से ही साया साया कर रहे हैं।  वे खौफ के मारे ठीक से कुछ बताते भी नहीं है, हकीम जी ने कहा कि आप ही कुछ कर सकते हैं।पर्ची को देखकर मूसा जी ने मन ही मन पड़ा और कहने लगी ठीक है चलो कहां जाना है और कैसे जाना है ? गाड़ी है मेरे पास ,ठीक है चलो ऐसा कहते हुए मौसा जी और विजय दोनों घर की ओर निकल पड़ते हैं ।


 मौसा जी अपने झूले पर जो कुछ जरूरी सामान पकड़ कर निकल पड़ते हैं  विजय गाड़ी स्टार्ट करता है हकीम जी बैठ जाते हैं और दोनों घर पहुंच जाते हैं । आइए हकीम जी ,अम्मी अब्बू कहां हैं ?वह अभी तक सो ही रहे हैं ।हकीम जी कहते हैं चलो उनके पास ही चलो, जरा पानी लेकर आओ ।विजय की मां पानी लेकर आती है ।मूसा जी अपने हाथों में पानी लेकर आंख बंद करके बैठ जाते हैं ।यह भूत  तो थोड़ा जिद्दी  दिख रहा है आप लोग कब से यहां रह रहे हैं ।निशा जी कल ही तो मिला था और यह चीख-पुकार  करने लगे हैं ।




हकीम जी कहते हैं जलालुद्दीन देखो उधर देखो और वह उठकर उनकी तरफ देखता है और भारी आवाज में बोलता है तो यह सब देख कर रुखसार और विजय हैरान रह जाते हैं ।दोनों एक दूसरे की तरफ खौफसता नजरों से देखते हैं ।जलालुद्दीन कहता है ,मैंने इसको मना किया था यहां रहने के लिए तुम हम दोनों के बीच में मत आओ ।हकीम जी कहते हैं तुमको यही घर रहने के लिए क्यों चाहिए इतना बड़ा गांव  है कहीं भी रह सकते हो ?मैं क्यों जाऊं यहां से ? इसी को जाना होगा मुझे कोई नहीं निकाल सकता यहां से समझे ना ।विजय जरा किलेबंदी का  व्यवस्था करो यह ऐसे नहीं मानेगा । विजय और उसकी मां पूरा सामान लेकर आ जाते हैं ।


यह क्या कर रहे हो यह बाण मत जलाना ऐसा जलालुद्दीन कहता है ।जलालुद्दीन तुरंत अपनी बीवी के बाल खींचने लगता है ।विजय जैसे ही अपनी मां को बचाने जाता है वह उसके सीने पर चढ़ जाता है ।मूसा जी जैसे ही बाण जलाकर कुछ मसीफें पढ़ने  लगते हैं यकायक तुरंत खिड़की और  दरवाजे खड़कने लगते हैं ।वैसे ही लोबान में लगी आग बुझ जाती है और जलालुद्दीन खिड़की की ओर भागने लगता है ।तभी मूसा जी की कुर्सी हवा में उड़ने लगती हैं ।विजय वह पानी की बोतल मुझे पकड़ा दो फिर पंडित जी पूरे लोहान की आग से और गुलाब जल से पूरे घर को छिड़क देते हैं ।तब वह ठीक से नीचे आ जाते हैं ।जलालुद्दीन कहता है सुनो मैं कोलकाता में जूट मिल में काम करता था रात दिन मेहनत करता था और अपने भाई को पैसा भेजता था वही मेरा परिवार था धीरे-धीरे उसने और मेरी बीवी ने मिलकर यह अपने नाम से खरीद ली ,मुझे खबर भी नहीं लगी । 


जूट मिल में तालाबंदी होने की वजह से मुझे गांव आना पड़ा यहां आने के बाद मुझे मेरी बीवी के रंग ढंग बदले बदले देखकर मुझे कुछ शक हुआ ।रात को जब मैंने सबकी शुरू की तो दोनों ने मिलकर मेरा गला घोट दिया और मुझे मार दिया और इसी जमीन में दबा दिया अब तुम ही बताओ । हकीम जी कहते हैं वाकई तुम्हारे साथ बहुत बुरा हुआ तुम अपनी बीवी और भाई से बदला लेने की बजाय तुम इस बेकसूर को क्यों परेशान कर रहे हो ? इन दोनों को तो कब से खतम कर दिया है ।अरे इसमें से तो मुझे घुटन हो रहा है मुझे क्यों जकड रखा है मुझे जाने दो। मूसा जी लगातार हवन करते रहे और घी को सुपरतीयासीत करने लगते हैं ।वह रूह कहने लगता है कि मैं जा रहा हूं लेकिन मेरी आजादी के लिए भी इस जलालुद्दीन को दुआ करवानी होगी ।


जलालुद्दीन कहता है बाबा आपने मुझे बचा लिया अब इसकी आजादी के लिए भी आपको ही दुआ करवानी होंगी । दूसरे दिन मूसा जी उस रूह की आजादी के लिए दुआ करते हैं और जलालुद्दीन का घर बुरी ताकतों से हमेशा के लिए आजाद हो जाता है । मूसा जी जाने के लिए अपना झोला उठाते हैं ।जलालुद्दीन उनके लिए पाँच हजार की गड्डी और कुछ कपड़े और जेवर लेकर आता है ।अरे इसकी क्या जरूरत थी आप ठीक है हो गए वही मेरे लिए बहुत बड़ी बात है और मूसा मूसा जी बाहर आकर गड्डी गिनने लगते हैं ।मूसा  जी अब बताओ किसका घर भूतिया करना है तो वह कहता है तू चुप रह वरना तुझे आजादी दिलवा दूंगा । इस कहानी से यह पता चला कि उस घर में कोई भूत नहीं था और वह लोग यह सब पैसे के लिए करते हैं किसी और घर में भूतिया घर बनाने चल देते हैं और पैसे लूटने का काम करते हैं।



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मुझे विश्वास है दोस्तों की आपको यह पोस्ट Horror story [ 1. एक प्यासी डायन की हवस जगाने वाली लोरी । ( Ek pyasi Dayan ki Hawas jagane wali lori.)    /    2. एक रहस्यमयी भूतिया घर ।( Ek rahsyamayi bhutiya Ghar.)] बहुत ज्यादा पसंद आया होगा। क्योंकि इस पोस्ट में दो भूतिया रोमांचक कहानियां तो दोस्तों ताकि और लोग भी इन कहानियों का आनंद ले सके आप इस पोस्ट को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक शेयर कीजिए।🙏🙏🙏🙏

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