देवर भाभी की रसीली पानी निकाल देने वाली कहानियां ( सेक्स स्टोरी) / Dewar bhabhi ki rasili Pani Nikal dene wali kahaniya ( Sex Story ) 1. भाभी की रसीली चुद की चुदाई/ bhabhi ki rasili chut ki chudhai. 2.जवान भाभी, देवर और नौकर की पानी निकाल देने वाली सेक्सी कहानी/ jawan bhabhi, dewar or servent ki pani nikal dene wali sexy kahani.

 देवर भाभी की रसीली पानी निकाल देने वाली कहानियां  ( सेक्स स्टोरी) / Dewar bhabhi ki rasili Pani Nikal dene wali kahaniya ( Sex Story ) 

1. भाभी की रसीली चुद की चुदाई/ bhabhi ki rasili chut ki chudhai.

2.जवान भाभी, देवर और नौकर की पानी निकाल देने वाली सेक्सी कहानी/ jawan bhabhi, dewar or servent ki pani nikal dene wali sexy kahani. 




1.    देवर भाभी की प्रेम व्यथा / भाई के किसी काम से बाहर जाते ही देवर ने अपनी भाभी की रसीली चुद मार ली


मेरा नाम श्वेता है। और मेरी उम्र 30 साल है, और मैं एक हाउसवाइफ हुं। मेरे पति मुझसे बहुत प्यार करते हैं। और मैं भी उन्हें बहुत चाहती हूं। इसलिए हमारा जीवन हंसी खुशी बहुत प्यार से गुजर रहा था।


 दोस्तों मैं आप से यह गुजारिश करती हूं कि प्लीज इस पोस्ट को अकेले बैठकर ही पढ़ें क्योंकि यह पोस्ट आपकी कामवासना को उत्तेजित कर देगा!!!



   

मैं एक छोटे से गांव में रहने वाली हूं इसलिए मुझे सेक्स की ज्यादा जानकारी नहीं है, इसलिए मुझे जो भी जैसा भी सेक्स मेरे पति से मिलता था मैं उस में संतुष्ट हो जाती थी। मेरे पति मुझे हर रोज रात को बहुत प्यार से चोदते थे, और उनके काम से मैं बहुत खुश रहती थी। उनको नहीं पसंद था की सैक्स के दौरान मैं ज़ोर ज़ोर से कराहू और आहे भरू उनका मानना था कि अच्छे घर की महिलाएं ज़ोर ज़ोर से नहीं कराहती चाहें कितना भी दर्द हो। एक दिन मेरे पति नौकरी से घर आते हुए ब्लू फिल्म की एक डी.वी.डी लेकर घर आ गए। और उन्होंने मुझे वह लाकर लगाकर दिखाई। मैंने उसे बहुत चकित नजरों से देखा और इसे उसे जो हीरो था उसका ल** बहुत बड़ा था। और मोटा भी था और उसकी उपेक्षा मेरे पति का लैंड बहुत छोटा था। 


 असली कहानी तो अब शुरू होती है।

  

 दोस्तों उस ब्लू फिल्म को देखने के बाद मेरे पति ने मेरी च**** ठीक उसी तरह मारी लेकिन उस पूरी चुदाई के समय मेरे मन में बस उस बड़े लंड की ही याद आती रही। उस लंड को मैं अपनेअपने चुद में लेना चाहती थी। और महसूस करना चाहती थी। बड़े ल** को मुंह में लेने और उससे चुदानें  की लालसा मेरे अंदर बढ़ती जा रही थी। उसको याद करके मैं अपनी उंगलियां अपनी चुद में डालने लगी और जोर-जोर से कराने लगी। 

 आह! आह!आह!


मेरा मन बड़े ल** की तलाश में इधर उधर भटक रहा था। मेरा मन में जाने क्यों कैसी-कैसी बातें आने लगी थी। एक  दिन मेरे पति ने कहा कि मैं किसी काम से कुछ दिनों के लिऐ बाहर जा रहा हूं। इसलिए पटना से मेरा छोटा भाई यानी कि मेरा देवर जिसका नाम श्याम है। वह हमारे घर पर   जब तक मेरे पति नहीं आ जाने तक रहेगा। और वह मेरे साथ ही रहेगा फिर मेरे पति के चले जाने के दूसरे दिन मेरा देवर मेरे घर आ गया। 


वह दिखने में बहुत अच्छा लगता था, एकदम जवान और मस्त था। और 24 साल का लड़का था। जिसकी शादी भी नहीं हुई थी।  मैंने उसे बहुत प्यासी नजरों से देखा, बड़े लिंग लेने की लालसा मेरे अन्दर उबाल मार रही थीं। मेरी देवर जी से बहुत बनती थी। और हमारे बीच रोज हंसी मजाक चलता था, और कभी-कभी मजाक में इतना आगे बढ़ जाता कि मेरे पीछे से आकर मुझे गोद में उठा लेते। जैसे ही उसके हाथ मेरे मुलायम पेट को छूते तो उसके स्पर्श से मेरे तन बदन में आग लग जाती। लेकिन मैं कैसे भी कर शांत हो जाती। दोस्तों मेरी पति को गए 4 दिन हो गए थे। जिसका मतलब साफ था कि अब मेरी च** को लंड लेने की भूख बड़ रही थी। मेरी च**** कराने छटपटाने लग रही थी। और मैं कैसे भी करके उस को शांत करना चाहती था। मैं उसके लिए कोई भी मौका तलाश रही थी। और अपनी चुद की चुदाई की नए नए विचार बना रही थी। तभी मैंने एक दिन सोचा क्यों ना मेरी चदाई करने के लिए देवर जी को तैयार किया जाए।


लेकिन उस काम को अपने देवर के साथ करने में थोड़ा बहुत डर था। कि कहीं मेरी हो बात उल्टी ना पड़ जाए। तो यहां मेरी च**** वाली बात किसी को ना बता दे। इसलिए मैंने देवर जी के मन की सारी बात जानने के लिए नहाने के बाद अपनी पेंटी और ब्रा धूप में सुखा दे देती थी। और शाम को जानबूझकर अपने देवर को उसे कपड़े उतारने के लिए कहा करती थी। और तब मैं उनकी हरकतों को बहुत ध्यान से देखती, फिर मैंने देखा कि मेरे देवर जी मेरे ब्रा और पेंटी को बहुत अच्छी तरह छूकर और महसूस कर बड़े ध्यान से देखते हैं।


 फिर एक दिन उनकी इस हरकत को देखकर तुरंत समझ गई कि मेरी बात बन सकती है। इसलिए जानबूझकर मैं उन्हें अपनी तरफ आकर्षित करने लगी। मैं उन्हें रोज गोरे-गोरे गोल मटोल बूब्स के दर्शन कराने लगी, जिसको वह बड़े ध्यान से अपने खा जाने वाली नजरों से देखते थे। मैं उसके सामने कुछ ज्यादा ही झुक कर झाड़ू लगाती थी, और वह मेरी छाती को बड़ा घूर घूर कर देखते थे। और मैं बहुत खुश हो जाती थी। उनकी आखों में मेरी योनि मरने का ईच्छा साफ़-साफ़ नज़र आती थी। एक दिन में बाथरूम में नहा कर ने के बाद अपने गोरे बदन पर एक पतला सा कपड़ा लपेटकर अपने कमरे में आकर। उसको हटाकर ब्रा- पेंटी पहनकर कांच के सामने खड़ी हो गई। और मैं अपने गोरे-गोरे सुंदर बदन को निहारने लगी। और मैंने जानबूझकर अंदर आते समय अपने रूम का दरवाजा थोड़ा खुला छोड़ दिया था। इसके बाद थोड़ी देर बाद जैसे ही मेरे देवर कमरे के पास आए उसने मुझे ब्रा और पेंटी में खड़े हुए   मुझे देख लिया। 


और वह वहीं पर रुक गया और वह अपनी चकित नजरों से मुझे लगातार देखने लगा। और मैं उसको अपने सामने लगे कांच से देखने लगी। उसको देख कर मैं अपने बूब्स पर अपने दोनों हाथों को घुमाने लगी, और बूब्स को बाहर निकाल कर अपने निपल्स को सहलाने लगी।हल्के-हल्के दबाने लगी। उसको अपने गोरे जिस्म के दर्शन कराने लगी। वो अपना हाथ आपने लिंग पर रखकर मुझे एकटक देखता रहा और आपने लिंग को होले-होले सुहराता रहा। फिर कुछ देर बाद जैसे ही मैंने उसे पलट कर देखा तो वह शर्मा कर वहां से चला गया।


 और मैं अपना दूसरा प्लान बनाने लगी। दोस्तों उस दिन रात में खाना खाते समय मैंने जानबूझकर बड़े गोल गले आकार वाली मेक्सी पहनी थी। जिसमें मेरे गोरे-गोरे बूब्स और गोल और उभर के दिख रहे थे। जो कि काफी सेक्सी लग रहे थे। उसके अंदर मैंने ब्रा का हुक खुला छोड़ दिया था। जिसे बूब्स का आकार बहोत जायदा बढ़ गया था। और फिर खाना खाते समय मैंने उसे पूछा। कि श्याम आज तुम सुबह मेरे कमरे में क्यों झांक रहे थे? 

 

तो वह मेरी यह बात सुनकर शरमा गया। और तभी मैंने उसका एक हाथ पकड़ कर अपने बूब्स पर रखते हुए। उसे कहा कि श्याम मैं बहुत प्यासी हूं।  तो वह मेरी इस बात को सुनकर शरमा गया। मैंने उसका दूसरा हाथ पकड़ कर अपनी च** के पास रखा, और उससे लिपट गई। और उसको मैंने अपनी बाहों में भर लिया। जिसकी वजह से मेरे बूब्स उसकी छाती से एकदम सट गए। मेरी सांसे बड़ी तेजी से चलने लगी थी। उससे लीपटने के बाद मेरे लंड लेने की आग और ज्यादा बढ़ने लगी। फिर शाम ने कहा कि भाभी मैं भी आपको चोदने के लिए बहुत बेताब हूं। लेकिन मैं डर रहा था कि कहीं आपको मेरी बात बुरी ना लग जाए।


और फिर हम दोनों खुश होते हैं वह मेरे कमरे में चले गए। और वहां जाते ही श्याम दोबारा मुझसे लिपट गया, और वह मेरे बूब्स को जोर-जोर से दबाने लगा। और उसका रस निचोड़ ने लगा। मैं धीरे-धीरे मदहोश होने लगी। फिर मैंने उसे कहा कि श्याम तुम जल्दी से मेरे कपड़े उतार दो, मेरे पूरे शरीर में आग लग गई उसको आज तुम बुझा दो। इतना कहते ही उसने मेरे कपड़े जल्दी से उतार दिए, और मैंने भी उसके कपड़े उतार दिए। और जैसे ही मैंने उसके ल** को अपने सामने देखा तो मेरे होश उड़ गए। क्योंकि उसका लिंग लगभग 6 इंच लंबा और 2 इंच मोटा था।


 उसको देखकर  मुझे उसको अपनी उसे देखने की आग और ज्यादा भड़क गई। मुझे उसको अपनी चुद में लेकर चुदाई कराने की इच्छा होने लगी। वो मेरी योनि को धीरे-धीरे सहलाने और चाटने लगा और साथ ही मेरे बूब्स को भी जोर-जोर से दबा रहा था। जिसकी वजह से मैं मस्ती में आकर मैं झूम रही थी। और अपनी गांड को उठाकर उसके सिर को अपनी कामुक्त के मुंह पर दबाकर उसे अपनी च** को चाटने के लिए प्रेरित कर रही थी। और देखते ही देखते उसने मेरी च** को चाट कर उसकी झुकने पर मजबूर कर दिया। और मेरे च** के पानी को उसने चाट चाट कर चूस दिया। और मैं उसके लंड को अपने एक हाथ में पकड़ कर बोल रही थी। कि तुम्हारे भैया तुम्हारे का लंड काफी पतला और छोटा भी है। तुम्हारा इतना बड़ा कैसे है? उसने कहा भाभी आप बस आम खाओ पेड़ क्यों गिनती हो। और फिर उसने मोटा लैंड मेरे छोटी सी गीली चुद पर रख कर एक जोरदार धक्का देकर अंदर ढकेल दिया। 


आह ! आह ! उफ़ !उफ़ ! मर गई ! आह ! आह!!


 इसकी वजह से उसका पूरा लंड एक ही झटके में एक ही झटके में मेरे अंदर जा पहुंचा। और उसकी वजह से मुझे हल्का सा दर्द जरूर हुआ, लेकिन मैंने उसको सह लिया क्योंकि उस समय मैं बहुत जोश में थी। और अब उससे मुझे जोर जोर से धक्के मारना शुरू कर दिया। और मेरे मुंह में आए वह मर गई की आवाज निकलने लगी। लेकिन उसने लंड की च**** बरकरार मजा बराबर मजा दे रही थी। मुझे बहुत मजा आ रहा था। उसका बड़ा और विशाल लिंग मे आपने भीतर महसूस कर पा रही थी। उसका लिंग जितना मेरी योनि में अन्दर जाता उतना ही मैं चिल्लाती और मज़े लेती।और उसके थोड़ी देर धक्के देने की बात मैं  झुड गई।

वो कभी आगे कभी पीछे आ आकर कभी मेरी योनि, कभी मेरी गान्ड मार रहा था। मेरी छोटी सी योनि अब भोसड़ा बन चुकी थी। अब मैं दो तीन लिंग एक साथ ले सकती थी। मेरी हवस में मैं दोबारा झड़ गई।


  लेकिन अभी भी वह लगातार मुझे धक्के मारे जा रहा था। और कुछ मिनट धक्के खाने के बाद में फिर से तीसरी बार झड़ गई। अंदर लेकिन वह अभी भी चालू था। फिर थोड़ी देर बाद उसके लंड का वीर्य हो गरम गरम माल मेरे चुद के अंदर ही निकल गया। जो तेज धक्का की वजह से मेरे चुद की गहराइयों से जा पहुंचा। और फिर कुछ देर बाद अपने धक्के बंद कर कर धक्का मेरे ऊपर लेट गया, थक्कर मेरे ऊपर लेट गया।


   और वह बड़े प्यार से मेरे बूब्स को चूसने लगा उसको दबाने चलाने लगा।  और कुछ देर बाद सभी मेरी योनि का दर्द ठीक भी नही हुआ था वो दोबारा मेरी योनि को रगड़ रगड़ कर मारने लगा। इस बार हमे असीम चरमसुख की प्राप्ति हुई। इस बार को काफ़ी भीतर तक प्रवेश कराने लगा और जोर जोर से मेरे कुल्हे पर मारने लगा। मेरी गोरी मुलायम योनि और गांड़ टमाटर की तरह लाल हो गए थे।


   Ohh yeah! Ohh yeah! Ohh yeah!


   कहकर उसने मुझे तोड़कर रख दिया। मेरी योनि से पानी निकलना बंद ही नहीं हो रहा था।

   

 दोस्तों उस दिन की च**** के बाद मैं पूरी तरह संतुष्ट हो गई। क्योंकि मेरे देवर ने उस चदाई में अपनी तरफ से कोई कमी नहीं छोड़ी थी। उसने मुझे बहुत जमकर लगातार बहुत समय तक चोदा। और उस दिन मुझे पता चला कि मैं पूरी हो चुकी थी। मैं अपने जीवन में कितने बड़े मजे से अभी तक वंचित थी। उसके मोटे लंड अंदर लेकर मुझे चुदाई का असली आनंद मिला।




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2.     जवान भाभी  देवर और नौकर की पानी निकाल देने वाली सेक्सी कहानी


बहुत समय पहले की बात है। एक छोटे से गांव में एक सुखी परिवार रहता था। जिसमें एक पुरुष उसकी पत्नी उसका छोटा भाई और घर में काम करने वाला 'रामू' नाम का एक नौकर रहता था। चारों हंसी खुशी अपनी जिंदगी जीते थे। और खुशी से अपना गुजर-बसर कर रहे थे।


नरेश जो कि घर का मालिक था। वह सुबह से लेकर शाम तक  कारखाने में काम किया करता था। उसका छोटा भाई एम. ए. की पढ़ाई करता था। उसकी पत्नी हाउसवाइफ थी। वह अपनी पत्नी से बहुत ज्यादा प्यार करता था। और उसकी पत्नी भी उसे पसंद करती थीं। पर उसके दिमाग में पत्नी को लेकर शक का कीड़ा हमेशा घूमा करता था।


उसे शादी की पहली रात से ही अपनी पत्नी के ऊपर यह शक था। कि उसकी पत्नी उससे धोखा कर रही है। वह हमेशा उस पर शक किया करता था। उसके आने जाने पर उसके कपड़े पहनने पर हमेशा पाबंदियां लगाता रहता था। उसने अपनी पत्नी की हर किसी से बात करने पर पाबंदियां लगा दी थी। यहां तक कि वह अपने देवर और घर के नौकर से भी बात करती थी तो वह उसे शक की नजरों से देखता था। और कहीं गलती से वह किसी गैर मर्द के साथ बात करते दिख गई तो उसकी खैर नहीं थी। हल्का सा भी शक होते ही वह उसे ऊपर से नीचे तक मार कर लाल कर देता था। और उसको अत्यधिक पीड़ा देता था।


अगर वह अपने देवर के पास भी जाकर उससे बातें किया करती थी। तो उसे लगता था कि उसका भाई और उसकी भाभी के गलत शारीरिक संबंध है। गलत-गलत टीवी सीरियल्स देखने के बाद नरेश मन में यह सारा भ्रम बैठ गया था। एक दिन की बात है नरेश का नौकर सारा दिन उसके घर में काम कर रहा था। तो उसकी पत्नी ने उसके अपने नौकर को बड़े प्यार से कहा कि रामू तुम सुबह से काम कर रहे हो कुछ खा क्यों नहीं लेते। और वह रसोई में जाकर उसके लिए थाली लाने लगी। और नौकर बार-बार अपनी मालकिन को मना करता रहा। यह सारी दास्तां उसके पति नरेश ने देख ली, और उसके मन में रामू और अपनी पत्नी को लेकर गंदे विचार आने लगे। उसे लगा कि उसके नौकर और उसकी पत्नी के बीच में शारीरिक संबंध है, और वह मन ही मन घुटने लगा।


अगले दिन नरेश काम से जल्दी वापस आ गया तो उसने देखा कि उसके घर पर कोई नहीं था। वह घर खाली देखकर हक्का-बक्का रह गया। वह परेशान हो गया कि उसकी बीवी कहां चली गई। तो थोड़ी देर बाद उसकी बीवी और उसका भाई दोनों बाजार से वापस आए। उसकी बीवी के हाथ में एक खेला था। दोनों लोग हंसी मजाक करते हुए घर के अंदर प्रवेश किया और अपने पति को देखकर उसकी बीवी चौक गई। उन दोनों को साथ में देखकर नरेश के मन में फिर गंदे गंदे ख्याल आए। और उसने मन ही मन एक ख्याली दास्तां बना ली। और वह अपनी पत्नी पर फिर से शक की नजर से देखने लगा। नरेश में उन दोनों के बारे में ना जाने क्या-क्या सोच लिया, उन दोनों के बीच संबंधों के बारे में उसके दिमाग में एक अलग ही दुनिया बसा ली थी।


उसकी पत्नी ने उसे देखते ही पूछा अरे आप इतनी जल्दी आ गए अभी तो आपके आने का वक्त नहीं हुआ था। तो उसने पलट कर कहा कि" मैं जल्दी आया था कि मैंने सोचा था कि आज शाम को हम दोनों साथ में घूमने जाएंगे और वक्त बिताएंगे" पर छोड़ो अब तो तुम घूम कर आ गई उसकी पत्नी ने कहा- "मैं थक गई हूं" और वह अपने कमरे में चली गई ।


अगले ही दिन नरेश का जन्मदिन था। उसने सोचा था, कि वह अपनी पत्नी के साथ जाकर बाजार से सामान खरीद कर लाएगा। फिर उसने सोचा अब क्या ही फायदा वह उसे उसका जन्मदिन कहां याद होगा। पर उसकी पत्नी उसके जन्मदिन के लिए एक प्यारा सा गिफ्ट अपने देवर के साथ लेने गई थी। और उन दोनों का संबंध माता-बच्चे की तरह था। उन दोनों के बीच ऐसा बिल्कुल भी कुछ नहीं था। और नौकर को अपना छोटा भाई मानती थी।


पर नरेश के दिमाग में उन दोनों के लिए तो अलग ही ब्रह्म बसा हुआ था। अगले दिन जिस दिन जनेश का जन्मदिन था। दफ्तर से आते हुए वह एक जहर की शीशी ले आया और उसने चाय में मिलाकर अपनी पत्नी को पिला दिया। क्रोध में उसने यह भी भूल गया कि वह अपनी पत्नी को जान से मारने वाला है। उसकी पत्नी ने खुशी-खुशी और चाय पी ली। और कुछ ही देर में तड़प-तड़प कर मर गई। नरेश बहुत खुश हुआ और उसने अभी तक अपने किए का कोई भी पछतावा नहीं था।


थोड़ी देर बाद उसने सोचा कि मैं देखता हूं उसने जो थैला लाया था, उसमें क्या था। उसने उस थैले को खोला तो देखा उसकी बीवी ने उसकी पसंदीदा कमीज और पेंट लाई थी। और उसमें एक चिट्ठी भी रखी थी इसमें लिखा हुआ था 


"कि वह मैं आपसे बहुत ज्यादा प्यार करती हूं। और उस दिन मैं आपको बिना बताए बाहर चली गई थी। देवर जी के साथ क्योंकि मुझे आपकी पसंद के कपड़े लाने थे। और आपको मैंने नहीं बताया इसलिए आप मुझे माफ कर दीजिएगा।'


 इतना पढ़ते ही नरेश की आंखों में आंसू आ गया। और वह दौड़ कर अपनी पत्नी के पास गया पर और अब अपने अपनी पत्नी को हिलाकर होश में लाने की कोशिश करने लगा। पर आप काफी देर हो चुकी थी उसकी पत्नी की सांसे थम चुकी थी। उसका देहांत हो चुका था। पर नरेश ने किया का पछतावा उसे जिंदगी भर रहा और इससे साफ पता चलता है कि क्रोध में मनुष्य कुछ भी कर बैठता है और गंदी सोच वाला पुरुष इस समाज के लिए कलंक होता है


Moral - अगर हम बिना सोचे समझे कोई काम करते है, तो उसका परिणाम हमेशा दुखद ही होता है। 











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