गट्टू की दादी ( Gattu ki dadi ) & लक्ष्य की प्राप्ति ( लक्ष्य ki praapti ) moral stories
गट्टू की दादी ( Gattu ki dadi ) moral stories
गट्टू और चिंकी काफी खुश थे और खुश होकर घर में इधर उधर भाग रहे थे, क्योंकि बात ही ऐसी थी | पापा का कॉल आया था कि,दादी गांव से उनके पास आने वाली है | दोनों बच्चे कहने लगे,पापा बताओ न दादी कब आने वाली है,तो उनके पापा कहते हैं,अरे उनकी ट्रेन छुट्टी भी नहीं और तुम दोनों शुरू हो गए ,डोंट वरी मैं ट्रेन के आने से पहले स्टेशन पहुंच जाऊंगा लेकिन गट्टू और चिंकी कहां माननी वाले थे |
वह तो बेसब्री से दादी का इंतजार कर रहे थे | दोनों बच्चे आपस में बहस करने लगे ,गट्टू कहता, दादी तो मेरे साथ सोएगी फिर चिंकी कहती नहीं, दादी मेरे साथ सोएंगी गट्टू कहने लगा अरे, ऐसे कैसे वह सिर्फ मेरी दादी हैं |तभी चिंकी कहने लगी अरे ! यह क्या तुम्हारे अकेले की थोड़ी है ,वह मेरी भी दादी हैं |है ना मम्मी | तभी मम्मी ने जवाब दिया हां बाबा , वह तुम्हारी भी दादी हैं |
वह तुम दोनों की दादी हैं और गट्टू कहने लगा हां, लेकिन वह तुमसे भी ज्यादा मेरी दादी है और फिर से झगड़ा शुरू हो गया |दोनों ने मम्मी की नाक में दम कर के रखा था| चिंकी कहती मम्मी ,दादी मेरे साथ सोएंगे ना तभी गट्टू कहता नहीं बिल्कुल नहीं |मम्मी कहने लगी, वह किसी के साथ नहीं सोएंगे मैंने उनका कमरा तैयार किया है वह उनके कमरे में सोएंगे यह सुनकर बिट्टू चिंकी रोने लगे| तभी मम्मी मुस्कुरा कर बोली ,अच्छा बाबा ठीक है ,तुम दोनों अपनी दादी से पूछना वह बताएंगे कि वह कहां सोएंगी |
तभी चिंकी कहने लगी अगर दादी ने कहा वह उनके कमरे में सोएंगे ? दादी ऐसा कहेंगे तो हम अपना कमरा छोड़कर उनके कमरे में सोएंगे |दादी दादी दादी दादी की ही रट लगाए बैठे हो सुबह से गट्टू चिंकी में पहले ही बता दे रही हूं दादी को ज्यादा परेशान नहीं करना वह जितनी कहानियां सुनाएंगे उतनी ही सुनना और चुपचाप सो जाना ऐसा कहने लगी मम्मी |
ऐसे ही बातों बातों में समय बिता चला गया और दादी के आने का समय हो गया पापा दादी को लेने स्टेशन निकल गए | जैसे ही पापा गए गट्टू ,चिंकी दरवाजे पर खड़े हो गए मम्मी कहने लगी बावले हो गए हो तुम दोनों ,पापा पार्किंग पर भी नहीं पहुंचे और तुम दोनों ने दरवाजे पर डेरा जमा लिया | आधा घंटा बीत गया और गट्टू सिंह के दरवाजे पर खड़े खड़े बातें करने लगे ,काफी समय हो गया अब पता नहीं कब आएंगे |
तभी पापा आ गए, पापा कि हताश और नाराज मालूम हो रहे थे | वह अकेले आए और सोफे पर बैठ गए । पापा के बैठते ही गट्टू चिंकी ने सवालों की बौछार शुरू कर दी | पापा दादी कहां है ? आप अकेले कैसे आप तो दादी को साथ लाने वाले थे ना ?यह सुनकर पापा नाराजगी में बोले सॉरी बच्चों मैंने स्टेशन जाकर दादी को कार में बिठाया और कार घर की तरफ घुमाई फिर ,फिर क्या हुआ आश्चर्यचकित होते हुए चंकी बोली |पापा बोले, हम पहुंचने ही वाले थे |तभी, दादी बोली गट्टू और चिंकी मुझे बहुत सताते हैं |
मैं तुम्हारे घर नहीं आऊंगी निखिल के घर जाऊंगी |यह सुनकर गट्टू और पिंकी को बहुत तेज रोना आ रहा था | दोनों जोर-जोर से फूट-फूट कर रोने लगे कि तभी एक आवाज आई | बच्चों ...रोते हुए गट्टू चिंकी के कानों पर प्यारी सी आवाज आई और उन्होंने चर्च दरवाजा की तरफ देखा दरवाजे पर दादी खड़ी मुस्कुरा रही थी | उनके पीछे काफी सारा सामान लेकर वॉचमैन खड़ा था | दादी को देखकर गट्टू सिंह की उनकी दादी की तरफ भागी और रोते-रोते दादी को मिला के आदि रोते हुए गट्टू और चिंकी को चूमने लगी | गट्टू कहने लगा दादी आप क्यों चली गई थी ,निखिल अंकल के घर ? हम आपको कभी नहीं सताएंगे आपसे बात भी नहीं करेंगे लेकिन प्लीज आप निखिल अंकल के घर जाने की सोचना भी मत |
दादी बोली अरे ! किसने कहा मैं निखिल अंकल के घर गई थी | मैं तो बाहर वॉचमैन के साथ खड़ी थी | यह शैतानी तुम्हारे पापा ने की है | क्यों रे ,क्यों सताया तूने मेरे बच्चों को ? तभी पापा कहने लगे सॉरी बच्चों यह आइडिया तुम्हारी मम्मी का था | हम बस तुम्हारे रिएक्शन देखना चाहते थे | मम्मी बोली सॉरी बच्चों आ गई है ना दादी अब रोना बंद करो | पिंकी नाराज होते हुए कहने लगी, मम्मी हम आपसे कभी बात नहीं करेंगे कट्टी |
दादी कहने लगी उसे छोड़ो और मेरी तरफ देखो देखो मैं तुम्हारे लिए क्या लाई हूं । वॉचमैन सामान रखकर चला गया । दादी फ्रेश होकर आई और गट्टू ,चिंकी के साथ बैठकर एक - एक पोटली खोलने लगी । दादी दोनों के लिए बहुत से उपहार लाए थे | उन्होंने गांव से बेर और खट्टी मीठी और चटपटी इमली ढेर सारी देसी घी से बनी मिठाइयों और बहुत सारे खिलौने लाए थे । दादी उनको एक एक खिलौने के बारे में बताने लगी । यह कार मैं देवी मां के मेले में गई थी ना वहां से लाई और यह गुड़िया , गुड़िया तो मैं बनारस से लाइ हूँ। पता है ! गंगा जी में डुबकी लगा कर आई हूं मैं । इस प्रकार एक एक पोटली खोल दी गई और खा खा कर देख देख कर गट्टू और चिंकी का पेट भर गया ।
दोनों खुशी से बोले थैंक्स दादी लव यू ,लव यू टू दादी बोली | ऐसा कह कर दादी ने दोनों को गले लगा लिया । गट्टू, चिंकी दादी से बेहद प्यार करते थे और दादी को भी गट्टू , चिंकी से बेहद लगाव था । तीनों एक दूसरे के बगैर नहीं रह सकते थे। दोनों बच्चे फिर से बहस करने लगे दादी आप मेरे साथ सोएंगे ,दादी आप मेरे साथ सोएंगे | दादी बोली ,अरे अरे मैं तुम दोनों के साथ सो जाऊंगी |चिंकी - वह कैसे ?दादी - मैं तुम दोनों के बीच में सो जाऊंगी ठीक है। रात हुई तो गट्टू चिंकी दोनों ही दादी की गोद में सो गए और कहने लगे दादी कहानी सुनाओ ना ।
दादी कहने लगी -कौन सी कहानी सुनाओ नींद आ जाए वह या फिर जिस से नींद भाग जाए वह। बच्चे कहने लगे नहीं दादी नींद आ जाए ऐसी कहानी तो बिल्कुल मत सुनाना ,हमें रात भर आप से ढेर सारी कहानियां सुननी है | दादी - अरे ना बाबा ना ऐसा करोगे तो मैं निखिल अंकल के घर चली जाऊंगी |यह सुनकर गट्टू चिंकी नाराज हो गए । दादी अरे बच्चों तुम दोनों के चेहरे के रंग क्यों उड़ गए, मैं तो मजाक कर रही थी, चलो मैं कहानी सुनाती हूं | एक था राजा एक थी रानी | एक था राजा एक थी रानी दोनों मर गए खत्म कहानी |बच्चे नाराज होते हुए कहने लगे, क्या ? दादी आप हमेशा चैटिंग करती हो। दादी बोली ओके सॉरी अब सच्ची मुच्ची की कहानी सुनो |
विलासपुर के महाराजा के दो बच्चे थे। राजकुमार का नाम का गट्टू और राजकुमारी का नाम पिंकी था । दोनों ही दिनभर महल में इधर-उधर भागते और दास दासियों के साथ शैतानियां करते फिरते |इस प्रकार कहानी शुरू हुई और कहानी सुनते सुनते गट्टू चिंकी सो गए। यह देखकर दादी मुस्कुराई और दोनों से लिपट कर सो गई ।
लक्ष्य की प्राप्ति ( लक्ष्य ki praapti ) moral stories
एक छोटे से गांव में मीनू बाई नाम की एक औरत रहती थी । वह बहुत ही गरीब थी। उसे एक लड़का भी था उसका नाम था विजय। वह पढ़ाई में बहुत ही होशियार था। पति के गुजरने के बाद घर चलाने की सारी जिम्मेदारी मीनू बाई के कंधे पर आई थी। साथ में विजय की पढ़ाई का बोझ भी था। मीनू हमेशा सोचती थी कि उसका बेटा 1 दिन पढ़ लिख कर बड़ा अफसर बने । विजय होशियार तो था ही साथ ही बहुत मेहनती भी था । मीनू जब काम करती तो विजय भी उसके साथ जाता ।
मीनू लोगों के घर जाती और बर्तन मानती ,तो कहीं खाना बनाती ,तब विजय लोगों के घर आए अखबार को बड़े ही ध्यान से पढ़ता था । एक दिन जब विजय अखबार पढ़ने लगा तो एक मालकिन ने बड़े गुस्से से कहा , अरे विजय अखबार पढ़ कर क्या तू बड़ा अफसर बन जाएगा ,इससे अच्छा तो तू मां के काम में हाथ बटा। कम से कम उसे मदद हो जाएगी। इस पर राजेश बोला ,मालकिन मुझे बड़ा अफसर बनना है ,कलेक्टर बनना है ।
हम किताबें नहीं ले सकते इसलिए ज्यादा ज्ञान के लिए मैं अखबार पढ़ता हूं। इसे सुनकर मालकिन बोली ," तू और कलेक्टर " सकल देखा है आपनी ऐसा कह कर वह जोर-जोर से हंसने लगी । मीनू को यह बात सुन बहुत बुरी लगी और वह दोनों वहां से चले गए। फिर मीनू भाई ने शादियों में रोटियां बनाने का काम शुरू कर दिया । वह अकेले ही 15-20 किलो की रोटियां बनाती थी पूर्णविराम इसके लिए बस सुबह ही 3:00 बजे अपना काम शुरू कर देती थी पूर्णविराम उसके साथ विजय भी उठता था और मां की मदद करके अपनी पढ़ाई करता था।
एक दिन मकान मालिक अचानक उनके पास आए और बोले क्या मीनू भाई तुम और तुम्हारा बेटा 3:00 बजे ही उठ जाते हो और यह लाइट जलाते हो। बिजली का बिल ज्यादा आ रहा है तुम्हारी वजह से ,तो फिर बिल दिया करो या फिर कमरा खाली करो और मकान मालिक वहां से गुस्से से चले गए। फिर विजय ने लालटेन चलाया और पढ़ाई करने लगा। मां भी उस प्रकाश में रोटियां बनाने लगी पूर्णविराम ऐसे कुछ साल विजय ने जी जान लगाकर पढ़ाई की और क्लास में हमेशा अव्वल आने लगा।
विजय की मेहनत और लगन देखकर पढ़ाई के लिए उसके गुरुजी ने दिल्ली जाने की सलाह दी और खुद खर्चा उठाने की जिम्मेदारी ली। फिर क्या था विजय दिल्ली चला गया और वहाँ खूब पढ़ाई की। वह घंटों लाइब्रेरी में किताब पढ़ता रहता । फिर एक दिन जब एग्जाम का टाइम आया तो जाते-जाते रास्ते में किसी गाड़ी ने उसे ठोक दिया। विजय जमीन पर गिर गया। उसके सिर और बाएं हाथों को चोट आई और वह सोचने लगा ,मेरे बाएं हाथ को चोट लगी है और सिर से खून भी बह रहा है ,इस हालत में अस्पताल जाओ या एग्जाम देने। अगर अस्पताल गया तो मेरा यह पूरा साल बर्बाद हो जाएगा और मेरे लिए यह मुमकिन नहीं है। फिर दिल्ली में रहने का मेरा खर्चा भी कौन उठाएगा।
मेरे सिर्फ बाएं हाथ पर चोट लगी है ,पर दाएं हाथ तो अभी अच्छा है। मैं इस हाथ से एग्जाम दूंगा और फिर विजय वहां से सीधा परीक्षा केंद्र चला गया और परीक्षा दी । परीक्षा देने के बाद विजय अस्पताल में भर्ती हुआ और इलाज करवाया। विजय ने अस्पताल में भी पढ़ाई जारी रखी और इंटरव्यू दिया। फिर कुछ दिन के लिए विजय मां के पास वापस गांव चला गया। कुछ दिनों बाद रिजल्ट के दिन माने अखबार खरीद कर लाया और विजय को परिणाम देखने को कहा।
विजय ने परिणाम देखा तो उसने जोर से चीखने काली मां मैं पास हो गया । तुम्हारा बेटा अफसर बन गया । मैं कलेक्टर बन गया हूँ। की सुनते ही मां के आंखों से आंसू आ गए और दोनों रोने लगे ।
तो दोस्तों आप सभी इस कहानी से क्या समझे कि हमें हमेशा अपने लक्ष्य की प्राप्ति करने के लिए मेहनत करनी चाहिए। दुनिया चाहे हम पर हंसे या पिता ने मारे। लोगों का काम है कहना लोग तो कहेंगे ही पर हमें हमेशा अपने लक्ष्य का पीछा करना चाहिए। कामयाबी जरूर मिलती है।
हमें उम्मीद है कि आपको ये दोनों रोचक और मजेदार कहानियां पसंद आई होंगी। ताकि और भी लोग इससे लाभान्वित हो इसे ज्यादा से ज्यादा लोगों को share करे।
1. गट्टू की दादी
2. लक्ष्मी की प्राप्ति।
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