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Showing posts from March, 2022

कथन शैली और उसकी विशेषता ( Narration style and it's character) कथन शैली के प्रकार (Types of narration style)

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  कथन शैली और उसकी विशेषता ( Narration style and it's character)    कथन  शैली के प्रकार (Types of narration style) शैली - शैली मनुष्य की पहचान कही गई हैं। वह अपने भावों अथवा विचारों दूसरों तक संपर्क करने के लिए भाषा में अनेक प्रयोग करता है । उसकी यह इच्छा रहती है कि अपनी बात स्पष्ट एवं प्रभावी ढंग से दूसरों तक पहुंचा सके ।  मनुष्य द्वारा भाषा प्रयोग में उसकी यही इच्छा कार्य करती है भाषा के विविध प्रयोग परिस्थितियों और विषय वस्तु पर निर्भर करतेेहैं।     शैली के सभी गुणों को समन्वित करने के उपरांत शैली के निम्नलिखित गुण माने जा सकते हैं -  (1) सरलता - शैली विचारों की अभिव्यक्ति का एक ढंग है, उस रूप में लेखक को ऐसे शब्दों का प्रयोग करना चाहिए जिससे अर्थबोध सरलतापूर्वक हो सके । सरलता शैली का आवश्यक गुण है ।      (2)    स्वच्छता -  लेखक अपने भाव-विचार और अनुभूतियों की गुत्थियों को पाठक के सामने खोल कर रखता है । इस भाव-विचार और अनुभूतियों के प्रकाशन में स्वच्छता महत्वपूर्ण है ।    (3)  स्पष्टता -  जब तक शैली में स्पष्टता के गुण का अभाव रहेगा,लेखक अपने भाव और विचारों को पाठक के हृदय म

गट्टू की दादी ( Gattu ki dadi ) & लक्ष्य की प्राप्ति ( लक्ष्य ki praapti ) moral stories

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  गट्टू की दादी ( Gattu ki dadi ) moral stories गट्टू और चिंकी काफी खुश थे और खुश होकर घर में इधर उधर भाग रहे थे, क्योंकि  बात ही ऐसी थी | पापा का कॉल आया था कि,दादी गांव से उनके पास आने वाली है | दोनों बच्चे कहने लगे,पापा बताओ न दादी कब आने वाली है,तो उनके पापा कहते हैं,अरे उनकी ट्रेन छुट्टी भी नहीं और तुम दोनों शुरू हो गए ,डोंट वरी मैं ट्रेन के आने से पहले स्टेशन पहुंच जाऊंगा लेकिन गट्टू और चिंकी कहां माननी  वाले थे |  वह तो बेसब्री से दादी का इंतजार कर रहे थे | दोनों बच्चे आपस में बहस करने लगे ,गट्टू कहता, दादी तो मेरे साथ सोएगी फिर चिंकी कहती नहीं, दादी मेरे साथ सोएंगी गट्टू कहने लगा अरे, ऐसे कैसे वह सिर्फ मेरी दादी हैं |तभी चिंकी  कहने लगी अरे ! यह क्या तुम्हारे अकेले की थोड़ी है ,वह मेरी भी दादी हैं |है ना मम्मी | तभी मम्मी ने  जवाब दिया हां  बाबा , वह तुम्हारी भी दादी हैं | वह तुम दोनों की दादी हैं और गट्टू कहने लगा हां, लेकिन वह तुमसे भी ज्यादा मेरी दादी है और फिर से झगड़ा शुरू हो गया |दोनों ने मम्मी की नाक में दम कर के रखा था|  चिंकी कहती मम्मी ,दादी मेरे साथ सोएंगे ना तभी गट्
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  हिमालय की उत्तपत्ति और भोगौलिक रचना(Origin of Himalayas) करोड़ों साल हुुए, दक्षिण भारत एक और अफ्रीका,दूसरी ओर ऑस्ट्रेलिया से मिला हुआ था । थल का वह अटूट विस्तार हिन्द महासागर पर छाया था, दक्षिण अमेरिका तक । उधर उत्तर में न केवल उत्तर भारत बल्कि प्राय: सारा हिमालय और एशिया के अधिकतम भाग जलमग्न थे । उन पर सागर की फेनिंल लहरे टूटती थीं । तब हिमायल न था । एकाएक एक दिन पृथ्वी के गर्भ में कुछ हुआ । जलजला आया, ज़मीन सिकुड़ी और फैली । उसकी ऊपरी सतह का सहसा काया-पलट हो गया । दक्षिण में समुन्दर उठा । उसने भारत,अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया को जल द्वारा बांट दिया । उसकी भूकंप ने उत्तर को ऊपर फेंका । सहसा हिमालय की उत्तंग श्रृंखलाएं सागर से उठकर नंगी हो गई । उसकी वह एवरेस्ट आसमान चूमने लगी, जिसकी अभी की इन्सानी विजय की गूंज आज भी हवा में भरी है । साथ ही उसके उत्तर और दक्षिण में भी समुन्दर ने मैदान उगल दिए । हिम की श्वेत हरी धाराओं से गिरीराज ने उन्हें समस्त किया जो वर्तमान में हिमगिरी तथा हिमालय के रुप में विख्यात हुआ । हिमालय का इतिहास (हिमालय की भोगोलिक रचना) भारतीय विचारों के अनुसार हिमालय का विस्ता

भारत की मातृभुमि – Bharat Ki Mathrbhumi ki Visheshtaye जानेंगे

भारत की मातृभुमि – Bharat Ki Mathrbhumi ki Visheshtaye जानेंगे भारत विश्व का एक मात्र देश है जो देश को अपनी मां का दर्जा दिया है। भारत का हर शक्श चाहे वो किसी भी जाति या संप्रदाय का हों हर व्यक्ति मां की इज्ज़त करता है।  तेजस्विनी भारतमाता -- हमारी भारतमता तेजस्विनी है, जिसकी प्रसंसा के गीत देवताओं ने भी गाये है। यह वह धरती है, जिसकी पूजा हमारे सभी संत-महात्माओं ने मातृभूमि, धर्मभूमि, कर्मभूमि, एवं पुण्यभूमि के रूप में की हैं।  यह हमारी प्यारी भारतमाता है, जिसका नाम मात्र हमारे ह्रदय को शुद्ध और सात्विक बना देता है। हम सबकी मां यह हमारी तेजस्विनी मातृभूमि है। भारत में जन्म लेना पुण्य है -- भारतभूमी हमारी मातृभूमि है। हमे इसे मातृभूमि कहने मे गर्व होता है। असाधारण विद्वानों की जन्मदायी, कला, साहित्य और विज्ञान की उश्रति में सर्वोच्च शिखर पर पहुंची हुईं भारत की महिला का वर्णन देवता भी आपने गीतों में गाते हैं। वे लोग धन्य हैं, जिन्होंने भारत में जन्म लिया।  जन्मदात्री  मातृभूमि – मातृभूमि का संपूर्ण तथ्य अवतारों की जन्मदात्री  मातृभूमि -- मर्यादा पुरुषोत्तम राम, योगिराज कृष्ण ने यहां अवता