ब्रिटिश प्रधानमंत्री की शक्तियों एवं स्थिति की विवेचना कीजिए। ( Describe the powers and functions of British prime minister ) / ब्रिटिश मंत्रीमंडल प्रणाली की मुख्य विशेषताओं का वर्णन कीजिए और उसके कार्य बताइए। ( Describe the chief characteristics of the British cabinet system and explain its functions )
ब्रिटिश प्रधानमंत्री की शक्तियों एवं स्थिति की विवेचना कीजिए। ( Describe the powers and functions of British prime minister ) / ब्रिटिश मंत्रीमंडल प्रणाली की मुख्य विशेषताओं का वर्णन कीजिए और उसके कार्य बताइए। ( Describe the chief characteristics of the British cabinet system and explain its functions )
1. ब्रिटिश प्रधानमंत्री की शक्तियों एवं स्थिति की विवेचना कीजिए।
Describe the powers and functions of British prime minister.
प्रधानमंत्री
Prime Minister
ब्रिटेन के शासन में कैबिनेट की वास्तविक शासन है, परंतु उसने भी प्रधानमंत्री का महत्वपूर्ण स्थान है। ब्रिटेन के प्रशासन में प्रधानमंत्री 'key -position'रखता है। वह प्रशासन की धुरी है। जॉन मार्ले के शब्दों में, "प्रधानमंत्री कैबिनेट रूपी मेहराब की आधारशिला है। "लाॅस्की के शब्दों में, "कैबिनेट के निर्माण में, जीवन में एक और उसकी मृत्यु में भी प्रधानमंत्री ही केंद्रीय शक्ति है। "वह ना केवल मंत्रियों की नियुक्ति करता है, वरन् किसी भी मंत्री को त्यागपत्र देने के लिए विवश कर सकता है और स्वयं अपना त्यागपत्र देकर कैबिनेट को ही नष्ट कर सकता है। गी्व्ज ने प्रधानमंत्री पद का मूल्यांकन ठीक किया है। शक्तियों व स्थिति के बारे में ग्लैडस्टोन ने कहा था, "कहीं भी इतने छोटे पदार्थ की इतनी बड़ी छाया नहीं।"
प्रधानमंत्री की नियुक्ति ( Appointment of the Prime Minister )
प्रधानमंत्री की नियुक्ति राजा द्वारा होती है, परंतु राजा द्वारा नियुक्त केवल औपचारिकता है। संवैधानिक परंपराओं के अनुसार राजा प्रधानमंत्री की नियुक्ति में स्वतंत्र नहीं है। परंपराओं के अनुसार सामान्य निर्वाचनों ( Genral Election ) के समाप्त होने पर कामन सभा में जिस राजनीतिक दल का बहुमत होता है, उसके नेता को ही राजा मंत्रिमंडल बनाने के लिए आमंत्रित करता है।
ब्रिटेन में एक स्वस्थ परंपरा यह विकसित हुई थी कि प्रधानमंत्री कामन सभा में से ही नियुक्त हो। इसलिए कीथ के शब्दों में कहा जाता है कि "प्रधानमंत्री पद के लिए किसी कुलीन पुरुष (लॉर्ड सभा सदस्य) का चुनाव किया जाना सब एक असाधारण-सी बात हो गई है।" जेनिंग्स ने कामन सभा में से प्रधानमंत्री की नियुक्ति की परंपरा को उचित ठहराते हुए लिखा है ,"प्रधानमंत्री की अगुलियां संसद अर्थात् कॉमन सभा की नब्ज पर रहनी चाहिए।"
निम्नलिखित परिस्थितियों में राजा, प्रधानमंत्री की नियुक्ति में अपने स्वविवेक का प्रयोग कर सकता है--
(I) जब कॉमन सभा में किसी एक दल को स्पष्ट बहुमत प्राप्त ना हुआ हो।
(ii) ऐसा भी हो सकता है जब कामन सभा में बहुमत दल का नेता स्पष्ट न हो। ऐसी स्थिति किसी एक प्रधानमंत्री के अचानक त्यागपत्र या उसकी मृत्यु के उत्पन्न हो सकती है।
(iii) जब देश में किसी कारण वर्ष 'मिश्रित सरकार' ( Coalition Government ) बनाया जाना आवश्यक हो और विभिन्न दलों के प्रधानमंत्री पद के लिए एक राय ना हो तो, राजा स्वविवेक से प्रधानमंत्री नियुक्त कर सकता है।
प्रधानमंत्री की शक्तियां और उत्तरदायित्व।
Power and responsibilities of the prime minister.
यद्यपि 1937 के 'मिनिस्टर्स ऑफ़ ब्राउन एक्ट' द्वारा प्रधानमंत्री के पद को कानूनी मान्यता मिल गई है, फिर भी प्रधानमंत्री की शक्तियां और उसकी मर्यादा दोनों ही अभी समय पर आधारित है। ग्लैडस्टोन और डिजरायली ने इस पद का जो गौरव बढ़ाया है, उससे प्रधानमंत्री अमेरिकन राष्ट्रपति के समान ही हो गया है। कुछ विचारों के अनुसार तो यह राष्ट्रपति से भी अधिक है। डायसी के अनुसार, "प्रधानमंत्री जिसे संसद का बहुमत प्राप्त है, ऐसे कार्य कर सकता है, जिन्हें जर्मनी का शासन और अमेरिका का राष्ट्रपति भी नहीं कर सकता। "रैम्जे म्योर भी कहता है, "प्रधानमंत्री को इतनी स्तुति शक्तियां प्राप्त है कि संसार की किसी अन्य संवैधानिक शासन को प्राप्त नहीं अमेरिका के राष्ट्रपति को भी प्राप्त नहीं है। जब तक कॉमन सभा में एक दल का बहुमत है, वह उन कार्यों को कर सकता है, जिन्हें कोई भी राष्ट्रपति नहीं कर सकता। वह वचन दे सकता है कि अमुक प्रकार की संधि कर ली जाएगी, और स्वीकृत भी हो जाएगी, अमुक विधि संसद द्वारा पारित हो जाएगी और अमुक धनराशि संसद द्वारा स्वीकृत कर ली जाएगी।"
ब्रिटिश प्रधानमंत्री की शक्तियों व उत्तरदायित्वों का वर्णन अगृलिखित शीषकों के अंतर्गत किया जा सकता है-
(1) प्रधानमंत्री कैबिनेट की आधारशिला ( Prime Minister, the key-stone of a Cabinet Arch ) - कैबिनेट का अध्यक्ष है। रैम्जे म्योर के शब्दों में "ब्रिटेन की कैबिनेट राज्य रूपी जहाज का चलन वाला पहिया है, तो प्रधानमंत्री उस पहिए का चलाने वाला है। "मुनरो कहता है, "कोई व्यक्ति या नहीं जानता और ना जानने का प्रयत्न करता है कि मंत्रीगण कहां रहते हैं, पर एक मूर्ख भी 10, डाउनिंग स्ट्रीट का अर्थ समझता है।"
उपयुक्त बातों की पुष्टि के लिए निम्नलिखित तर्क दिए जा सकते हैं-
(I) प्रधानमंत्री ही अन्य मंत्रियों की नियुक्ति करता है। यद्यपि मंत्रियों को नियुक्त करते समय उसे अनेक बातों को ध्यान में रखना होता है। डीजरायली कहता है, "कैबिनेट की सूची तैयार करने के कार्य में अधिक समय, परिश्रम व उत्तरदायित्व की आवश्यकता है।" इसका यह अर्थ है कि प्रधानमंत्री पर अन्य मंत्रियों की नियुक्ति में कहीं से दबाव पड़ता है। राजा या रानी किसी मंत्री की नियुक्ति में केवल अपने व्यक्तित्व द्वारा ही प्रधानमंत्री को थोड़ा-बहुत प्रभावित कर सकते हैं। कैबिनेट के निर्माण में ना तो संसद और ना ही दलीय कार्यपालिका का उसके ऊपर दबाव रहता है। वह अपने दल के प्रमुख सदस्यों को भी सरकार से बाहर रख सकता है। चैंबर्लेन के चलित और अपनी सरकार से बाहर ही रखा था। दूसरी ओर वह संसद के बाहर से भी मंत्री नियुक्त कर सकता है। एमरी ने ठीक कहा है, "ब्रिटिश प्रधानमंत्री को अपनी कैबिनेट निर्माण में जितनी स्वेच्छाचारी शक्ति प्राप्त है, उतनी स्वेच्छाचारी शक्ति किसी तानाशाह को प्राप्त नहीं है।" लॉर्ड एमरी में और अधिक स्पष्ट करते हुए कहा है कि "इस संबंध में ना तो संसद और ना ही दलीय कार्यपालिका ने उसके ऊपर कोई दबाव डाला है।"
(ii) प्रधानमंत्री ही अपने साथियों के बीच विभागों का वितरण करता है। यह ठीक है कि प्रधानमंत्री टीम का नेता है, इसलिए विभागों का वितरण करते समय उसे अपने साथियों की रूचि का ध्यान रखना चाहिए, फिर भी विभागों के वितरण के बीच उसकी इच्छा सर्वप्रिय है। लॉस्की के शब्दों में, "वह अपने मंत्रिमंडल में जब चाहे तब और जैसे चाहे वैसे परिवर्तन कर सकता है। "यदि कोई मंत्री प्रधानमंत्री के निर्णय को नहीं मानता तो ना केवल उसकी संसद के काल में वरन् सदैव के लिए मंत्री बनना उसके लिए कठिन ही होता है।"
(iii) प्रधानमंत्री, अन्य मंत्रियों को पदच्युत भी कर सकता है। किसी मंत्री से असंतुष्ट होने पर वह त्यागपत्र मांग सकता है।
(iv) कैबिनेट का अध्यक्ष होने के नाते प्रधानमंत्री कैबिनेट की बैठकों का सभापति तत्व भी करता है। केवल सभापतित्व ही नहीं, वह यह भी निर्णय करता है कि कैबिनेट की बैठक को कहां, कब हो, किन प्रस्ताव पर स्वीकार होगा, बैठक के लिए कार्य-सूची (Agenda) भी तैयार कर देता है।
(v) यद्यपि प्रधानमंत्री पर विदेश विभाग नहीं होता, फिर भी इस विभाग पर उसका प्रभाव रहता है। देश की विदेश नीति के संबंध में महत्वपूर्ण घोषणा प्रधानमंत्री ही करता है।
(vi) कैबिनेट में अथवा विभिन्न विभागों के मंत्रियों के बीच जब किसी पोस्ट पर कोई मतभेद हो जाता है, तो उसे प्रधानमंत्री ही दूर करता है।
(vii) प्रधानमंत्री का पद अविभागीय ( Non-departmental) होता है, इसलिए समस्त कैबिनेट का निरीक्षण व निर्देशन करना प्रधानमंत्री ही दूर करता है।
(viii) प्रधानमंत्री अन्य मंत्रियों को उनके विभागों के संबंध में परामर्श देता है। "प्रधानमंत्री वस्तुत: सरकार के व्यापार का प्रधान मैनेजर है। "कोई भी मंत्री अपनी योजना के संबंध में प्रधानमंत्री से पूर्व परामर्श आवश्यक रूप से लेता है।
(ix) प्रधानमंत्री का राष्ट्रीय कोष पर भी पूर्ण नियंत्रण रहता है। बजट यद्यपि वित्तमंत्री तैयार करता है, फिर भी अंतिम रूप से प्रधानमंत्री ही बजट के लिए उत्तरदाई है।
(x) प्रधानमंत्री 'Cabinet Secretariat' पर भी नियंत्रण रखता है। शासन की सभी महत्वपूर्ण नियुक्तियां उसके परामर्श पर होती हैं।
(xi) प्रधानमंत्री का एक कारण यह भी है कि वह कैबिनेट में एकता व सुदृढ़ता बनाए रखें।
(xii) प्रधानमंत्री एक अंतरंग कैबिनेट(Inner Cabinate) का निर्माण भी करता है, जिसमें इसके विश्वशनीय साथी होते हैं। प्रायः सभी मुख्य और महत्वपूर्ण मामलों पर निर्णय यही कैबिनेट करती है।
(2) प्रधानमंत्री राजा का प्रधान सलाहकार ( Prime Minister the Chief Advisor of the King ) - प्रधानमंत्री राजा का सलाहकार भी है। इस नाते से से प्रधानमंत्री ही राजा के निम्नलिखित कार्यों का संपादन करता है-
(I) प्रधानमंत्री राजा और मंत्रियों के बीच वार्ता की कड़ी है। वह कैबिनेट के निर्णय को राजा तक और राजा के निर्देश मंत्रियों तक पहुंचाता है।
(ii) प्रधानमंत्री का यह भी कार्य है कि वह राजा या रानी को सभी महत्वपूर्ण राजकीय प्रपत्र और प्रलेख भेजें, क्योंकि "राजा को उस प्रत्येक कार्य से परिचित होने का अधिकार है, जिसके लिए उसके मंत्रियों उत्तरदाई हैं।"
(iii) प्रधानमंत्री की सलाह पर ही राजा कामन सभा को भंग कर सकता है।
(iv) प्रधानमंत्री राजा को न केवल यूनाइटेड किंगडम के मामलों में वर्णन ब्रिटिश उपनिवेश ओ वह राष्ट्रीयमंडली यह देशों के मामले में भी परामर्श देता है। इसमें राजा की विदेश यात्रा भी सम्मिलित है।
(v) प्रधानमंत्री बाल्डविन तो राजा को अपने व्यक्तिगत मामलों में भी परामर्श देते थे, उन्होंने राजा एडवर्ड अष्टम को सीमित समस्त के विवाह ना करने का परामर्श दिया था। प्रधानमंत्री इस विषय को कैबिनेट के सम्मुख उसी समय ले गए थे, जबकि उसके और राजा के बीच इस विषय पर मतभेद गंभीर हो गया था।
(3) प्रधानमंत्री कॉमन सभा का नेता ( Prime Minister Leaderof the House of Commons) - प्रधानमंत्री कामन सभा का नेता है। यद्यपि आज शासन का कार्य बहुत अधिक बढ़ जाने के कारण प्रधानमंत्री अपने किसी वरिष्ठ साथी को कॉमन सभा का नेता मनोनीत कर देता है, फिर भी महत्वपूर्ण कार्य के लिए कामन सभा प्रधानमंत्री की ओर ही देखती है। प्रधानमंत्री के इस क्षेत्र में महत्वपूर्ण कार्य इस प्रकार हैं-
(i) प्रधानमंत्री ही कॉमन सभा का कार्यक्रम निश्चित करता है।
(ii) प्रधानमंत्री ही(ParliamentryAgenda)'पार्लियामेंट्री एजेंडा' निश्चित करता है।
(iii) प्रधानमंत्री संसद के अधिवेशन का समय निश्चित करता है।
(iv) प्रधानमंत्री कामन सभा का प्रमुख प्रवक्ता होता है और वही सदन के महत्वपूर्ण नीतियों की घोषणा करता है।
(v) महत्वपूर्ण मामलों पर वही वाद-विवाद प्रारंभ करता है। रक्षा-विभाग, विदेश-विभाग और गृह-विभाग के संबंधित विवादों में हस्तक्षेप करता है। विरोधी दल के सदस्यों को महत्वपूर्ण प्रश्नों के उत्तर देता है।
(4) प्रधानमंत्री दल का नेता ( Prime Minister Leader of his Party ) - प्रधानमंत्री कॉमन सभा में बहुमत दल का नेता होता है, इसी नाते वह प्रधानमंत्री नियुक्त होता है। दल का नेता होने के नाते वह दल पर नियंत्रण रखता है तथा दल में अनुशासन रखता है। दल की बैठकों में महत्वपूर्ण निर्णय उसी के परामर्श से होते हैं। डॉ. जेनिंग्स ने कहा है, "एक प्रधानमंत्री के तीन कर्तव्य होते हैं ,- अपने राजा के प्रति देश के प्रति तथा अपने दल के प्रति। वह निश्चित करना कठिन है कि इसमें प्राथमिकता का क्या क्रम होगा।"
(5) वैदेशिक शक्तियां ( Foreign Powers ) - सभी अंतरराष्ट्रीय संधियों का समझौते उसी के द्वारा या उसकी प्रेरणा पर किए जाते हैं। वह किसी देश को वचन दे सकता है कि अमुक संधि कर ली जाएगी और उसे कामन सभा से स्वीकृत करा लिया जाएगा। अनेक अवसरों पर प्रधानमंत्री अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में भाग लेता है, लाॅर्ड बीकन्स फील ने 'बर्लिन सम्मेलन' में, लॉर्ड जॉर्ज ने 'पेरिस शांति सम्मेलन' में, चैंबर्लेन में 'म्युनिक सम्मेलन' में भाग लिया था, जिसके फलस्वरूप 'म्यूनिख पैक्ट' हुआ था।
(6) प्रधानमंत्री की संकटकालीन शक्तियां ( Emergency Powers of the Prime Minister ) - युद्ध के दौरान प्रधानमंत्री की शक्तियां बहुत बढ़ जाती है। वह युद्ध काल में ब्रिटेन की आशाओं का केंद्र बिंदु बन जाता है। युद्ध-संचालन में वह युद्ध-नीति निर्धारित करने में कॉमन सभा से भी यहां तक कि कैबिनेट से भी अपेक्षाकृत स्वतंत्र हो जाता है। यह उल्लेखनीय है कि लॉर्ड जॉर्ज ने इसी युद्ध के दौरान स्वेच्छा से 'इंपीरियल व कॉन्फ्रेंस' का अधिवेशन बुलाया और कैबिनेट की सहमति लिए बिना कॉमन सभा में इसकी घोषणा की। चरित के द्वितीय विश्व-युद्ध के दौरान बिना कैबिनेट की सहमति लिए रूस को प्रत्येक सहायता देने का वचन दिया था।
(7) संरक्षण और उपाधियां ( Patronage and Titles ) - प्रधानमंत्री उपाधियां तथा पदवियां ( Honours and Titles ) भी प्रदान करता है। यद्यपि यह कार्य राजा की ओर से होता है, परंतु निर्णय प्रधानमंत्री का ही होता है। एसि्क्वथ ने अपने 8 वर्ष के शासन में 115 पियर ( Peers) और लॉर्ड जॉर्ज ने 6 वर्ष के शासन में 108 पियर नियुक्त किए थे।
समस्त महत्वपूर्ण पदों पर नियुक्तियां प्रधानमंत्री के ही द्वारा होती है; जैसे - राजदूत औपनिवेशिक राज्यों के गवर्नर-जनरल, न्यायाधीश, बिशप (Bishops) तथा सार्वजनिक सेनाओं के अन्य महत्वपूर्ण अधिकारी।
(8) प्रधानमंत्री की विविध शक्तियां ( Other Powers of the Prime Minister) - प्रधानमंत्री ब्रिटिश जनता का नेता है। जनता ना केवल उसका सम्मान करती है और भाषणों को सुनने के लिए उत्सुक रहती है, वरन् ब्रिटेन के सामान्य निर्वाचन ओं में प्रधानमंत्री मुख्य (Central figure ) हस्ती होता है। लास्की के शब्दों में, "ब्रिटेन का सामान्य निर्वाचन वास्तव में वैकल्पिक प्रधानमंत्रियों में से एक के लिए लोक-निर्माण ही होता है।" डॉ. जैनिंग्स ने कहा है, "एक सामान्य निर्वाचन मुख्य: एक प्रधानमंत्री का निर्वाचन बन गया है। निर्दलीय मतदाता जो निर्वाचन का निर्णय करते हैं, वे न किसी दल का समर्थन करते हैं और ना किसी नीति का, वे तो एक नेता का ही समर्थन करते हैं।"
प्रधानमंत्री की स्थिति ।
( The PrimeMinister's Position) -
स्पष्ट है कि प्रधानमंत्री की शक्तियां अत्यधिक विस्तृत है। विस्तृत ही नहीं, उसकी शक्तियां वास्तविक है। लॉस्की ठीक ही कहा है, " The key-stone of the cabinet arch is the Prime Minister. He is central of its formations, Central to its end Central to its death. "मैरियट के अनुसार, "वह ब्रिटेन का राजनीतिक शासक है। "राजा का मुख्य परामर्शदाता होने के नाते उसकी शक्तियों का प्रयोग प्रधानमंत्री ही करता है। कॉमन सभा में अपना बहुमत होने के समय तक वह न केवल इच्छाअनुसार विधि-निर्माण व संविधान में संशोधन करता है, वरन् दूसरे देशों से समझौते कर सकता है। युद्ध और सन्धि की घोषणा कर सकता है। महत्वपूर्ण पदों पर नियुक्तियां उसी के द्वारा होती है। व प्रो. आंग में लिखा है, "संसार में शायद ही अन्य किसी पद को उतनी अधिकार हो, जितने ब्रिटिश प्रधानमंत्री को प्राप्त है।" गी्व्ज के अनुसार, "उसकी औपचारिक शक्तियां एक अनियंत्रित शासन की सी दिखाई देती है। "सरकार (Cabinet Government) के स्थान पर 'प्रधानमंत्री सरकार' (Prime Ministerial Government) कहा जाने लगा है, जैसा कि क्रॉसमेन ने कहा है कि, "युद्धोत्तर काल में मंत्रिमंडलीय शासन प्रधानमंत्री के शासन में बदल रहा है।"
प्रधानमंत्री 'समानो (समकक्षों) में प्रथम नहीं है' ( Prime Minister, not 'Primus Inter Pares') - लॉर्ड माले् ने ब्रिटिश प्रधानमंत्री को 'समानों (समकक्षों) में प्रथम' कहा है, परंतु आज प्रधानमंत्री की स्थिति समान व्यक्तित्व के प्रथम नहीं है, हो सकता है 19वीं शताब्दी में सच रही हो। हम रैम्जे म्योर के इस कथन से सहमत हैं कि, "जो व्यक्ति इतनी महत्वपूर्ण शक्तियां रखता है, मंत्रियों को नियुक्त व पदच्युत करता है, उसे समानों में प्रथम कैसे कहा जा सकता है। "जॉइनिंग महोदय का कहना है अधिक ठीक है, "प्रधानमंत्री सामानों में प्रथम मात्र नहीं है। वह तारों में चंद्रमा भी नहीं है। "जैसे कि हरकोर्ट ने कहा है, "वह तो वास्तव में सूर्य है, जिसके चारों ओर पिंड (उपग्रह) चक्कर लगाते हैं। "एमरी के शब्दों में, "वह कैप्टन और कर्णधार दोनों ही है। "नि:संदेह "ब्रिटिश प्रधानमंत्री ऐसी निर्देश शक्तियों का प्रयोग करता है; जिसे जिस पर दूसरे राज्यों में राजनीतिक नेताओं को ईष्र्या हो सकती है।"
जैसा स्पष्ट किया जा चुका है, एक सामान्य निर्वाचन प्रधानमंत्री का ही निर्वाचन है। 1857ई. से लेकर वर्तमान समय तक दल के नेता के व्यक्तित्व पर ही निर्वाचन लड़े गए हैं, विशिष्ट नीतियों व सिद्धांतों पर नहीं। "इस प्रकार के निर्वाचन से प्रधानमंत्री राष्ट्र का प्रतीक बन जाता है, अतः जब तक वह प्रधानमंत्री रहता है, उसका कोई साथी उस से मुकाबला करने का साहस नहीं करेगा।" इसलिए वह सामान्य में प्रथम कैसे कहा जा सकता है। सामान्यत: तो "जो प्रधानमंत्री अपने कार्यों ठीक प्रकार से करता है और जो अपने दल में लोकप्रियता कायम रखता है, वह उस कैबिनेट मैं दृढ़ स्थिति रखता है जिससे वह सभापतित्व करता है।"
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2. ब्रिटिश मंत्रीमंडल प्रणाली की मुख्य विशेषताओं का वर्णन कीजिए और उसके कार्य बताइए।
Describe the chief characteristics of the British cabinet system and explain its functions.
ब्रिटिश में मंत्रिमंडल की संपूर्ण शासन व्यवस्था का केंद्र है। संवैधानिक दृष्टि से मंत्रिमंडल राजा की परामर्शदायी समिति है, लेकिन वास्तव में राजा की सभी अधिकारों का प्रयोग मंत्रिमंडल द्वारा किया जाता है। ज्यों-ज्यों राजा की शक्तियां कम होती गई त्यों-त्यों मंत्रिमंडल की शक्तियां में वृद्धि होती गई। ब्रिटिश में सम्राट कार्यपालिका का औपचारिक प्रधान है और कैबिनेट कार्यपालिका की वास्तविक प्रधान डायसी के शब्दों में ,"यद्यपि शासन का प्रत्येक कार्य सम्राट के नाम पर किया जाता है, परंतु इंग्लैंड की वास्तविक कार्यपालिका शक्ति कैबिनेट में ही निहित है।"
ब्रिटिश शासन-व्यवस्था में कैबिनेट के महत्व को स्पष्ट करने के लिए ब्रिटिश संविधान के विभिन्न लेखकों को द्वारा अलग-अलग शब्दावलीयों का निम्नानुसार प्रयोग किया गया है-
रेम्जेम्योर का कहना है, "कैबिनेट एक राज्य के जहाज का परिचालन चक्र है।"
बैंजहॉट के अनुसार, "कैबिनेट हाइफन है जो जोड़ता है, एक बकसुआ है जो कार्यपालिका और व्यवस्थापिका को मिलाता है।"
लावेल ने इसे, "राजनीतिक मेहराब की आधारशिला" कहां है।
ग्लेडस्टन के अनुसार, "मंत्रिमंडल वह सूर्यपिंडी है जिसके चारों ओर अन्य नक्षत्र चक्कर लगाते हैं।"
ब्रिटिश मंत्रिमंडल की रचना या निर्माण
( Formation of British Cabinet )
मंत्रिमंडल की रचना प्रत्येक आम चुनाव के पश्चात् होती है। कामन सभा जो कि अस्थायी सदन है, चुनाव के बाद सम्राट द्वारा आमंत्रित की जाती है। प्रत्येक सदस्य जब शपथ ग्रहण कर लेता है तब प्रत्येक दल का नेता चुना जाता है। सम्राट बहुमत दल के नेता को प्रधानमंत्री नियुक्त करता है। तत्पश्चात प्रधानमंत्री अपने सहयोगियों को अपने दल में से चुनकर एक सूची बनाता है और उस सूची को सम्राट के समक्ष प्रस्तुत करता है। सम्राट उस सूची को स्वीकार कर लेता है, अतः मंत्रिमंडल के मंत्रियों की नियुक्तियां सम्राट प्रधानमंत्री के परामर्श से करता है। प्रधानमंत्री की नियुक्ति में एक प्रमुख पार्टियां है कि उसे कॉमन सभा का सदस्य होना चाहिए, लार्ड सभा का सदस्य नहीं।
मंत्रिमंडल की विशेषताएं।
( Characteristics of Cabinet )
1. सम्राट मंत्रिमंडल का सदस्य नहीं - ब्रिटेन में सम्राट के नाम से शासन चलता है, परंतु वह संवैधानिक प्रमुख है। सम्राट मंत्रिमंडल की बैठकों का सभापति नहीं कर सकता है। मंत्रिमंडल की अध्यक्षता प्रधानमंत्री करता है।
2. सामूहिक उत्तरदायित्व - ब्रिटेन 1 2 3 में उत्तरदाई शासन है। इसका अर्थ यह है कि ब्रिटिश मंत्रिमंडल अपने समस्त कार्यों के लिए सामूहिक रूप से कामन सभा के प्रति उत्तरदाई है। इसका अर्थ दूसरे शब्दों में यह हुआ कि एक मंत्री के प्रति विश्वास सदन में पास हो जाए तो समस्त मंत्रिमंडल के विरुद्ध अविश्वास माना जाता है और पूरी मंत्रिमंडल त्यागपत्र दे देता है।
3. प्रधानमंत्री का नेतृत्व - ब्रिटिश मंत्रिमंडल की तीसरी विशेषता यह है कि सभी मंत्रियों को प्रधानमंत्री का नेतृत्व स्वीकार करना होता है। इसका अर्थ यह है कि प्रधानमंत्री यद्यपि अन्य मंत्रियों के समान ही मंत्री होता है। पर यह ब्रिटिश स्थान रखता है। वह मंत्रियों का मुखिया अथवा बराबर वालों में प्रथम होता है।
4. गोपनीयता - ब्रिटिश मंत्रिमंडल व्यवस्था की एक प्रमुख विशेषता गोपनीयता का सिद्धांत है। मंत्रिमंडल के सदस्य उन सभी बातों के विषय में गोपनीयता बरतने के लिए बाध्य होते हैं, जिनके विषय में ऐसा करने का निर्णय मंत्रिमंडल ने लिया हो।
5. राजनीतिक सजातीयता - ब्रिटिश मंत्रिमंडल की पांचवी विशेषता इसमें सजातीय ता पाई जाती है। इसका अर्थ हुआ कि सभी मंत्रियों का चयन एक ही दल विशेष से होता है। उनका सामूहिक उत्तरदायित्व गोपनीयता तथा नेतृत्व की मान्यता इसलिए कायम रहता है कि वे दलगत भावना से ओतप्रोत रहते हैं।
6. व्यवस्थापिका और कार्यपालिका में घनिष्ठ संबंध - अमेरिकी मंत्रिमंडल के विपरीत इंग्लैंड का मंत्रिमंडल संसद के प्रति उत्तरदाई है। मंत्रिमंडल के सभी सदस्य संसद के ही सदस्य होते हैं। यदि कोई मंत्री संसद के किसी भी सदन का सदस्य नहीं है तो उसे मंत्री बनने की 6 माह के अंदर संसद की सदस्यता लेनी होती है। यहां सर्वाधिक संपूर्ण बात यह है कि काम सभा में बहुमत के आधार पर ही मंत्रिमंडल का अस्तित्व रहता है।
ब्रिटिश मंत्रिमंडल के कार्य तथा शक्तियां।
( Powers and Functions of British Cabinet)
मंत्रिमंडल के कार्य तथा शक्तियों का आधार वैधानिक ना होकर परंपरागत है। वह ब्रिटिश शासन व्यवस्था का केंद्र बिंदु है। मंत्रिमंडल के कार्यों तथा शक्तियों का विभाजन निम्नलिखित शिक्षकों के अंतर्गत किया जा सकता है-
1. कार्यपालिका संबंधी कार्य - मंत्रिमंडल ही ब्रिटेन की वास्तविक कार्यपालिका है। इस रूप में उसकी शक्तियां अत्यधिक व्यापक हैं -
(अ) राष्ट्रीय नीति का निर्धारण - राष्ट्रीय नीति का निर्धारण मंत्रिमंडल का प्रमुख कार्य है। मंत्रिमंडल ही यह निश्चित करता है कि आंतरिक क्षेत्र में प्रशासन का संचालन किस प्रकार किया जाएगा। वहीं यह निश्चित करता है कि वह देशिक संबंधों के संचालन में कौन-सी नीति अपनाई जाएगी। रेम्जेमृयोर के शब्दों में, "वास्तविक कार्यपालिका के रूप में मंत्रिमंडल राष्ट्रीय नीति की रूपरेखा परिभाषित करता है कि देश और विदेश में उत्पन्न प्रत्येक सामाजिक समस्या को किस प्रकार हल किया जाएगा।"
(ब) राष्ट्रीय कार्यपालिका पर सर्वोच्च नियंत्रण - शासन की समस्त कार्यपालिका शक्ति का प्रयोग मंत्रिमंडल द्वारा ही किया जाता है। राजा की समस्त कार्यपालिका संबंधी शक्तियां का प्रयोग मंत्रिमंडल द्वारा ही किया जाता है। शासन के प्रमुख अधिकारियों की नियुक्ति मंत्रिमंडल द्वारा की जाती है। यद्यपि यह नियुक्तियां राजा के नाम पर ही की जाती है।
(स) समय संबंधी कार्य - प्रशासनिक सुविधा के लिए जिन विभिन्न आयोगों का गठन किया जाता है उनमें समय स्थापित करने का कार्य भी मंत्रिमंडल का है।
2. व्यवस्थापन संबंधी कार्य - विधि निर्माण के क्षेत्र में भी मंत्रिमंडल नेतृत्व एवं पथ-प्रदर्शन का कार्य करता है। संसद के सत्र आमंत्रित करना, सत्रावसना करना, ये सब कार्य मंत्रिमंडल के परामर्श पर ही किए जाते हैं। लोक सदन का विघटन प्रधानमंत्री के परामर्श पर ही राजा द्वारा किया जाता है। सभी महत्वपूर्ण विधेयक मंत्री मंडल द्वारा ही संसद में प्रयुक्त किए जाते हैं। मंत्रिमंडल का ही यह उत्तरदायित्व है कि वह विधेयकों को संसद में पारित कराएगा। संसद में क्योंकि मंत्रिमंडल का बहुमत होता है अतः मंत्रिमंडल द्वारा प्रस्तुत विधेयक संसद में स्वीकृत हो ही जाते हैं। अन्य विधायकों के जीवन मरण का भी प्रश्न मंत्रिमंडल की इच्छा पर निर्भर करता है। आंग तथा जींक के शब्दों में, "व्यवस्था में मंत्रिमंडल का प्रभुत्व इतना अधिक है कि बिना किसी अतिरिक्त के कहा जा सकता है कि वर्तमान समय में विधि निर्माण संसद द्वारा नहीं वरन् मंत्रिमंडल द्वारा संसद के परामर्श और सहमति से होता है।"
3.वित्तीय कार्य - प्रशासन की वित्तीय व्यवस्था का संचालन मंत्रिमंडल द्वारा ही किया जाता है। बजट के निर्माण का कार्य मंत्रिमंडल का है। संपूर्ण देश के लिए बजट निर्माण का कार्य वित्तमंत्री द्वारा किया जाता है। शासन के किन विभागों पर कितना खर्च होगा तथा आय के स्रोत क्या होंगे ? इन सब बातों का निश्चय करने का अधिकार मंत्रिमंडल को ही होता है। संचित निधि पर मंत्रिमंडल का पूरा नियंत्रण रहता है।
4. विदेश नीति संबंधी शक्तियां - विदेशी नीति निर्धारण करना तथा उसे संचालित करने का कार्य मंत्री मंडल का है। विदेशों में राजदूतों की नियुक्ति राजा के द्वारा ही की जाती है। संधि तथा युद्ध की घोषणा का अधिकार भी अंततः मंत्रिमंडल को ही है।
मंत्रिमंडल के कुछ अन्य प्रमुख कार्य व शक्तियां निम्नलिखित हैं-
(अ) राजा द्वारा अपने क्षमादान के अधिकार का प्रयोग मंत्रिमंडल, विशेष रूप से गृहमंत्री द्वारा किया जाता है।
(ब) राजा द्वारा उपाधियों का वितरण मंत्रिमंडल के परामर्श पर किया जाता है।
(स) देश तथा विदेश के लिए जिन अधिकारों की नियुक्ति राजा द्वारा की जाती है, वह मंत्रिमंडल के परामर्श पर ही की जाती है।
(द) न्यायालयों के न्यायाधीशों की नियुक्ति लॉर्ड चांसलर के परामर्श पर राजा द्वारा की जाती है।
वास्तव में मंत्रिमंडल की शक्तियां अत्यधिक हैं। राजतंत्र के प्रजातांत्रिक करण के कारण राजपथ की सारी शक्तियां मंत्रिमंडल को प्राप्त हो गई हैं। वर्तमान मंत्रिमंडल को अधिक से अधिक शक्तिशाली बनाने की है।
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