1. देवर भाभी की रसीली योनि की बेदर्दी से चुदाई की कथा । [ Devar bhabhi ki rasili yoni ki bedardi se chudai ki katha.] / 2. मर्द के प्यार को प्यासी चुड़ैल ने किया लिंग के लिऐ सभी हदो को पार। [ Mard ke pyar Ko pyasi chudail ne kiya ling ke liye sabhi hadon ko paar.]


XXX story ( Porn story ) 1. देवर भाभी की रसीली योनि की बेदर्दी से चुदाई की कथा ।

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1. देवर भाभी की रसीली योनि की बेदर्दी से चुदाई की कथा ।

Devar bhabhi ki rasili yoni ki bedardi se chudai ki katha.


दोस्तों यह लगभग 2 साल पहले की सच्ची घटना है।

जब विश्व के विभिन्न देशों में लॉकडाउन की स्थिति थी। उस वक्त संपूर्ण विश्व में लॉकडाउन लगा हुआ था। और सारे काम धंधे ठप हो चुके थे। यह उस वक्त की पानी निकाल देने वाली प्रेम मधु और प्यास की कथा है। तो चलिए मैं आपको यह दास्तां बताता हूं।


मैं लगभग 28 वर्ष का बांका नौजवान था।

मेरी शादी लगभग 5 साल पहले हो चुकी थी। मेरी पत्नी काफी ज्यादा खूबसूरत आकर्षित और सर्वगुण संपन्न थी। जिसे देखकर कोई भी पुरुष मोहित हो जाता है। और उसके अंदर कोई भी कमी नहीं थी। घर गृहस्ती में खाना पकाने में और रात में बिस्तर में भी वह सर्वगुण संपन्न थी। वह मुझे हर तरीके से खुश रखती थी। मैं जब चाहता जितना चाहता उसके साथ संभोग कर सकता था। मेरी शादी मेरे घर से 10 किलोमीटर के अंदर गाती हुई थी। मेरा मायका और ससुराल काफी आसपास ही था।


मेरी सासू मां की तबीयत काफी ज्यादा खराब रहती थी। उन्हें अमूमन अस्पताल के चक्कर काटने पड़ते थे। और मेरे ससुर जी का देहांत कुछ वर्ष पहले ही हो चुका था। मेरी सासू मां मेरी साली और मेरे छोटे ससुर और उनकी पत्नी सब साथ में रहते थे। वह एक जॉइंट फैमिली थी। मेरा जब मन करता मैं अपनी पत्नी के घर जाया करता था। महीने में एक आधा चक्कर तो लग ही जाता था।


1 दिन की बात है उस वक्त सीरियस लॉकडाउन लगा हुआ था। अचानक हमें खबर आई कि हमारी सासू मां की तबीयत कुछ ज्यादा ही खराब हो चुकी है। और उन्होंने हमें अस्पताल बुलाया है। हम जिस हालत में थे उसी हालत में अस्पताल की ओर रवाना हुए। अस्पताल में जाकर सासू मां से मुलाकात की तो पता चला उनकी स्थिति अब बेहतर है। उनका ब्लड प्रेशर काफी ज्यादा बढ़ गया था। इसलिए उनके शरीर में दिक्कत आ गई। थी सासू मां से मिलने के बाद हम सीधे सासू मां के ही घर चले गए। क्योंकि वह अस्पताल से काफी ज्यादा करीब था उनके घर में मेरे चाचा चाची थे। उन्हें हमारे आने की खबर पहले ही थी तो उन्होंने हमारे स्वागत में काफी अच्छी तैयारी करके रखी थी।


मेरे ससुराल में मैं सबसे ज्यादा अपने चाचा चाची से ही फ्रेंड था। शुरुआत में मैं काफी ज्यादा शर्मिला हुआ करता था। इसलिए मैं अपने ससुराल में किसी से भी बात नहीं करता था। अगर कोई भी मजाक में कुछ कह भी देता था तो मैं सिर झुका कर हंस के टाल दिया करता था। लोगों को मेरा यह स्वभाव काफी ज्यादा पसंद आता था। और मुझे भी उनके बाद के जवाब देना अच्छा नहीं लगता था।



जब मैं चाचा चाची के पास पहुंचा तो उन्होंने पहुंचते ही हमें पानी और नाश्ता लाकर दिया। और यूं ही गप्पे लड़ाना प्रारंभ कर दिया। चाचा जी ने बातों ही बातों में मेरे अंगों की बात शुरू कर दी। वह मेरे आकर्षित शरीर की तारीफ करने लगे मेरे शरीर में सिक्स एप्स है। जिन्हें शादी के दौरान विधियों में पूरे ससुराल ने देखा था। जिसको देखकर सब मोहित हो चुके थे। पर मेरी नजर तो सिर्फ चाची जी पर अटकी हुई थी। क्योंकि वह मुझसे बस साथ 8 साल ही बड़ी थी उनकी उम्र लगभग 35 साल की थी। वह एकदम गोरी पतली और लचीली कमर और काफी ज्यादा प्यासी लगती थी। और वह भी मुझे बराबर का रिस्पांस देती थी।


चाचा जी ने बातों ही बातों में मेरे लिंग को डांडिए के बराबर कहा और ठहाके मारकर हंसने लगे। चाचा जी बाहरी तौर पर जितने मजाकिया थे, बिस्तर पर उतना ही ज्यादा कमजोर थे। कुछ वर्ष पहले चाचा जी का यातायात दुर्घटना में एक टांग कमजोर हो गया था। जिसकी वजह से वह ज्यादा संभोग करने में सक्षम नहीं थे कुछ पल में ही रह जाते थे।


और चाची की उम्र बस ठीक 35 साल की पर वह दिखने में 27 28 साल की एक कमसिन जवान कली की तरह नजर आती थी। जिनकी आंखों में अलग सा ही प्यास और प्यार मेरी लिए नजर आता था। मैं उसे देख सकता था महसूस कर सकता था पर चाह कर भी उस प्यास को बुझा नहीं पा रहा था। मुझे किसी भी हालत में उस प्यास को बुझाना था। उस कली को तोड़ना था उस का रस चूसना था। और उसे अपने आगोश में जकड़ कर असीम चरम सुख की प्राप्ति करनी थी। मेरे मन में ऐसे करोड़ों व्यंग उत्पन्न हो रहे थे। और मेरी नजर चाची जी के स्तन और उनके सुनहरे मुखड़े से हट ही नहीं रही थी।


तभी अचानक से चाचा जी उस कमरे से चले गए। और मैं भी वहां से निकला कि मैं जाकर थोड़ा फ्रेश हूं। मेरे कमरे से निकलते ही मेरी पत्नी शोभा और चाची जी ने मुद्दा चेंज कर अलग टॉपिक पर बात करना शुरू कर दिया। मैं वही खिड़की के पास खड़े होकर उनकी बातें सुन रहा था। वह दोनों भले ही चाची भतीजी थी पर लगभग हम उम्र होने की वजह से वह दोनों में काफी अच्छे तालुका थे। वे दोनों काफी अच्छी सहेलियां थी। एक दूसरे को सारी बातें बताती थी और दोनों बला की खूबसूरत है।


चाची मेरी पत्नी शोभा से कहती है "क्या हुआ दामाद जी तुम्हें खुश नहीं रखते क्या" तुम काफी ज्यादा चमक रही हो। तो शोभा जवाब देती है अरे कहां जब से लॉकडाउन लगा है। वह दिन भर घर पर रहते हैं और मुझे परेशान करते रहते हैं। सुबह दोपहर शाम जब उनका मन करता है। वह मुझे बिस्तर पर लेटा कर कभी मेरी योनि की छत से कभी मेरे कूल्हे के छेद से मुझे परेशान करते ही रहते हैं। और उनका लिंग इतना बड़ा है, कि मुझे लेने में काफी ज्यादा तकलीफ होती है। ना चाहते हुए भी मुझे उस पीड़ा का सामना करना पड़ता है।


वह सारी बातें चाची जी को कहकर सुनाती है। कि मैं कैसे किस किस मुद्रा में अलग-अलग मापदंड जैसे डीलडो वाइब्रेट है। कोड़े और अधिक सेक्स टॉयज का इस्तेमाल करके उसकी योनि उसके कुल है। उसके स्थान पर प्रहार करता हूं और उसे हर तरह से संभोग के मजे देता हूं।


चाची प्यार भरी नजरों से सरिता की सारी बातें सुनती है। वह भी यही सोचती है कि काश चाचा जी भी मेरी तरह संभोग कर पाते और संभोग करने में सक्षम होते हैं। उनकी योनि लगभग प्यासी थी और उनकी च** एक 16 साल की कन्या के बराबर टाइट और नई नवेली मालूम होती थी।


मैंने उन दोनों की बातें सुनी और फिर फ्रेश होने के बाद उनके कमरे में पहुंचा। मेरे आते ही उन्होंने टॉपिक चेंज कर दिया। और दूसरे टॉपिक पर बात करने लगे और मुझे देखकर चाची जी की प्यास और भी ज्यादा बढ़ने लगी। तभी अस्पताल से कॉल आया की सासू मां की तबीयत ठीक हो चुकी है। वह कल ही अस्पताल से वापस आ जाएगी। हमने रात मेरे ससुराल में ही बिताई और अगली सुबह मैं जाकर सासू मां को अस्पताल से डिस्चार्ज करा कर घर ले आया। और सासू मां की सेवा करने लगा।


तभी मुझे अचानक से याद आया कि मेरे घर में मुझे दफ्तर का कुछ काम है। मुझे दफ्तर की फाइल लाकर कुछ डाक्यूमेंट्स के बी पि डी बनाने थे। पर मेरी सासू मां ने मेरी पत्नी को उनके साथ कुछ पल और रुकने के लिए कहा। तो मैं सासु मां की इस बात पर राजी हो गया। और वह फाइल लेने के लिए मैं अपने मकान की ओर निकल रहा था। तभी चाची जी ने कहा कि दामाद जी मुझे भी बाजार से कुछ सामान खरीदना है। आप मुझे भी उसी और ले चलिए आप अपने मकान से फाइल ले लीजिएगा। और मैं वापसी में बाजार से सब्जियां खरीद लूंगी। मैं उनकी इस बात पर राजी हो गया। मुझे समझ आ गया था कि सब्जियां देना तो बस बहाना है चाची जी कुछ और ही चाहती हैं।


कुछ देर बाद हम दोनों मेरी मकान की ओर रवाना हुए। रास्ते भर कार में बैठकर चाची जी मुझे बोलते रहे कुछ छोटे-मोटे यत्न करने लगी। और मुझ को लुभाने लगी जब हम मेरे मकान में पहुंचे और मैंने दरवाजा खोला और मैं अपने कमरे पर जाकर फाइल ढूंढने लगा। तभी चाची जी आई उन्होंने मेल गेट बंद किया। और दरवाजे की कुंडी लगाकर मुझे घूरने लगी उन्होंने अपना पल्लू सरका दिया। और उनका सोने सा तराशा हुआ बदन मुझे अपनी ओर आकर्षित करने लगा। मैं ना चाहते हुए भी उनके करीब जाने लगा।


मैंने चाची जी से कहा अगर शोभा को इस बात में पता चला। तो वह गलत समझेंगे चाची जी ने बात को नजरअंदाज करते हुए मुझे अपनी बाहों में भर लिया। और मेरे होठों को चूमने दो और तुरंत उन्होंने मेरी कमीज निकाल दी। और मेरे शरीर के सभी अंगों को वह चूमने लगी उनकी चूमने का अंदाज़ बता रहा था। कि वह कितनी ज्यादा प्यासी थी। और वह कितने दिनों से प्यासी थी संभोग की आग में उनके शरीर को और उनके मस्तिष्क को अंधा बना दिया था। वह किसी भी हालत में उस असीम चरम सुख की प्राप्ति करना चाहती थी। जो कि हर महिला का अधिकार होता है।


और इसके बाद मैं भी अपने आप को नहीं रोक पाया। मैंने पहले उनकी साड़ी उतार दी साईं और और ब्लाउज में वह एक कुछ परी की तरह नजर आ रही थी। फिर धीरे-धीरे मैंने उनके ब्लाउज के बटन खोले और ब्रा को निकाला। ब्लॉक में खुलते ही उनका स्तन और भी ज्यादा उभर कर सामने आया। जो कि मेरे अनुमान से काफी ज्यादा बढ़ा और आकर्षित था। गोरे गोरे स्तन और उन पर छोटी सी निपल्स उसे और भी ज्यादा कष्ट बनाते थे। मैं उनके स्तन को अपने हाथों से दबाने लगा उन्हें चूमने लगा। और उनके ऊपर लेट गया धीरे-धीरे हम दोनों ने एक दूसरे को जिस्म को झूम झूम कर गीला कर दिया था। मैंने सारे सेक्सटॉयज जो कि अपनी पत्नी शोभा के लिए खरीदे थे। सारे निकालकर चाची जी के सामने रख दिए सारे लुब्रिकेंट्स लाए। उनके शरीर को लगाएं और शरीर के बीच के फ्रिक्शन को खत्म कर दिया।


हम हम दोनों एक दूसरे की आगोश में पूरी तरह समा चुके थे। फिर मैंने उनकी नाभि को चुनते हुए उनकी साईं को निकाला। फिर धीरे से उनकी चड्डी यों को निकालकर उनकी योनि को चूमने लगा। और उनकी योनि एक 16 साल की कमसिन कन्या की योनि की तरह टाइट और शक्ति मैंने धीरे-धीरे उनके कूल्हे पर हाथ से लें और योनि में उंगली करना प्रारंभ कर दिया। फिर उन्होंने मेरी पतलून उदारी मेरी चड्डी उतारी। और मेरे लिंग को अपने मुंह में लेकर लॉलीपॉप की तरह चुस्ती रही। और लगातार अलग-अलग मुद्रा में मेरी योनि को चुस्ती रही। मेरे लिंग को उन्होंने पूरी तरह अपने मुंह में ले लिया था।


फिर हम दोनों संभोग की एक अलग ही दुनिया में चले गए। मैंने धीरे-धीरे उनकी योनि के ऊपर अपने लिंग को फेरा और एक धक्के में ही अपने लिंग को उनकी योनि में डालकर संभोग प्रारंभ कर दिया। मैंने लगभग सभी मुद्राओं में उनके साथ संभोग किया। कभी कूल्हे के क्षेत्र से कभी योनि के क्षेत्र से हर क्षेत्र से मैं संभोग और चरम सुख की प्राप्ति करता रहा। उनका जी स्पॉट काफी ज्यादा उत्तेजित हो गया था। जब मैंने अपना लिंग उनके कूल्हे पर छेद में डाला तो वह लहूलुहान हो गया। जिससे मुझे साफ-साफ समझ आ गया कि चाची कितना ज्यादा प्यासी थी। 


हम लोगों ने तकरीबन 5 से 6 बार अलग-अलग जगह कभी बिस्तर पर कभी सोफे पर कभी किचन में कभी हॉल में कभी जमीन पर हर जगह संभोग किया। मैंने सेक्सटॉयज हंटर सारे टूल्स जो मैंने अपनी पत्नी शोभा के साथ भी नहीं किए थे। वैसी वैसी यातनाएं उनके साथ की मुझे जिंदगी में पहली बार संभोग में इतना आनंद आया था। और शायद चाची जी को भी।


फिर क्या था हम लोग जब कभी भी मौका मिलता जहां भी मौका मिलता हम संभोग किया करते थे। पर एक दिन अचानक चाचा जी को हमारी इस बात की भनक लग गई है। क्योंकि वह महीने में एकाध बार ही संभोग कर पाते थे। पर उन्हें पहले के मुकाबले चाची जी की योनि कुछ ज्यादा ही बड़ी लगने लगी। और जब भी संभोग करते थे तो चाची को बिल्कुल भी आनंद नहीं आता। कि उनका मेरे लिंग से ही काफी ज्यादा छोटा था। तो वो उनकी जवानी में घुसता था तो उन्हें महसूस ही नहीं होता था। चाचा जी को कहीं ना कहीं लगने लगा था। कि मेरा और चाची जी का कहीं ना कहीं कुछ ना कुछ संबंध तो है। पर वह कोई सबूत नहीं जुटा पा रहे थे। जब हमें और चाची जी को पता चला कि चाचा को हम पर शक हो गया है। तब हमने संभोग करना धीरे धीरे कर बंद कर दिया।


पर दोस्तों मैं बात जरूर कहना चाहूंगा। कि आज तक मैंने इतनी टाइट और रस्सी लियोनी अपनी जिंदगी में कभी नहीं देखी। मुझे उससे तब भी प्यार था अभी प्यार है। पर पारिवारिक रिश्तो और परिस्थितियों की वजह से मैंने और चाची जी ने हमारे बीच के संबंध को पूणृविराम दे दिया।




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2. मर्द के प्यार को प्यासी चुड़ैल ने किया लिंग के लिऐ सभी हदो को पार।

Mard ke pyar Ko pyasi chudail ne kiya ling ke liye sabhi hadon ko paar.



बहुत समय पहले एक छोटे से गांव में श्याम और रामू नाम के दो मित्र रहा करते थे। उन दोनों में ही बचपन से घनिष्ठ मित्रता थी। दोनों एक दूसरे के लिए जान निछावर करते थे। बचपन से ही उन्होंने एक ही विद्यालय में शिक्षा ग्रहण की। साथ स्कूल आते जाते थे। और पढ़ाई खत्म करने के बाद दोनों ने अपनी खेती को काफी अच्छी तरह विकसित किया। जिससे कि वे हर साल अच्छी फसल लेकर बाजार से अच्छे पैसे ले लिया करते थे। वे दोनों काफी कम उम्र में ही सफल हो गए थे। और उन लोगों की अच्छे व्यवहार की वजह से उन दोनों के माता-पिता ने उन दोनों की शादी एक ही तारीख को, एक ही दिन, एक ही मंडप पर कर दी।


श्याम की पत्नी का नाम सरिता था। और रामू की पत्नी का नाम शीला था। वह दोनों भी श्याम और रामू की तरह अच्छी मित्र बन गई थी। दोनों साथ में बाजा जाती अच्छे-अच्छे पकवान बनाती है। और अपने पतियों को काफी ज्यादा प्रसन्न रखती थी। उन दोनों के पति को उनसे कभी कोई शिकायत नहीं रहती थी। विचारों काफी खुशहाली से अपनी जिंदगी जी रहे थे। पर जैसा कि सब जानते हैं कि जिंदगी इतनी आसानी से नहीं कटती। हालांकि श्याम और रामू की शादी एक ही साथ हुई थी। पर शादी के 5 साल बाद भी शयाम को कोई बच्चा नहीं हुआ। जिसकी कमी उन दोनों को कहीं ना कहीं खला करती थी।


श्याम की पत्नी सरिता इस बात को लेकर कुछ ज्यादा ही दुखी रहा करती थी। वह किसी भी हालत में अपने गोद में एक बच्चा देखना चाहती थी। वह कुछ ज्यादा ही अब गुमसुम सी रहने लगी थी। एक दिन रामू सुबह-सुबह अपने मकान से काफी खिलखिलाते हुए निकला। श्याम वही खटिया पर बैठकर हुक्का पी रहा था। श्याम ने पूछा "क्या हुआ रामू तुम इतने खुश क्यों हो क्या बात है मुझे भी बताओ"। तो रामू ने बड़े हर्ष और उल्लास के साथ बताया कि मेरी पत्नी शीला फिर से गर्भवती है। मुझे दूसरा बच्चा होने वाला है। और रामू खुशी के मारे फूला नहीं समा रहा था। उसकी इस बात को सुनकर श्याम भी बहुत पसंद हुआ। उसने उसको बधाइयां दी और दोनों साथ में खेत में काम करने के लिए चले गए।


अगले दिन सरिता को में पानी भर रही थी। तभी शीला और उसकी एक मित्र उसी कुए पर पानी भरने के लिए आते है। और सरिता ने शीला को बधाई दी उन्होंने बताया कि शाम को श्याम ने उसे बताया है। कि वह मां बनने वाली है और उसने कहा कि मुझे बहुत खुशी हुई कि तुम फिर से मां बनने वाली हो। पर शीला की मित्र ने सरिता को ताना मारते हुए कहा। हम सब तो दो दो बार मां बनने का सुख पा चुके हैं। पर तुमने तो एक बार भी नहीं पाया तुम्हें शादी के 5 साल बाद भी एक भी बच्चा नहीं है। कहीं तुम बांज तो नहीं या बात कहकर शीला की मित्र चिल्ला चिल्ला कर हंसने लगी। शीला को या बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगा। उसने अपने मित्र को हंसने से मना किया। और उसे डांट कर कुए के पास से ले कर चली गई।


सरिता को यह बात बिल्कुल भी अच्छी नहीं लगी। सरिता मन ही मन घुटने लगी थी। उसकी अंतरात्मा बिल्कुल भी स्थिर नहीं थी। उसका शरीर और उसका दिमाग दोनों ही असंतुलित हो चुका था। और उसके मन में बदले की भावना आ चुकी थी। वह किसी भी हालत में या तो मां बनने का सुख पाना चाहती थी। या तो शीला से बदला लेना चाहती थी। तो उसने शीला से बदला लेने के लिए काला जादू की किताब पढ़ना शुरू किया। वह हर रोज काला जादू की किताब पढ़ती थी। और उसमें दी गई बातों का अनुसरण करती थी धीरे-धीरे सरिता काला जादू में निपुण हो गई। और उसकी ज्ञानी हो गई और 8 महीने में ही हो काला जादू करना पूर्णता सीख गई। उसने रामू की पत्नी को भोजन में कुछ मिला कर दे दिया, और उसके ऊपर काला जादू कर दिया।



देखते ही देखते 9 महीने बीत गए। और शीला को पेट में पीड़ा होने लगी। अब समय आ गया था कि शीला अपने बच्चे को जन्म देने वाली थी। रामू बाहर बैठकर ताई के खुशखबरी देने का इंतजार कर रहा था। तभी अचानक से रामू को एक चीख सुनाई देती है। और वह दौड़ कर अंदर जाता है, जब रामू दौड़कर अंदर जाता है। तो वह भौचक्का रह जाता है वह देखता है की एक छोटी बच्ची जिसके पैदा होते साथ ही लंबे लंबे नाखून है। बड़े बड़े बाल हैं, बड़े बड़े दांत है, वह ताई को गले से काट रही है, और उसका खून पी रही है। वह काफी ज्यादा भयभीत हो जाता है। और डंडे से उस बच्ची पर प्रहार करता है। पर उस बच्ची के अंदर चुड़ैल घुस चुकी थी और उस पर कोई फर्क नहीं पड़ता।


रामू डर के मारे कांपने लगता है। बच्ची जोर-जोर से चिल्लाकर खूंखार आवाज में हंसने लगती है। तभी शीला जाती है और बच्ची को इस हालत में देखकर वह भी डरने लगती है। तभी वह चुड़ैल बोलती है कि "मुझे भूख लगी है मुझे खून पीना है", अगर तुम मुझे खून लाकर नहीं दोगे तो वह शीला को मारने की धमकी देती है। रामू डर जाता है और बाहर जाकर किसी जानवर को मारकर एक कटोरा खून लेकर आता है। वह खून उस चुड़ैल को लाकर देता है चुड़ैल खून को पीती है, और सो जाती है। और हर रोज रामू को किसी न किसी जानवर को मार कर उस चुडेल को खुल्ला कर देना होता है। वह इस बात से परेशान हो चुका होता है।


कुछ दिन बाद जब राम हो खेत की ओर जा रहा होता है। तब श्याम उसे आकर पूछता है "कि क्या हुआ रामू भाभी तो गर्भवती थी" ना क्या हुआ लड़का हुआ की लड़की। तुमने अभी तक खुशखबरी नहीं दी। तो रामू कहता है कि 'नहीं भाई अभी बच्चा होने में वक्त है" ताई ने कुछ दिन बात की तारीख बताई है। और वह हड़बड़ाहट में वहां से चला जाता है। श्याम को कुछ तो गड़बड़ के आसार लगते हैं। पर वह उस समय उस बात को नजरअंदाज कर देता है। और खेत में काम करने के लिए चला जाता है।


वह चुड़ैल हर रोज सुबह उठती और धीरे-धीरे डरावने स्वर में चिल्लाती व घर के सभी कोणों में उड़कर घूमा करती। रामू के दूसरे बच्चे को परेशान किया करती शीला भी उससे बहुत ज्यादा परेशान हो चुकी थी। पर उसने उसे जन्म दिया था। वह चाह कर भी चुड़ैल बच्ची को अपने से अलग नहीं कर सकती थी। अगर वह ऐसा सोचती तो वह चुड़ैल बच्ची रामू उसके बच्चे और उसकी पत्नी को मार कर उनका खून पी जाती है। धीरे-धीरे बच्ची की खुद की मांग बढ़ती जा रही थी। और रामू उसकी मांग पूरी करने में चला गया था।


कुछ दिन बाद 1 दिन रात में रामु चुड़ैल को खून देने के लिए एक बकरी को मारने के लिए निकलता है। उसके हाथ में एक बड़ा सा कटोरा और हाथ में एक गिलास होती है। और श्याम रामू को बकरी को मारते हुए देख लेता है। और कहता है कि तुम इस बेजुबान को क्यों मार रहे हो। और उसे रोकता है रामू के हाथ पैर कांपने लगते हैं। और वह मंदसौर में बोलता है अरे नहीं यह तो मुझसे गलती से हो गया। श्याम रामू के कंधे पर हाथ रख कर बोलता है कि दोस्त सही सही बताओ तुम्हें क्या दिक्कत है। बहुत दिन से तुम उखड़े उखड़े से नजर आ रहे हो अगर तुम मुझे सारी बात सच-सच नहीं बताओगे तो मैं गांव के मुखिया से इस बारे में बात करूंगा। रामू डर जाता है और वह सारी बात शाम को कह सुनाता है।


वह बताता है कि किस प्रकार उस नन्ही सी बच्ची के अंदर एक चुड़ैल प्रवेश करती है। वह दिनभर अलग-अलग ध्वनि हो गई स्थिति है। घर के सभी कीड़ों मकोड़ों को खाती है। और दिन में लगभग 2 जानवरों का खून पी जाती है। जबसे उस बच्ची ने जन्म लिया है। शीला की तबीयत भी काफी ज्यादा नाराज रहती है। ना चाहते हुए भी मुझे हर रोज कुछ जानवरों को मार कर उस चुड़ैल की खून की मांग को पूरा करना पड़ता है। सुबह से लेकर शाम तक मुझे बस इसी बात की चिंता बनी रहती है। कि कहीं मेरे पुत्र को कुछ ना हो जाए।


श्याम भी इस बात को सुनकर विचलित सा हो जाता है। और रामू को कहता है कि तुम आज उस चुड़ैल के लिए खून लेकर जाओ और कल सुबह सुबह हम इसका कोई उपाय ढूंढते हैं। रामू ठीक वैसा ही करता है वह कटोरी में बकरी का खून ले जाकर उस चुड़ैल बच्ची को दे देता है। और बच्चे खून पी कर सो जाती है। अगले दिन शाम और रामू गांव के एक तांत्रिक के पास जाते हैं। और उसको सारी दास्तां सुनाते हैं तांत्रिक भी दोनों की बात मान लेता है। और उस के घर जाने को राजी हो जाता है।


कुछ देर बाद श्याम और रामू तांत्रिक को लेकर रामू के घर पहुंचते हैं। और रामू कांपते हुए स्वर में तांत्रिक से कहता है, "कि प्रभु सब कुछ ठीक हो जाएगा ना तांत्रिक आश्वासन देते हुए कहता है"। कि कुछ ना कुछ प्रबंध तो हम जरूर करेंगे। और रामू के घर में प्रवेश करने के लिए उसकी चौखट पर रखता है। वह जैसे ही रामू की चौखट पर पैर रखता है उसे बहुत तेजी से झटका लगता है। और तांत्रिक जमीन पर गिर जाता है। श्याम और रामू तांत्रिक को उठाते हैं। और उससे पूछते हैं कि क्या हुआ फिर तांत्रिक बताता है। की उस बच्ची पर ही नहीं बल्कि तुम्हारे घर पर भी काला जादू किया गया है। और जिसने यह काला जादू किया है, उसकी शक्तियां काफी ज्यादा अधिक है।


रामू काफी ज्यादा डर जाता है। और उसके हाथ पैर फिर से कांपने लगते हैं। फिर तांत्रिक वहीं पर पलटी मार कर बैठ जाता है। और ध्यान में मग्न हो जाता है, और वह ध्यान की मुद्रा में यह जानने की कोशिश करता है। कि आखिर उस घर और बच्ची पर काला जादू किया किस में तो उसके ध्यान में उसे यह पता चलता है। कि उन पर काला जादू करने वाली और कोई नहीं श्याम की धर्मपत्नी सरिता ही है। और जब यह बात तांत्रिक श्याम और रामू को बताता है। तो श्याम भौचक्का रह जाता है, उसके मन के अंदर क्रोध भी होता है। और यह जानने की लालसा भी होती है कि आखिर उसकी पत्नी ने ऐसा किया क्यों।



श्याम दौड़ कर जाता है और अपनी पत्नी को घसीटते हुए रामू की घर की चौखट पर लेकर आता है। और उसे तांत्रिक के सामने खींच खींच कर कुछ थप्पड़ मारता है। और कहता है कि बताओ आखिर तुमने ऐसा क्यों किया। तब सरिता कहती है "कि मेरी शादी को लगभग 6 साल होने को आए" और वह अभी तक मां नहीं बन पाई गांव की महिलाएं मुझे ताना मारती है। कि मैं बांज हूं मुझसे या कष्ट सहा नहीं जाता। और शीला ने भी मुझे पानी भरते वक्त मेरे पास होने पर मुझे ताना मारा था। और मैं जिसे सहन नहीं कर पाई जिसकी वजह से मैंने काला जादू की किताबें पढ़ना शुरू किया। और वे उस पर निपुण हो गई और मैंने काला जादू कर शीला की बच्ची को पैदा होते साथ ही चुड़ैल बना दिया।


श्याम अपनी पत्नी सरिता को बड़ी क्रोधित नजर से देखता है। और उसे कहता है "की बच्चों की प्राप्ति हमारे हाथ में नहीं बल्कि भगवान के हाथ में है। अगर वह चाहेगा तो हम माता-पिता जरूर बनेंगे पर तुमने जो रास्ता अपनाया है। वह गलत है इसे किसी भी तरह करके तुम ठीक करो सरिता अपने पति की बात सुनकर रोने लगती हैं।


तभी तांत्रिक बताता है कि काला जादू कभी वापस नहीं होता। या तो हमें उस बच्ची को मारना होगा जिससे कि उसके अंदर की चुड़ैल मर जाएगी। या फिर सरिता को ही अपने प्राण त्याग ने होंगे। जिससे कि वह बच्ची काला जादू से मुक्त हो जाएगी। तब रामू कहता है कि हमें कोई बीच का मार्ग निकालना होगा। जिससे बच्चे भी ठीक हो जाए और भाभी को भी कोई दिक्कत ना है। श्याम राम के मकान के अंदर जाने की कोशिश करता है। और वह कहता है कि मैं जाकर बच्ची को मंदिर लेकर जाता हूं। भगवान जरूर कोई ना कोई मार्ग दिखाएंगे। और तांत्रिक तुरंत शाम को मना करता है। वह कहता है" कि अगर तुमने ऐसा करने की कोशिश की तो बच्ची चुड़ैल तुम्हें तुरंत ही मौत के घाट उतार देगी"। सरिता इस बात से काफी ज्यादा डर जाती है।


क्योंकि वह अपने पति से बहुत ज्यादा प्रेम करती थी। सरिता ने यह सब बात देखने के बाद अपने आंखों को बंद किया और अपने मन में कुछ मंत्र पढ़े। और मंत्र पढ़ने के बाद ही सरिता धू-धू कर जलने लगी। और बच्ची धीरे-धीरे सामान्य होने लगी। बच्ची की आंखें उस वक्त लाल थी। धीरे-धीरे वह काली होने लगी और बच्ची गिरकर रामू की गोद में आ गई। और सरिता धू-धू कर जलने लगी, श्याम दौड़कर सरिता के पास पहुंचा। और उसने कहा कि प्रिय तुमने ऐसा क्यों किया तुमने अपने आपको क्यों जला दिया।


तब सरिता ने रोते हुए अपने पति से कहा कि स्वामी यह मेरे किए का फल है। और मुझे इसे भूख नहीं होगा अगर मैंने अपने प्राण को नहीं त्याग दूंगी। तो इस बच्ची की जिंदगी नर्क बन जाएगी धीरे धीरे बच्ची के अंदर की चुड़ैल नष्ट हो जाती है। और सरिता की भी मौत हो जाती है। मरते-मरते सरिता अपने पति से बस इतनी ही बात कहती है। कि वह दूसरी शादी कर ले और उससे जो बच्चा होगा या बच्ची होगी। उसका नाम का पहला अक्षर मेरे ही नाम से रखना और आंखों में आंसू लिए सविता की मौत हो जाती है।


इस कहानी से हमें क्या शिक्षा मिलती है। अगर हम क्रोध वर्ष कोई ऐसा कदम उठा लेते हैं। जो हमें नहीं उठाना चाहिए तो उसका परिणाम हमेशा बहुत हानिकारक होता है। जो हमें काफी देर बाद पता चलता है, और कभी-कभी तो जिंदगी को भी नष्ट कर देता है।





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मुझे विश्वास है दोस्तों कि आपको यह पोस्ट1. देवर भाभी की रसीली योनि की बेदर्दी से चुदाई की कथा ।

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