धोखेबाज वधू ( अपने पति से तृप्त ना हो पाने की वजह से दूसरे पुरुषों के साथ सोती हुई नईनवेली बहू) / मेधावी शीला की दिल दहला देने वाली सेक्स स्टोरी / dhokebaaz Vadhu ( Apne Pati se tript Na Ho pane ki vajah se dusre purushon ke sath soti Hui nai naveli Bahu) ) / Medhavi Shila ki Dil dahla Dene wali Sex Story.
धोखेबाज वधू ( अपने पति से तृप्त ना हो पाने की वजह से दूसरे पुरुषों के साथ सोती हुई नईनवेली बहू) / मेधावी शीला की दिल दहला देने वाली सेक्स स्टोरी / dhokebaaz Vadhu ( Apne Pati se tript Na Ho pane ki vajah se dusre purushon ke sath soti Hui nai naveli Bahu) ) / Medhavi Shila ki Dil dahla Dene wali Sex Story.
1. धोखेबाज वधू ( अपने पति से तृप्त ना हो पाने की वजह से दूसरे पुरुषों के साथ सोती हुई नईनवेली बहू)
Dhokebaaz Vadhu ( Apne Pati se tript Na Ho pane ki vajah se dusre purushon ke sath soti Hui nai naveli Bahu) ) /
○भोला राम बेहद सीधा- सादा और मेहनती था । वह एक जूही कारखाने में काम करता था । उसके बीवी बच्चे सोलहपुर नामक गांव में रहते थे । यह उसका पैतृक गांव था । साथ ही उसका भाई तेजराम भी अपने परिवार के साथ रहता था । वहीं जिला सहावर के सिरपुर नामक गांव का रहने वाला आदर्श सिंह का बेटा अक्सर अपनी बुआ के घर आता जाता रहता था ।
उसकी बुआ की शादी भोलाराम के भाई तेजराम के साथ हुई थी । बोलो राम की पत्नी पति के गेम मौजूदगी में भी घर की जिम्मेदारी ठीक-ठाक हो जाती थी । वह अपनी बड़ी बेटी की शादी कर चुकी थी । जिंदगी ने कब करवट ले ली भोलाराम को पता ही नहीं चला । पिछले कुछ समय भोलाराम छुट्टी पर जब भी घर जाता था ,उसी पत्नी मनीता के स्वभाव में कुछ बदलाव लगता था । उसे अक्सर अपने घर में मोहन बैठा मिलता था । मोहन भले ही तेज राम की पत्नी का भतीजा था । भोलाराम यह सोचता था कि वह उसके घर में डेरा डाले क्यों बैठे रहते है। उसने मोहन को एक दो बार तो कभी की बुआ के घर पड़े रहने से अच्छा है कि कोई काम देखें । मनिता ने भी मोहन से ज्यादा कुछ ध्यान नहीं दिया था लेकिन वह जब भी आता था ,उसकी खूब मेहमान नवाजी करती थी। मनिता को पता नहीं था कि मोहन उसके बारे में क्या सोचता था ।
1 दिन मोहन उसके घर आया और चारपाई पर बैठ कर इधर उधर की बातें करने लगा । एक दिन वह उसके पास गया और बोला बुआ तुम जानती हो तुम कितनी सुंदर हो ,मोहन की यह बात सुनकर पहले तो मनिता चौकी उसके बाद बोली मजाक अच्छा कर लेते हो । नहीं बुआ यह मजाक नहीं है तुम मुझे सच में बहुत सुंदर लगती हो तुम्हें देखने को दिल चाहता है तभी तो ,मैं तुम्हारे यहां आता हूं ।
मोहन हंसा ,उसकी बातें सुनकर मनीता के माथे पर बल पड़ गए । उसने कहा तुम यह क्या कह रहे हो ,क्या मतलब है तुम्हारा ?मोहन बोले कुछ नहीं बुआ ,तुम यह बताओ कि फूफा जी कब आएंगे ?मैं छुट्टी कहां मिलती है ,तुम जानते तो हो ! मुझे तो तुम पर दया की हर बुआ फूफा जी को तुम्हारी चिंता ही नहीं है । अगर उन्हें चिंता होती तो इतने दिनों बाद घर नहीं आते। चाहते तो गांव में ही कोई काम कर सकते थे । यह कहकर मोहन ने तो जैसे मनीता पर उसके हाथ पकड़ते हुए बोला ,अब तुम चिंता मत करो सब कुछ ठीक हो जाएगा यह कहकर मोहन वहां से चला गया । लेकिन वह मनीषा के मन में सवाल छोड़ गया और वह सोचने लगी थी कि,आखिर मोहन का उसके यहां आने जाने का मकसद क्या है?
27 साल का मोहन देखने में ठीक ठाक था । वह अविवाहित था । गांव के एक भट्टे पर काम करता था । उसकी तनख्वाह ज्यादा नहीं थी पर वहां उसे अच्छी कमाई हो जाती थी । बुआ के यहां आते आते उसका दिल सहित मनिता की देवरानी पर आ गया था। मनीता पति की दूरी से बहुत परेशान थी । इसी का फायदा उठाते हुए उसने उसके दिल में जगह बनाने शुरू कर दी थी । रिश्ते के नजदीक या रास्ते में बाधक थीमोहन को इस बात का भी डर लग रहा था कि अगर सुनीता को बुरा लग गया तो ,परिवार में तूफान आ जाएगा ।
उस दिन मोहन के जाने के बाद मनीता दिनभर उसी के बारे में सोच रही थी ,के मोहन आखिर चाहता क्या है गुजरात में नीता को देर तक नींद नहीं आई । मनीता मोहन से उम्र में कई बड़ी थी। सुनीता को मन में पति के प्रति गुस्सा भी आया क्योंकि पति से दूरी के कारण ही उसका मन डगमगा रहा था । उसने तय कर लिया कि इस बार जब भी घर आएगा तो वह उसे कहेगी कि या तो वह गांव में ही रह कर कुछ काम कर ले या उसे भी साथ ले जाए । कुछ दिन बाद तेजराम छुट्टी पर घर आया तो मनिता ने कहा ,देखो तुम्हारे बिना मेरा यहां बिल्कुल भी मन नहीं लगता या तो तुम यही कोई काम कर लो या मैं बच्चों को लेकर हकीमपुर मेंूतुम्हारे साथ रहूंगी पत्नी की यह बात सुनकर तेजराम लगता है तुम पागल हो गई हो | तुम अपनी उमर तो देखो बच्चे बडे हो रहे हैं ,और तुम्हें रोमेंस सूझ रहा है | तो क्या अब मैं बूढी हो गयी हूँ | ऐसा नहीं है मनिता पर यह मेरी मजबूरी है |
मेरी तनख्वा इतनी नहीं है कि किराए का कमरा लेकर तुम्हें रख सकूं और तुम क्या सोच रही हो मैं वहाँ खुश हूँ नहीं बिल्कुल नहीं तुम्हारे बिना मैं भी कम परेशान नहीं हूं । पति के जवाब पर मनिता कुछ नहीं बोली | तेजराम 3 दिन तक घर पर रहा तब तक सुनीता काफी खुश रहीं पर पती के जाने के बाद उसके जीस्म की भूख फिर सिर उठाने लगी | वह उदास हो गई ,तब उसके दिलो दिमाग में मोहन घूमने लगा | वह उससे मिलने को उतावली हो उठी इतना ही नहीं वह अपनी जेठनी के घर जाकर कहने लगी मोहन अब आता नहीं क्या? , जेठनी कहने लगी वह कल आएगा शायद क्यूं कोई काम है क्या,नहीं तो यह कहकर उदास मन से मनिता वापस आने लगी |
उसे लग रहा था कि मोहन उससे नाराज है तभी तो वह उसके घर नहीं आया ,अचानक उसके दरवाजे पर दस्तक हुई और उसने दरवाजा खोला ,सामने मोहन खडा था | उसे देखकर मनिता हैरानी से बोली, तूम ! हाँ मैं ही हूँ बुआ, तुम मुझे याद कर रही थी मुझे याद कर रही थी इसलिए मैं यहां चला आया । तो ,तो बताओ अब क्या हुआ ,मोहन ने घर में दाखिल होते हुए कहा । मनीता दरवाजा बंद किया और अंदर आकर मोहन से बात करने लगी । कुछ समय बाद मनीता दो कप में चाय लेकर आई तो मोहन ने पूछा ,फूफा जी आए थे क्या ?हां आए तो थे लेकिन 3 दिन रह कर चले गए सुनीता बेमन से बोली । मोहन को लगा कि वह फूफा जी से खुश नहीं है । उसने मौके का फायदा उठाते हुए कहा बुआ ,मैं कुछ कहना चाहता हूं लेकिन डर लग रहा है कि कहीं तुम बुरा ना मान जाओ । नहीं मैं बुरा क्यों मानूंगी बताओ तुम । बुवा सच तो यह है कि तुम मुझे अच्छी लगती है और मैं तुमसे प्यार करने लगा हूँ। मोहन ने एक ही झटके में अपने मन की बात कह दी और मनीता भड़क गई । क्या मतलब है तुम्हारा ?
और हां क्या का मतलब है तुम्हारा ? जानते हो अपनी और मेरी उम्र में फर्क देखा है ,मैं तुम्हारी बुआ लगती हूं उत्तरण उत्तरण । हाँ लेकिन इस दिल का क्या करूं ? जो तुम पर आ गया है, अब तो इस दिलो-दिमाग पर तुम ही छाई रहती हो मोहन ने कहा । लगता है तुम पागल हो गए हो । अगर घर वालों को पता चल गया तो मेरा क्या होगा । ऐसा मोहन ने कहा और मनीता के पास जाकर गले में बाहें डाल दी । मनिता ने इसका कोई विरोध नहीं किया इससे मोहन की हिम्मत और बढ़ गई । इसके बाद मनीता भी खुद को नहीं रोक पाए तो मर्यादा की भंग हो गई । जोश उतरने के बाद मन में जब होश आया तो दोनों को भी बिल्कुल पछतावा नहीं था। मनीता को फिर आने का वादा करके और अपना मोबाइल नंबर देते हुए मोहन वहां से चला गया । उस दिन के बाद तो जैसे मनीता कि दुनिया ही बदल गई । पर उसे डर भी लगता था कि अगर उसका भेद खुल गया तो क्या होगा । के बाद मोहन का आना जाना रहने लगा। इसे बीच तेजराम एक दिन अचानक घर आ गया ।
उसकी तबीयत खराब हो गई पर उस समय मोहन घर पर नहीं था और मनीता डर गई कि कहीं भर्ती की मौजूदगी में मोहन घर ना जाए ,इसलिए उसने मोहन को फोन कर सतर्क कर दिया |तेजराम चला तो गया पर मनिता के मन में डर सा समा गया | पडोसियों को मनिता के घर मोहन का आना जाना खटकने लगा | आखिर एक दिन पडोसी ने मनिता को टोक ही दिया ,इस तरह से जवान लडके का आना जाना ठीक नहीं |अपनी जवान बेटी का कुछ तो खयाल करो | मनिता दमक कर बोली, हम अपने घर का ख या खुद रख सकते हैं । मोहन बेखौफ और बिना रोक टोक के मनिती के यहाँ आने जाने लगा ।पडोसियों के मन में भी सक होने लगा । एक दिन जब तेजराम घर आया तो पडोसी कहने लगा मोहन तुम्हारी गैर मौजूदगी में अकसर तुम्हारे घर आता है ।तुम्हें इस बात पर ध्यान देना चाहिए।
इस बात से तेजराम को लगा कि जरूर कुछ गडबड है । उसने मनिता से पूछा यह मोहन का क्या चक्कर है।पति की बात सुनकर वह घबर गयी।मोहन तुम्हारा रिस्तेदार है वह कभी भी यहाँ आ जाता है ,इसमें गलत क्या है ।घर में जवान बच्ची है तुम उसे यहाँ आने के लिए मना कर दो। अपनी बेटी की देखरेक मैं खुद कर सकती हूँ। पर क्या तुमने कभी सोचा है कि मैं तुम्हारे बिना कैसे रहती हूँ। तुम लोगों के लिए ही तो मैं बाहर रहता हूँ । क्या मुझे वहाँ अच्चा लगता है । तेजराम को यकीन होने लगा कि मनिता और मोहन के बारे में जो पडोसियों ने कहा वह बिलकुल सच है । तेजराम कुछ दिन रुक कर फिर वापस अपने काम पर चला गया ।पर इस बार उसका काम में मन नहीं लगा ।
उलगता था जैसे उसके गृहस्ती की नींव हिल रही है । एक दिन वह बिना बताए छुट्टी लेकर घर आ गया। उसने घर में कदम रखा तो कोई बच्चा नजर नहीं आया। उसने कमरे का दरवाजा खोला तो सन्न रह गया|उसने देखा की उसकि पत्नि मोहन की बाहों में थी। गुस्से में तेजराम ने डंडा उठाया और मनिता की खूब पिटायी की। जबकि मोहन भाग गया । जबकि मनिता के चेहरे पर डर नहीं था। वह गुर्रा कर बोली इस सब में मेरी क्या गल्ती बल्कि तुम्हारी गल्ति है।मैंने कहा था न तुम्हारे बिना नहीं रह सकति पर तुमने मेरी भावनाओं क खयाल कहाँ रखा । तेजराम का गुस्सा बढ गया। वह हैरान था कि मनिता ने रिस्ते का जरा भी खयाल नहीं रखा । मोहन तो उसके बेटे की तरह है। उसने कहा,अब सब ठीक है। अब मैं आ गया हूँ ,सब सँभाल लूँगा। मैं आ गया हूँ से क्या मतलब है तुम्हारा। मैं नौकरी छोडकर हमेसा के लिए आ गया हूँ । खेती करूँगा फिर देखूँगा तुझे। यह सुनकर मनिता परेशान हो गयी क्यूंकि अब उसे मोहन से मिलने का मौका नहीं मिल सकता था। उसने मोहन को सारी बात बताकर सतर्क रहने को कहा। अब वह किसी भी कीमत पर मोहन को छोडने को तैयार नहीं थी।
उसके के लिए पति के मन में नफरत हो गयी। उसे डर था कि कहीं मनिता मोहन के साथ भाग न जाए। अगर ऐसा हो गया तो समाज में उसकी नाक कट जाएगी ।लिहाजा उसे अपनी दुराचारी पत्नी से नफरत हो गयी। बेटी भी जवान थी पर ,वह माँ के ही तरफ से बोलती थी।उसेइस बात का भी डर था कि ,कहीं बेटी भी गुमराह न हो जाए । तेजराम की चौकसी के बावजूद दोनों मिलने लगे । यह बात भी तेजराम से ज्यादा दिन तक छुपी नहीं रह सकी। उसने एक बार फिर से मनिता को समझाने की कोशिश की पर वह मानने को तैयार ही नहीं थी ।तेजराम समझ गया कि अब से कोई बड़ा कदम उठाने की जरूरत है वरना उसकी गृहस्ती ज्यादा दिन तक सबरी नहीं रह पाएगी ।घर का वातावरण काफी तनावपूर्ण था मोहन तेजराम की खुशियों के रास्ते का कांटा बन चुका था और अब भी जान सकते हैं लगा कि उसका एक ही हाल है कांटे को रास्ते से हट देना दूसरी तरफ मनिता को लगने लगा कि अब वह ज्यादा दिन तक पति के साथ खुश नहीं रह पाएगी ।वह खुलकर मोहन के साथ अपनी दुनिया बसाना जाती थी ।तेजराम धीरे-धीरे अपने इरादे को मजबूत कर रहा था ।बेशक उसके लिए यह काम कठिन था लेकिन एक तरफ उसकी पत्नी मनीता तो दूसरी तरफ भतीजा ,दोनों ही उसके काम को हवा दे रहे थे ।
योजना के अनुसार तेजराम उसी भठ्ठे पर काम करने लगा जहाँ पर मोहन काम करता था। तेजराम जानता था की मोहन रात को भठ्ठे पर ही सोता है । उसे लगा कि वह वहीं पर अपना काम आसानी से कर सकता है। वह भी भठ्ठे पर ही सोने लग गया और मौके की तलास में लग गया । मोहन अपने फूफा के इरादे से बिल्कुल बेखबर था ।जबकि तेजराम ने सोच लिया था कि अपनी इज्जत पर हाथ डालने वाले को वह जिंदा हीं छोडेगा। अपनी नौकरी के कुछ ही दिन में उसे यह मौका मिल गया । उसने देखा कि, मोहन अकेला सो रहा था। उसने फावडे से मोहन पर हमला कर दिया । मोहन भागने की कोशिश करने लगा पर भाग नहीं पाया और उसकी हत्या हो गयी । उसकी दिमागी हालत ठीक नहीं थी। वह सीधे पुलिस स्टेसन पहुँचा
और सारी बात बता दी । पूछताछ करने के बाद पुलिस उसे वहाँ ले गयी जहाँ उसने हत्या की थी । उसके बाद कानूनी कारवाही कर उसे सजा दिया गया।
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2. मेधावी शीला की दिल दहला देने वाली सेक्स स्टोरी ।
Medhavi Shila ki Dil dahla Dene wali Sex Story.
यह कुछ दिन पहले की एक सच्ची घटना है। शिरपुर नाम के एक छोटे सा गांव था। वहां एक छोटा सा परिवार रहता था रंजना उसका पति और उसकी बेटी शीला। शीला बचपन से ही पढ़ाई में काफी सदस्य और मेधावी थी। उसने दसवीं कक्षा में अपने विद्यालय में टॉप किया था। उसकी पढ़ाई में रुचि देखकर शीला की मां ने यह निर्णय लिया कि वह शहर जाकर अपनी बेटी को अच्छे विद्यालय में पढ़ाई की और उसे कुछ करने में सक्षम बनाइए।
रंजना का यह फैसला ना जाने किस हद तक सही था। यह हमें आगे पता चलेगा रंजना का पति जो कि किसान था। वह अपने खेतों में खेती-किसानी करके अपना गुजर-बसर करता था। इसलिए जब रंजना शहर गई तो उसे अपना गुजर-बसर करने के लिए और रहने के लिए छोटा सा काम करना पड़ा। वह एक सरदार जी के यहां जाकर झाड़ू पोछा कपड़ा लगता खाना बनाना आदि सभी काम किया करती थी जिसके उपरांत पूछे उसे अच्छे खासे पैसे मिलते थे। जिससे उसने उन दोनों मां बेटी का गुजर-बसर अच्छे से हो जाता था। और उसकी बेटी के पढ़ाई का खर्च और उनका निर्वाह अच्छी तरह हो जाता था।
शीला ने अपनी पढ़ाई ठीक उसी तरह सारी देखी वहां पर भी वह स्कूलों में टॉप करने लगी उसे वहां लोगों से और उसके कक्षा के मित्रों से काफी ज्यादा प्यार मिले लगा। पर दोस्तों कहां जाता है, ना कि जिंदगी में सब कुछ अच्छा नहीं होता। शीला के पास अच्छे दिमाग के साथ एक बहुत सुंदर और आकर्षित करने वाला शरीर भी था उसका शरीर देखकर बड़े से बड़े लोग मोहित हो जाते थे। और आकर्षित हो जाते थे जब वाह टाइट फिटिंग वाले कपड़े पहनकर बाजार में या स्कूल की तरफ निकलती थी। तुम लोगों की आंखें चौहान दिया जाती थी, इतनी खूबसूरती लोगों ने कभी नहीं देखी थी शीला की खूबसूरती को शब्दों में बयां करना नामुमकिन सा था। और शीला की मां इस बात को बहुत ही अच्छी तरह जानती थी। इसलिए वह जानबूझकर शीला को ज्यादा बाहर निकलने नहीं देती थी, और ज्यादा लोगों से मिलने नहीं देती थी। क्योंकि ना जाने किस की गंदी नजर उसकी बेटी पर पड़ जाती और उन्हें परेशानियों का सामना करना पड़ता।
1 दिन की बात है, शीला की मां को उसके पिताजी का फोन आया और उसने शीला की मां को गांव बुलाया ताकि उन लोग मिलकर फसल काट सके और शीला की मां रंजना शीला को अपने साथ गांव नहीं ले जा सकती थी। क्योंकि ठीक उसी समय शीला की 12वीं की इंतिहान चल रहे थे। इस विकट परिस्थिति में शीला की मां ने सोचा कि वह जिस सरदार जी के यहां काम करती है। वही शीला को कुछ दिनों के लिए ठहरा देगी ताकि उसकी बेटी मां सुरक्षित रह कर पढ़ाई भी कर लेगी और उनके घर सरदार जी के घर का काम भी कर देगी और अगले ही दिन जाकर शीला की मां ने सरदार जी से सारी बात कही और सरदार जी ने खुशी-खुशी इस बात पर रजामंदी दे दी। अगली सुबह जब शीला की मां सरदार जी के सामने अपनी बेटी को लेकर गई तो सरदार जी की आंखें चौथी आ गई।
एक तक शीला को ही देखते रहे ऊपर से नीचे तक हवस भरी नजरों से उसे निहारते रहे। उसके छाती उसकी कमर उसकी गर्दन उसकी टांगों और जांघों को ऊपर से नीचे तक गिद्ध की धरा नोचनी वाली नजरों से निहारते रहे। उसके मुंह में लार भर गई थी। उससे उसकी ठरक कंट्रोल नहीं हो रही थी पर उसी समय रंजना ने बोला "साहब जी यही मेरी बेटी शीला है" यह एक हफ्ते तक आपके यहां काम करेगी। और मैं जब फसल काट के आ जाऊंगी तो फिर हम लोग अपने घर पर जाकर फिर वही रहने लगेंगे सरदार जी हवस में इतनी भर चुके थे। कि उन्होंने रंजना की बातों का जवाब नहीं दिया। और बस लालसा से और हवस भरी नजरों से शीला को देखते रहे। रंजना ने कहीं ना कहीं इस बात का अनुमान लगा लिया था। कि सरदार जी की नजर उसकी बेटी पर आ चुकी थी। पर मजबूरियों के कारण वह कुछ नहीं कर सकती थी। कुछ देर के बाद शीला को घर का सारा काम बता कर रंजना गांव की तरफ रवाना हो गई और शीला ने घर का सारा काम अच्छी तरह देखा और करने लगी।
रंजना की जाते ही सरदार जी की गंदी नजर शीला पर पड़ने लगी। शीला जब झुक कर झाड़ू लगाती थी तो सरदार जी जानबूझकर उसके सामने आकर उसकी छाती को निहारते थे। उसकी कमर को निहारते थे। और जब वह झुकती थी तो उसकी पीठ और पेट के कुछ हिस्से जब दिखते थे। तो वह उसे काफी बुरी तरह निहारते थे। और शाम को शराब पीते हुए उसे बार-बार किसी ना किसी बहाने सामने बुलाते और उसे घूरते रहते। कहीं श-ना-कहीं शीला भी यह समझ चुकी थी कि अब वह सरदार जी के साथ सुरक्षित नहीं है। पर वह उसे अपने पिता के समान मानती थी इसलिए वह छोटी मोटी बातों को नजरअंदाज कर दे रही थी।
एक दिन जब शीला सारे काम करके जब सुबह-सुबह बाथरूम में नहा रही थी। तो सरदार जी जानबूझकर बिना खटखटआए हुए बाथरूम में चले गए। बाथरूम की कुंडी जोकी अंदर से बंद नहीं होती थी। सरदार जी की एक ही झटके में खुल गई, और सरदार जी ने शीला को नग्न अवस्था में देख लिया। वह उसके पास जाकर उसे चूमने लगा उसे गंदी तरह की से स्पर्श करने लगा। उसके योनि और कूल्हे में अपनी उंगलियां डालने लगा। और उसकी शरीर के नग्न हिस्सों पर चुम्मा लेने लगा। शीला सारी बातों को समझ चुकी थी। और उसने सरदार जी को धक्का मारा और वहां से नग्न अवस्था में ही चली गई।
और फिर स्कूल जाकर पब्लिक पी.सी.ओ से यह सारी बात उसने अपनी मां रंजना को बताई। तो रंजना की मां ने कहा "कि आज शाम तक किसी भी तरह तुम वहां पर काट लो अगली सुबह मैं तुम्हें लेने आ जाऊंगी"। और शीला ने कांपते हुए आवाज में अपनी मां की बातें मान ली। परीक्षा खत्म करने के बाद वह सरदार जी के घर गई और बचा हुआ काम किया। सरदार जी के लिए भोजन तैयार किया। रात का भोजन करने के बाद सरदार जी ने शीला के हाथों में हजारों रुपए की एक गड्डी आई थी। और उसे कहा यह "लो और मुझे खुश कर दो" शीला सारी बातों को समझ तो चुकी ही थी। पर शीला ने बहुत शक की नजरों से सरदार जी से कहा "कि खुश कर देने का मतलब अच्छा खाना बनाने से है ना सरदार जी ठीक है मैं आपको अच्छे-अच्छे पकवान बनाकर खिलाऊंगी"।
और घर की अच्छी तरह देखभाल करूंगी सरदार जी ने खड़े होते हुए। शीला से कहा "अरे नहीं पगली तुम बात नहीं समझ रही है" वह फिर उसके करीब गया। उसके कंधों से उसकी बदन की खुशबू लेने लगा और उसे कहा तुम्हारे जिस्म की खुशबू मुझे मद
होश कर देती है। और तुम्हारा संगमरमर सा बदन देखकर मैं अपनी भावनाओं पर नियंत्रण नहीं रख पाता। सरदार जी की इस बातों को सुनकर शीला डर के मारे कांपने लगी उन दोनों के उम्र के बीच में लगभग 2 गुना से भी ज्यादा का अंतर था। शीला में यह तय कर लिया कि वह किसी भी तरह यहां से निकल जाएगी और यहां पर नहीं रुकेगी।
और शीला अपने सामान की पोटली उठाकर सरदार जी के घर से निकलने के लिए तैयार हो जाती है। तभी सरदार जी उत्तेजित हो जाते हैं। उसकी कलाई पकड़ कर उसे अपने करीब खींचकर उसकी होठों की चुम्मी ले लेते हैं। और उसे उत्तेजित करने की कोशिश करते हैं। अलग-अलग यत्न करते हैं जिससे कि शीला उसकी बाहों में आने के लिए तैयार हो जाए। और वह दोनों शारीरिक संबंध बना सके पर शीला ऐसा बिल्कुल भी नहीं चाहती। पर उस दिन जो जबरदस्ती करके शीला के सारे कपड़े फाड़ के सरदार जी ने उसे पलंग पर लेटा दिया शीला आसानी से सरदार जी के हाथ में नहीं आ रही थी। इसलिए उसने शीला के हाथ पैर पलंग पर बांध दिए। और धीरे-धीरे शीला के सारे कपड़े उतार दिए शीला के हाथ पर बांधने के बाद सरदार जी बैठ कर उसे नग्न अवस्था में घूमता रहा। और शराब की गिलास धीरे धीरे कर कर पी जरा और अब सरदार जी ने अपने सारे कपड़े उतार दिए थे। वह दोनों नग्न अवस्था में एक दूसरे को देख रहे थे शीला रो रही थी। गिड़गिड़ा रही थी ताकि वह अपने आपको उससे बचा सके। उसकी योनि से खून आने लगा था। डर के मारे कहां पर ही थी। फिर सरदार जी उसके करीब के और उसके शरीर के हर अंग को चूमने लगे। धीरे-धीरे वह उसके पास जाने लगे और उसे अपनी आगोश में लेने लगे। तभी अचानक से शीला की मार रंजना दरवाजे को तोड़ते हुए पुलिस के साथ सरदार जी के घर पहुंच गई। पुलिस ने सरदार जी को तुरंत गिरफ्तार कर लिया उन्हें घुटनों पर लाकर हथकड़ी उसे जकड़ लिया ।
महिला हवलदार होने और उसकी मां ने तुरंत रंजना को कपड़े पहना है। और उसकी हालत को संभाला शीला की मार रंजना अपनी बेटी को इस हालत में देखकर मदहोशी हो गई। उसने रोते और गिराते हुए कहा कि "काश मैं अपनी बेटी को गांव में ही रखती शिक्षा के लिए यहां लगाती है"। और रोटी और ब्लैक की आवाज में पुलिस वाले के सामने हाथ जोड़े। और उनका आभार व्यक्त किया और जाकर सरदार जी को खींचकर एक झापड़ मारा। और अपनी बेटी को इलाज कराने के लिए अस्पताल ले गई। अपनी बेटी को इतना दर्द है देखकर शीला की मां की आंखों के आंसू बंद ही नहीं हो रहे थे। और जब शीला के पिताजी को इस बारे में पता चला तो वह टूट कर ही रह गए। पर वह लोग खुश इस बात से थे कि शीला की इज्जत बच गई थी। सरदार जी अपने मंसूबों में कामयाब नहीं हो पाए थे पुलिस वालों ने सरदार जी को पकड़ कर जेल में डाल दिया। और शीला की मां अपनी बेटी को लेकर फिर गांव चली गई।
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मुझे विश्वास है दोस्तों की आपको यह पोस्टधोखेबाज वधू ( अपने पति से तृप्त ना हो पाने की वजह से दूसरे पुरुषों के साथ सोती हुई नईनवेली बहू) / मेधावी शीला की दिल दहला देने वाली सेक्स स्टोरी / dhokebaaz Vadhu ( Apne Pati se tript Na Ho pane ki vajah se dusre purushon ke sath soti Hui nai naveli Bahu) ) / Medhavi Shila ki Dil dahla Dene wali Sex Story. बहुत ज्यादा पसंद आया होगा क्योंकि इन कहानियों में सच्ची घटना साफ व्यक्त होती है। इन कहानियों के माध्यम से हम लोगों तक सच्चाई लाना चाहते हैं। तो दोस्तों मैं आप सब से गुजारिश करूंगा कि इन कहानियों को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक शेयर करें और लोगों को जागरूक करें।
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https://edulustx.blogspot.com/2022/04/dewar-bhabhi-ki-rasili-pani-nikal-dene.html
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