चीनी कार्यपालिका के संगठन और शक्तियों का वर्णन कीजिए? / ( Describe the composition and power of the China Executive )

 चीनी कार्यपालिका के संगठन और शक्तियों का वर्णन कीजिए?  /   ( Describe the composition and power of the China Executive )




चीन की कार्यपालिका

Executive of China


जनवादी चीन के संविधान द्वारा कार्यपालिका के क्षेत्र में 3 संस्थाओं की व्याख्या की गई है। यह संस्थाएं हैं - राष्ट्रपति, राज्य (परिषद्) और केंद्रीय सैनिक आयोग।


जनवादी चीन का शासन तंत्र।

( Chinese governmental framework )

{ राष्ट्रपति, राज्य परिषद् ( मंत्रीपरिषद ) तथा केंद्रीय सैनिक आयोग }

{ The president the state council and the central military commission }


नए चीनी संविधान से ऐसा लगता है कि सिद्धांत रूप से चीन में संसदीय शासन प्रणाली की स्थापना की गई है। चीन के विधान मंडल का नाम 'राष्ट्रीय जनवादी कांग्रेस' रखा गया है तथा मंत्री परिषद को 'राज्य परिषद' की संज्ञा दी गई है। नए संविधान में राष्ट्रीय अध्यक्ष तथा केंद्रीय सैनिक आयोग की स्थापना की गई है।


जनवादी चीन में राष्ट्रपति का पद।

( President of the people's republic of China )


1950ई. के चीनी संविधान में राष्ट्रपति पद (जिसे चीनी गणराज्य के चेयरमैन का नाम दिया गया था) या प्रावधान किया गया था। संविधान की 8 धाराएं (धारा 39 से 46) के राष्ट्रपति के पद एवं शक्तियों के संबंधित थी। चीनी गणराज्य का अध्ययन राष्ट्रीय जन कांग्रेस द्वारा निर्वाचित होता था और सामान्य तौर पर उसका कार्यकाल 4 वर्ष का था। उसे अनेक प्रकार की शक्तियां प्राप्त थी जिसमें कार्यपालिका, न्यायिक, राजनीतिक एवं सैनिक शक्तियां प्रमुख थी। कार्यपालिका शक्तियों के अंतर्गत - 


(I) विधियां एवं आज्ञातियां प्रसारित करना।

( ii)  प्रधानमंत्री एवं अन्य मंत्रियों विभिन्न आयोगों के दस्ता के सदस्यों की नियुक्ति एवं अभियुक्ति आदि सम्मिलित था न्यायिक शक्तियों के क्षमादान का अधिकार नहीं था।


 राजदूतों की नियुक्ति तथा उनकी वापसी, दूसरे देशों से आने-जाने वाले राजदूतों का स्वागत आदि औपचारिक कार्य चीनी गणराज्य के अध्यक्ष की राजनीतिक शक्तियों में सम्मिलित थे। वह चीन की सेनाओं का सर्वोच्च अधिकारी था।


1957 के संविधान के अंतर्गत जनवादी चीन के राष्ट्रपति पद को समाप्त कर दिया गया था। इस प्रकार चीन की राज्य व्यवस्था में कोई सर्वोच्च पद नहीं रहा और मां की मृत्यु के बाद चीन में कोई सर्वोच्च नेता भी नहीं रहा। यही कारण था कि चाऊ-एन-लाई तथा माओ की मृत्यु के उपरांत चीन में सत्ता के लिए तीव्र संघर्ष प्रारंभ हो गया। 1978ई. के संविधान में भी राष्ट्रपति जैसे किसी पद की व्यवस्था नहीं की गई थी, लेकिन व्यवहार में यह अनुभव किया गया कि कार्यपालिका के क्षेत्र में सर्वोच्च पद की व्यवस्था ना होने पर स्थान गत स्थायित्व की स्थिति जन्म ले लेती है और शासन की क्षमता को आघात पहुंचती है। अतः 1980ई. के नए संविधान में राष्ट्रपति पद की पुनः स्थापना की गई तथा ऐसा करने का लक्ष्य यही है कि चीन की आंतरिक व्यवस्था और अधिक मजबूत हो तथा संस्थागत अस्थायित्व दूर हो।


निर्वाचन - नए संविधान के अनुच्छेद 79 के अनुसार जनवादी चीन के राष्ट्रपति का निर्वाचन राष्ट्रीय जन कांग्रेस द्वारा किया जाएगा। चीनी गणराज्य का कोई भी नागरिक मताधिकार प्राप्त है, जो चुनाव में उम्मीदवार होने की योग्यता रखता है तथा जिसकी उम्र 45 वर्ष है, राष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार बन सकता है। राष्ट्रपति का कार्यकाल 5 वर्ष का है। कोई भी व्यक्ति अधिक से अधिक दो कार्यकाल पूरे कर सकता है।


शक्तियां एवं कार्य।

Powers and functions

1982ई. के चीनी संविधान के अनुसार राष्ट्रपति के निम्नलिखित कार्य हैं-

(1) राष्ट्रीय जन कांग्रेस अथवा उसकी स्थाई समिति के आदेश अनुसार यह विविध विधियों पर अध्यादेश ओं को प्रभावी करता है,

(2) प्रधानमंत्री, उप-प्रधानमंत्री, मंत्रियों आयोगों के प्रधानों और राज्य परिषद का महासचिव की नियुक्ति करता है एवं उन्हें पद से हटाता है ऑडिटर जनरल की नियुक्ति करता है तथा उन्हें पद से हटाता है, 

(3) राज्य की ओर से नागरिकों को समानार्थ उपाधियां आदि देता है।

(4) सार्वजनिक क्षमता की घोषणा करता है और व्यक्तिगत अपराधों को क्षमादान देता है।

(5) सैनिक कानून लागू करता है और प्रतिरक्षा के लिए तैयार होने का आदेश जारी करता है।


उपयुक्त कार्यों को वह राष्ट्रीय जन कांग्रेस तथा उसकी स्थाई समिति के आदेशों के अनुसार ही कर सकता है। संविधान के अनुच्छेद 81 के अनुसार राष्ट्रपति के कुछ अन्य कार्य भी हैं -

(1) चीनी गणराज्य के प्रदेशिक संबंधों में राज्य का प्रतिनिधित्व करना,

(2) विदेशी राजनयिक प्रतिनिधित्व का स्वागत करना,

(3) दूसरे देशों में चीन के राजनयिक प्रतिनिधियों को नियुक्त करना एवं वापस बुलाना।

(4) विदेशों के से की गई संधियों एवं समझौतों की पुष्टि करना अथवा उन्हें रद्द करना।



राष्ट्रपति की स्थिति।

(Position of president)


राष्ट्रपति के कार्यों का अध्ययन करने से स्पष्ट है कि उसके अधिकांश कार्य क्षेत्र औपचारिक हैं। वह इन कार्यों को राष्ट्रीय जन कांग्रेस अथवा उसकी स्थाई समिति की इच्छाओं के अनुसार करता है।

 चीन के राष्ट्रपति की तुलना संसदीय व्यवस्था वाले राज्य के संवैधानिक प्रमुख से नहीं की जा सकती, क्योंकि उसे वैधानिक दृष्टि से राज्य के प्रधान की स्थिति प्राप्त नहीं है। उसे अमेरिकी राष्ट्रपति के समान ही नहीं कहा जा सकता, क्योंकि वह कार्यपालिका शक्ति का प्रयोग प्रधानमंत्री और राज्य-परिषद के माध्यम से करता है। उसे राष्ट्रीय जन कांग्रेस द्वारा पारित विधेयकों के निर्देश निषेध अधिकार के प्रयोग का अधिकार भी नहीं है। वैधानिक दृष्टि पर से यह परावलंबी और दुर्लभ है। वस्तुतः उसकी शक्ति साम्यवादी दल से उसकी स्थिति पर निर्भर करती है। यदि साम्यवादी दल इस पद पर किसी प्रधान श्रेणी के नेता को नियुक्त करता है तो राष्ट्रपति का पद अत्यधिक शक्तिशाली बन सकता है।

  मार्च 2003ई. में हूं चिंताओं को चीन के राष्ट्रपति पद पर निर्वाचित किया गया। इसके पूर्व (1993 से फरवरी 2003) तक जियांग जेमिन चीन के राष्ट्रपति थे।


जनवादी चीन के उपराष्ट्रपति का पद।

( Vice-president of the people's republic of China)

1954 के चीनी संविधान के उपराष्ट्रपति पद का प्रावधान था और श्रीमती सोनिया सेन वर्षों तक उपराष्ट्रपति पद पर कार्य करती रही थी। उपराष्ट्रपति राज्यकार्य में राष्ट्रपति की सहायता करता था।


नये संविधान में भी उपराष्ट्रपति पद का प्रावधान है। उसका चुनाव राष्ट्रपति की भांति ही राष्ट्रीय जन कांग्रेस करती है। उपराष्ट्रपति पद में उम्मीदवार के लिए वही योग्यताएं रखी गयी है, जो राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के लिए है।

उसका कार्यालय भी 5 वर्ष रखा गया है।

 संविधान के अनुच्छेद 82 के अनुसार उपराष्ट्रपति का प्रमुख कार्य गणराज्य के राष्ट्रपति की सहायता करना है। राष्ट्रपति उसके आवश्यकतानुसार शक्तियां प्रदान करता है और कर्तव्यों का निर्धारण करता है। राष्ट्रपति की अनुपस्थिति अथवा अस्वस्था के समय व राष्ट्रपति के समस्त कार्यों को करता है। अनुच्छेद 84 के अनुसार राष्ट्रपति का स्थान रिक्त होने पर उपराष्ट्रपति को राष्ट्रपति के पद पर आसीन कर दिया जाता है।


राज्य परिषद

( State Council )

चीन का नया संविधान कार्यपालिका और प्रशासन संबंधी अधिकार राज्य परिषद को सौंपना है। संविधान के अनुच्छेद 86 में कहा गया है कि, "राज्य परिषद केंद्रीय जन सरकार है। राज्य परिषद राष्ट्रवादी जनवादी कांग्रेस तथा उसकी स्थाई समिति के प्रति उत्तरदाई और जवाबदेह हैं।"


रचना और संगठन - राज्य परिषद की रचना प्रधानमंत्री, उप प्रधानमंत्री, स्टेट काउंसलर, मंत्रालय के प्रभारी मंत्रियों, आयोगों के प्रभारी मंत्रियों, ऑडिटर जनरल तथा महासचिव से मिलकर होती है। राज्य परिषद के बारे में समस्त दायित्व प्रधानमंत्री पर है। 28 मार्च, 1993 को ली पेंग पुनः गुनाह प्रधानमंत्री पद पर निर्वाचित किए गए हैं।


 संविधान राज्य परिषद् के सदस्यों की संख्या मंत्रालयों की भी चर्चा नहीं करता, जैसे कि पूर्व सोवियत संघ के संविधान में किया गया है। इन्हें निर्धारित करने का अधिकार राष्ट्रीय जन कांग्रेस को दिया गया है। चौथी राष्ट्रीय जन कांग्रेस (जनवरी 1975) ने समाजवादी पार्टी की केंद्रीय समिति को सुझाव पर जिस राज्य परिषद का गठन किया, उसमें प्रधानमंत्री, 12 उप-प्रधानमंत्री और कुल 19 मंत्रालय थे। कुछ उप प्रधानमंत्री भी मंत्रालय के प्रभारी थे, जबकि अन्य को कोई विशेष मंत्रालय वरन् सामान्य जिम्मेदारी दी गई।

 

 राज्य परिषद का कार्यकाल राष्ट्रीय जन कांग्रेस की भांति 5 वर्ष है। राज्य परिषद राष्ट्रीय जन कांग्रेस और उसकी स्थाई समिति के प्रति उत्तरदाई है। इसलिए जहां तक इस के कार्यकाल का प्रश्न है, एक टीम के रूप में इसका कार्यकाल सामान्यता 5 वर्ष से कुछ अधिक ही होगा, राष्ट्रीय जन कांग्रेस द्वारा नई राज्य परिषद का गठन ना कर लिया जाए। यदि राष्ट्रीय जन कांग्रेस का कार्यकाल बढ़ा दिया जाए, तो राज्य परिषद का कार्यकाल भी तदनुसार बढ़ जाएगा। लेकिन प्रत्येक स्थिति में यह राष्ट्र कांग्रेस तथा उसकी स्थाई समिति के प्रति उत्तरदाई है।


प्रधानमंत्री और मंत्रीगण - नए संविधान के अनुच्छेद 88 के अनुसार राज्य परिषद प्रधानमंत्री के मार्ग-निर्देशन में कार्य करेगी। उप-प्रधानमंत्री तथा स्टेट काउंसिल और उसके कार्यों में सहायता करेंगे। राज्य परिषद के कार्यकारी बैठकों में प्रधानमंत्री, उप-प्रधानमंत्री, स्टेट काउंसिल तथा महासचिव सम्मिलित होंगे। राज्य परिषद की कार्यकारिणी की बैठकों का आयोजन तथा अध्यक्षता प्रधानमंत्री करेंगे। मंत्रालयों के प्रभारी मंत्री तथा आयोगों के अध्यक्ष अपने-अपने विभागों के कार्यों के प्रति उत्तरदाई होंगे। वे अपने-अपने विभागों की बैठकों का आयोजन करेंगे और विभाग प्रश्नों पर निर्णय लेंगे।


 प्रधानमंत्री की स्थिति के संबंध में चीन के संविधान में कुछ भी नहीं कहा गया है, न ही इस बात की चर्चा है कि अन्य मंत्रियों की नियुक्ति प्रधानमंत्री के परामर्श पर की जाएगी। उसकी संवैधानिक स्थिति की तुलना यदि भारत या ब्रिटेन के प्रधानमंत्री से की जाए, तो स्पष्ट ही उसका अधिकार-क्षेत्र बहुत सीमित है। पूर्व सोवियत संघ के प्रधानमंत्री के साथ ही उसकी तुलना उचित प्रतीत होती है। इन दोनों ही अधिकारियों को प्रधानमंत्री के रूप में अलग से अलग कोई महत्व अधिकार प्राप्त नहीं है। लेकिन क्योंकि प्रधानमंत्री पदधारी यह व्यक्ति अपने अपने देश की समाजवादी पार्टी में प्रभावशाली स्थिति रखते हैं। इसलिए शासन व्यवस्था में भी उन्हें बहुत अधिक महत्वपूर्ण स्थिति प्राप्त होती है। परंतु उसकी शक्तियों का सूत्र प्रधानमंत्री पद नहीं वरन समाजवादी पार्टी के नेतृत्व में उसे प्राप्त महत्वपूर्ण स्थिति है। उप प्रधानमंत्री के पदों पर भी समाजवादी पार्टी के महत्वपूर्ण नेता नियुक्त किए जाते हैं अधिकांश मंत्री गण भी पार्टी की केंद्रीय समिति के सदस्य होते हैं।



राज्य परिषद की शक्तियां और कार्य

( Rajya Parishad ki shaktiyan AVN karya )


नये संविधान के अनुच्छेद 89 के अनुसार राज्य परिषद् को निम्नलिखित कार्य एवं शक्तियां सौंपी गई हैं-

(1) कानूनों और आज्ञप्तियों के अनुसार यह विभिन्न विभागों के प्रशासनिक कार्यों को निर्धारित करता है, उनके निर्णय और आदेशों की घोषणा करता है और उनके कार्यपालक की देखरेख करता है।

(2) कानून संबंधी विधेयकों को राष्ट्रीय कांग्रेस या उसकी स्थाई समिति के सम्मुख प्रस्तुत करता है।

(3) विभिन्न विभागों के कार्यों में समन्वय स्थापित करता है।

(4) मंत्रियों अथवा समिति के अध्यक्षों द्वारा जारी किए गए अनुपयुक्त निर्णय और आदेशों में संशोधन करता है या उन्हें रद्द कर देता है।

(5) स्थानीय समितियों के अनुपयुक्त निर्देशों और आदेशों में संशोधन करता यह इन्हें रद्द करता है।

(6) राष्ट्रीय आर्थिक योजना और राष्ट्रीय बजट को लागू करता है।

(7) विदेशी और घरेलू व्यापार पर नियंत्रण रखता है।

(8) सांस्कृतिक, शिक्षा संबंधी और सार्वजनिक स्वास्थ्य किए कार्यों का संचालन करता है।

(9) राष्ट्रीयता के संबंधित कार्यों का संचालन करता है।

(10) विदेशों में रहने वाले चीनियों से संबंधित कार्यों का संचालन करता है।

( 11) राज्य के हित की रक्षा करता है, सार्वजनिक व्यवस्था कायम रखा है और नागरिक अधिकारों की रक्षा करता है। (12) वैदेशिक संबंधों का संचालन करता है।

(13) सशस्त्र सेनाओं का निर्माण तथा संचालन करता है।

(14) स्व शासित जिलों, तहसील और नगरपालिकाओं के पद और सीमाओं को स्वीकार करता है।

(15) कानून द्वारा निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार प्रबंध अधिकारियों को नियुक्त और प्रयुक्त करता है।

(16) राष्ट्रीय कांग्रेस या उसकी स्थाई समिति द्वारा सौंपे पर गए अन्य कार्य करता और अन्य अधिकारियों का उपयोग करता है।


 राज्य परिषद के कार्यों को देखने से ऐसा लगता है कि उसके कार्य प्रशासकीय कार्यों को निर्धारित करना; संविधान, कानून और आज्ञा पतियों के अनुकूल हैं और आदेश जारी करना; विभिन्न मंत्रालयों, आयोग तथा देश के अंतर्गत स्थाई स्तर के रंगों का केंद्रीय नेतृत्व करना; राष्ट्रीय आर्थिक योजना और राजकीय बजट का प्रारूप तैयार करना और उसे लागू करना है। इन सबसे अतिरिक्त राज्य परिषद का एक महत्वपूर्ण कार्य उन प्रशासकीय कार्यों का निर्देशन करना तथा उन शक्तियों एवं कार्यों का सम्मान करना है जो राष्ट्रीय जन कांग्रेस या उसकी स्थाई समिति द्वारा सौंपे जाते हैं।


राज्य परिषद की वास्तविक स्थिति

यद्यपि राज्य परिषद जनवादी चीन की कार्यप्रणाली और राज्य का सर्वोच्च प्रशासनिक अंग है, परंतु इसे ब्रिटेन या देश के मंत्रीमंडलों के समान गौरवपूर्ण स्थिति प्राप्त नहीं है। ब्रिटेन में जब तक मंत्रिमंडल को लोक सदन के बहुमत का समर्थन प्राप्त रहता है, तब तक वह प्रशासन की संचालन और कानून निर्माण, दोनों ही क्षेत्रों में महत्वपूर्ण शक्तियों का प्रयोग करता है। ब्रिटिश मंत्रिमंडल की तुलना में चीन की राज्य परिषद को अत्यंत सीमित चकिया ही प्राप्त है। राज्य परिषद की कमजोर स्थिति का प्रमुख कारण लिया है कि राज्य परिषद पर साम्यवादी दल का पूर्ण नियंत्रण है और राज्य परिषद साम्यवादी दल द्वारा निर्धारित नीतियों के अनुसार ही शासन का संचालन करती है।

 आंग और जिंक द्वारा 1950 के संविधान द्वारा स्थापित राज्य परिषद के संबंध में कहीं गई यह बार नवीन संविधान की राज्य परिषद पर भी पूर्णतया लागू होती है:"सामान्यता परिषद समाजवादी दल के पोल्ट्री ब्यूरो द्वारा पहले के लिए गए निर्णय की पुष्टि करती है। निश्चित रूप से यह केवल औपचारिक अर्थ में ही सर्वोच्च कार्यपालिका सत्ता है, पोलिंग ब्यूरो के कारण इसके द्वारा वस्तुतः इस रूप की कार्य नहीं किया जा सकता है।"



राज्य परिषद्: क्या एक संसदीय कार्यपालिका है?


ऐसा लगता है कि चीन की राज्य परिषद को संसदात्मक रूप देने की चेष्टा की गई है। मैं संविधान के अनुच्छेद 92 के अनुसार राज्य परिषद राष्ट्रीय जन कांग्रेस के प्रति और जब जन्म कांग्रेस का अधिवेशन ना हो रहा हो, तब उसको स्थाई समिति के प्रति उत्तरदाई है और उसके समक्ष अपने कार्यों के संबंध में रिपोर्ट प्रस्तुत करती है। इस प्रकार राज्य परिषद को विधानमंडल के अन्य सदस्यों का निर्वाचन राष्ट्रीय कांग्रेस के अनुसमर्थन का विषय और राष्ट्रीय कांग्रेस उन्हें आवश्यकतानुसार प्रयुक्त भी कर सकती है। संविधान के अनुसार राष्ट्रीय जन कांग्रेस के सदस्य मंत्रियों तथा अन्य आयोगों के अध्यक्ष से प्रश्न पूछ सकते हैं और उनके द्वारा प्रश्नों का उत्तर दिया जाना आवश्यक है।


इस प्रावधानों से राज्य परिषद को उत्तरदाई कार्यपालिका का रूप देने का प्रयास किया गया, परंतु व्यवहार में स्थिति भिन्न प्रकार की है। व्यवहार के सामूहिक उत्तरदायित्व का सिद्धांत चीन में प्रचलित नहीं है। व्यवहार में राज्य परिषद पर साम्यवादी दल का नियंत्रण रहता है न कि राष्ट्रीय जन कांग्रेस का। एक अधिक अन्य बाद जो जहाज राष्ट्रीय जन कांग्रेस तथा राज्य परिषद के आपसी संबंधों में राज्य परिषद को अधिक शक्तिशाली बना देती है, यह है कि राज्य परिषद के प्रधानमंत्री तथा उप-प्रधानमंत्री समाजवादी दल की केंद्रीय समिति के सदस्य होते हैं। और इस प्रकार राष्ट्रीय कांग्रेस द्वारा नियंत्रित होने के बजाय स्वयं पर अपना नियंत्रण स्थापित करने में सफल होते हैं। 


इन तथ्यों के प्रकाश में यह स्पष्ट रूप से कहा जा सकता है कि "चीन में राज्य परिषद राष्ट्रीय कांग्रेस के प्रति उस अर्थ से उत्तरदाई नहीं है जिस प्रकार ग्रेट ब्रिटेन और भारत के मंत्रिमंडल अपनी सांसदों के प्रति उत्तरदाई होते हैं।" संक्षेप में, चीन के संविधान के अंतर्गत संविधान कार्यपालिका के केवल बाहरी रूप को अपनाया गया है, संसदीय कार्यपालिका की आत्मा को ग्रहण नहीं किया गया है। राज्य परिषद पूर्व सोवियत संघ की मंत्रिमंडल के अनुसार है, इसे चीन के संविधान के निर्माताओं ने अधिकाधिक प्रेरणा ली है।






मुझे विश्वास है दोस्तों की आपको यह पोस्टचीनी कार्यपालिका के संगठन और शक्तियों का वर्णन कीजिए?  /   ( Describe the composition and power of the China Executive ) बहुत ज्यादा पसंद आया होगा। तो दोस्तों मैं आप सब से यही गुजारिश करता हूं। कि इस पोस्ट को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक शेयर करें ताकि चीन के संविधान की सारी जानकारी हमारे देश को मिल सके।🙏🙏🙏🙏


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